बिहार में राजनीतिक पुनर्निर्माण से महिलाओं को नुकसान
पहली बाहर बाराचट्टी से विधायक बनीं 46 वर्षिय ज्योति देवी के कार्यकाल के दौरान कुछ उल्लेखनिय काम हुए हैं। पिछले पांच सालों में 10 पुलों के निर्माण ( कुछ पुलों की मांग स्वतंत्रता के बाद से ही थी) के साथ निर्वाचन क्षेत्र, बाराचट्टी में 3,300 किलोमीटर लंबी सड़क का भी निर्माण किया गया है। इनमें गांवों से जोड़ने के लिए कई लिंक रोड, जो गया ज़िला तक जाती है, शामिल हैं।
ज्योति देवि एक गैर सरकारी संगठन से भी जुड़ी हैं जो ब्रिटिश सरकारी एजेंसी के साथ गरीबों के लिए काम करती है। इस संगठन ने करीब 900 परिवारों को जमीन का मालिकाना हक दिलाने में मदद की है। ज्योति देवी अपने कार्यकाल में काफी एक्टिव रही हैं। विधानसभा में इन्होंने 250 से भी अधिक सवाल पूछ कर मुखर भूमिका निभाई है। विधायक बनने से पहले भी ज्योति देवी विकास संबंधित कई अन्य कार्यों से जुड़ी रही हैं। इन्होंने महा दलित ( सबसे पिछड़ी जाति ) एवं मुशहर समुदायों के लिए कई स्व-सहायता समूह और आंगनवाड़ी ( बच्चे की देखभाल ) केन्द्र सुनियोजित किया है।
ज्योति देवी के काम से प्रभावित होकर बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल ( यू ) के नेता नीतिश कुमार ने 2010 में व्यक्तिगत तौर पर उनसे चुनाव लड़ने को कहा था।
फिर भी जब बिहार में हो रहे चुनावों के लिए टिकट की घोषणा की गई थी जब ज्योति देवी उन कई महिला विधायकों में से थीं जिन्हें टिकट नहीं दिया गया था।
ज्योति देवी ने खेदपूर्वक बताया कि “हम तो इंतज़ार कर रहे थे कि हमारे काम को देखते हुए हमको टिकट ज़रुर मिलेगा। हमको मांझी के समधन होने का सज़ा मिला है।”
ज्योति देवी की बेटी की शादी मांझी के बेटे के साथ हुई है और शायद यह रिश्ता ही मुख्य कारण है कि ज्योति को टिकट नहीं मिला है। गौरतलब है कि हाल ही में मांझी जनता दल ( यू ) से अलग होकर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एनडीए ) की एक सहयोगी पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा संगठित किया है।
हालांकि इस चुनाव में ज्योति देवी के अलावा कई अन्य महिला विधायकों की जगह पुरुषों को टिकट दिया गया है।
महिला राजनीतिक सशक्तिकरण के बावजूद, महिलाओं के लिए कम टिकट
बिहार एक ऐसा राज्य है जहां पिछले दशक में महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण में प्रगति हुई है।
इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी खास रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2010 में बिहार के इतिहास में महिला विधायकों की संख्या सबसे अधिक ( 34 ) रही है। कुल विधायकों में से महिला विधायकों की हिस्सेदारी 14 फीसदी है। ध्यान हो कि इस संबंध में 14.4 फीसदी के आंकड़ों से साथ हरियाणा पहले स्थान पर है। 104 मिलियन की आबादी वाले इस राज्य में महिलाओं की संख्या 48 फीसदी है।
बिहार पहला राज्य है जहां पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीटे आरक्षित हैं।
चुनाव और राजनीतिक सुधारों के क्षेत्र में काम करने वाली एक गैर सरकारी संगठन, एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में चुनाव लड़ने वाली 306 महिला उम्मीवारों की तुलना में मौजूदा चुनाव में 273 महिला उम्मीदवार चुनाव में खड़ी हैं।
कुल प्रतियोगियों के अनुपात में महिला प्रतियोगिता की हिस्सेदारी 8 फीसदी है जबकि वर्ष 2010 में महिलाओं की हिस्सेदारी 8.75 फीसदी है। पिछले सालों की तुलना में इस वर्ष सभी मुख्य पार्टियों ने कम महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
इंडियन नैश्नल कांग्रेस ( आईएनसी ), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ( एचएएम ) को छोड़ कर अधिकतर पार्टियों ने चुनाव लड़ने के लिए 10 फीसदी से भी कम महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( सीपीआई ) द्वारा केवल 2 फीसदी ही महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के साथ लैंगिक समानता के संबंध में वाम दलों की स्थिति सबसे बद्तर है।
परिणाम – इस चुनाव में ( इसकी जानकारी आगे दी जाएगी ) निर्दलिय चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या अधिक देखी गई है।
Women Candidates, Bihar Vidhan Sabha Polls 2015 | |||
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Party | Tickets to women | Total seats contesting | Percentage of tickets to women |
BJP | 14 | 157 | 8.9% |
BSP | 17 | 228 | 7.5% |
SP | 8 | 135 | 5.9% |
INC | 4 | 38 | 10.5% |
NCP | 7 | 41 | 17.1% |
CPI | 2 | 98 | 2.0% |
CPIM | 3 | 43 | 7.0% |
CPI ML | 7 | 98 | 7.1% |
JD(U) | 10 | 101 | 9.9% |
LJP | 4 | 42 | 9.5% |
RJD | 10 | 101 | 9.9% |
RLSP | 1 | 23 | 4.3% |
Source: Association for Democratic Reforms.
जबकि 2010 की तुलना में इस वर्ष भाजपा ने एक महिला उम्मीदवार को अधिक टिकट दिया है लेकिन महिला उम्मीदवारों का अनुपात 12.8 फीसदी से गिरकर 8.9 फीसदी हो गया है। करीब सभी अन्य दलों ने कम महिलाओं को टिकट दिया है (निरपेक्ष और प्रतिशत, दोनों के संबंध में )
Women Candidates: Last Three Elections In Bihar | |||||||||
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Party | BJP | INC | CPI | CPM | NCP | BSP | JDU | RJD | LJP |
2000* | |||||||||
Total seats | 168 | 324 | 153 | 107 | 5 | 249 | 87 | 293 | NA |
No. of women | 9 | 24 | 5 | 7 | 1 | 11 | 2 | 17 | NA |
% | 5.4 | 7.4 | 3.3 | 6.5 | 20 | 4.4 | 2.3 | 5.8 | NA |
2005 | |||||||||
Total seats | 102 | 36 | 35 | 10 | 8 | 212 | 139 | 175 | 203 |
No. of women | 9 | 1 | 2 | 0 | 0 | 7 | 16 | 13 | 19 |
% | 8.8 | 2.8 | 5.7 | 0 | 0 | 3.3 | 11.5 | 7.4 | 9.4 |
2010 | |||||||||
Total seats | 102 | 243 | 56 | 30 | 171 | 239 | 141 | 168 | 75 |
No. of women | 13 | 38 | 4 | 3 | 19 | 15 | 24 | 12 | 11 |
% | 12.8 | 15.6 | 7.1 | 10 | 11.1 | 6.3 | 17 | 7.1 | 14.7 |
Source: Association for Democratic Reforms.; Note: In 2000, Bihar and Jharkhand had not split and the total assembly seats were 324.
राजनीतिक सशक्तिकरण के दशक के बाद नीतिश का उल्टा गेयर
हिला राजनीतिक सशक्तिकरण की सबसे उल्लेखनीय उलटाव उस शख्स से आई है जिसने इस सशक्तिकरण को शक्ति दिया है – नीतिश कुमार।
नीतिश कुमार की लैंगिक समानता और अन्य लिंग के अनुकूल नीतियों के लिए प्रयास अच्छी प्रकार प्रलेखित है। नीतिश कुमार देश के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित करने का कानून बनाया है। नीतिश कुमार की पार्टी, जनता दल ( यू ) में भी महिलाओं की संख्या में स्थिरतापूर्वक वृद्धि हुई है। वर्ष 2000 में पार्टि में महिलाओं की संख्या 2 फीसदी थी जबकि 2005 में यह बढ़ कर 11.5 फीसदी हुई है। वर्ष 2010 में पार्टी की 17 फीसदी उम्मीदवार महिलाएं थीं। यह आंकड़े बिहार के किसी भी पार्टी के लिए सबसे अधिक रहे हैं। जैसा कि हमने बताया है, वर्तमान में यह गिराकर 10 फीसदी हो गए हैं।
नीतिश कुमार ने जनता दल ( यू ) पार्टी से 22 में से केवल नौ महिला उम्मीदवारों एवं एक नई उम्मीदवार को टिकट दिया है।
नीतिश ने छह महिला उम्मीदवारों की जगह पुरुषों को टिकट दिया है। इनमें से दो पूर्व विधायकों के पति हैं। तारापुर से नीता चौधरी की जगह उनके पति मेवालाल चौधरी को टिकट दिया गया है जबकि लालगंज से मौजूदा विधायक अन्नु शुक्ला के स्थान पर उनके पति प्रवीण शुक्ला को खड़ा किया गया है।
राजनीतिक पुनर्निर्माण के कारण नीतिश कुमार को इन चार सीटों को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल ( आरजेडी ) एवं एक सीट कांग्रेस को आवंटित करना पड़ा है।
आरजेडी ने दो सीटों, नवादा और हिलसा, से पुरुष उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है एवं दो अन्य क्षेत्र, रनसेदपुर एवं बाराचट्टी से महिला उम्मीदवारों को उतारा है। कांग्रेस ने गोविंदगंज से अब तक लड़ रही मीना द्वेदी की जगह पुरुष उम्मीदवार को उतारा है।
महिला राजनीतिक भागीदारी में नीतिश कुमार का उल्टा गेयर क्यो?
कुछ रिपोर्ट के अनुसार इसका कराण लालू यादव का प्रभाव हो सकाता है जो इस चुनाव में नीतिश कुमार की प्रमुख सहयोगी हैं और जिन्होंने पहले संसद एवं राज्य विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षण का विरोध किया था।
हालांकि ज्योति देवी चुनाव के लिए समग्र सीटों के आवंटन में लालू यादव का प्रभाव होने की बात मानती हैं लेकिन वह इस बात से आश्वस्त नहीं है कि महिलाओं के टिकट आंवटन में लालू मुख्य फैक्टर हो सकते हैं।
ज्योति का कहना है कि, “ठीक है लालू जी इसके खिलाफ होंगे लेकिन नीतिश जी के पास तो 100 सीटे हैं? क्यों नहीं वह ज्यादा टिकट दे रहे हैं?”
आंकड़े लालू प्रसाद के संबंध में लोकप्रिय मिथक का खंडन करते हैं। वर्ष 2000 के बाद से आरजाडी में महिलाओं की संख्या में स्थिरतापूर्ण वृद्धि हुई है। वास्तविकता में यही एक पार्टी है जिसने मामूली रुप से अधिक अनुपात में महिलाओं को टिकट दिया है। बाकी सभी पार्टियों ने महिलाओं को मैदान में उतारने में कटौती की है।
किस प्रकार राजनीतिक पुनर्निर्माण ने कम महिलाओं को टिकट दिलवाया
बिहार में भव्य राजनीतिक गठबंधन से कम महिलाओं को टिकट मिला है। प्रत्येक प्रमुख गठबंधन में 10 फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है।
Fewer Women Candidates In 2015 | |||
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Alliance | Total Seats Contesting | Women Candidates | Percentage |
NDA | 243 | 23 | 9.5% |
Grand Alliance | 243 | 25 | 10.3% |
Source: Association for Democratic Reforms.
इसके विपरीत वर्ष 2010 में, गठबंधन के पास विभिन्न घटक थे एवं महिलाओं के टिकट का अनुपात भी अधिक था।
More Women Contested 2010 Elections | |||
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Alliance | Total Seats | Women Candidates | Percentage |
JD(U)+BJP | 243 | 37 | 15.2% |
RJD+LJP | 243 | 33 | 13.5% |
Left parties | 190 | 28 | 14.7% |
Source: Election Commission of India.
यह सच है कि राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर अब भी महिलाएं राजनीतिक भागीदारी के लिए संघर्ष कर रही हैं। महिलाओं के लिए प्रतिबंधित स्थान को उचित सिद्ध करते हुए इसका मुख्य फैक्टर “विजित वस्तु” बताते हैं। हालांकि बिहार के आंकड़े कुछ ऐसी कहानी बयान करते हैं।
वर्ष 2010 में 34 महिला विधायकों में से 33 महिला विधायक तत्कालीन सत्ता वाली जनता दल ( यू ) एवं भाजपा गठबंधन से थीं जबकि एक स्वतंत्र थी। जनता दल ( यू ) ने 24 महिला उम्मीवारों को मैदान में उतारा था जिसमें से 22 विधानसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। वहीं भाजपा से 13 महिला उम्मीदवारों को चुनाव में खड़ा किया था जिसमें से 11 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि जनला जनता दल ( यू ) से 91 फीसदी एवं भाजपा से 84 फीसदी महिलाओं ने जीत हासिल की है।
वर्ष 2005 में जनता दल ( यू ) से 16 महिला उम्मीदवारों से चुनाव लड़ा जिसमें से 12 ने विजयी हासिल की। जबकि भाजपा से खड़ी हुई नौ महिला उम्मीवारों में से चार को जीत मिली है।
Women Candidates And 'Winnability' | ||||||
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2010 | 2005 | 2000 | ||||
Parties | Total tickets given | Total seats won | Total tickets given | Total seats won | Total tickets given | Total seats won |
JD(U) | 24 | 22 | 16 | 12 | 2 | 0 |
BJP | 13 | 11 | 9 | 4 | 9 | 4 |
RJD | 12 | 0 | 13 | 4 | 17 | 7 |
Source: Election Commission of India.
पिछले दो चुनावों से महिला मतदाता राजनीतिक एवं नीति बदलाव के लिए आगे रही हैं। वर्ष 2005 में लालू यादव की हार एवं नीतिश कुमार की जीत में महिला मतदाताओं की अहम भूमिका रही है। अक्टूबर 2005 के चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा के बनने एवं फरवरी में दोबारा चुनाव होने से से स्पष्ट है कि पुरुष मतदाता भागीदारी में तीन प्रतिशत अंक की गिरावट हुई है।
ज्योति देवी का कहना है कि, “वोट दे महिला और अवसर मिले पुरुष को...यह अन्याय है।”
ज्यति देवी से स्वतंत्र रुप से चुनाव लड़ने का विचार पूछने पर वह कहती हैं कि “चुनाव लड़ने में कम से कम 50 लाख का खर्चा आता है। हमारे पास इतना ताकत नहीं है। और आज-कल तो चुनाव बहुत हाई-फाई हो गया है। ”
दुनिया भर के अध्ययन के अनुसार अधिक महिला- राजनीतिक भागीदारी में बाधा होने का एक कारण चुनाव प्रचार के लिए आर्थिक प्रंबधन में आने वाली कठिनाई है।
इन चुनावों में स्वतंत्र महिला उम्मीवारों की संख्या में वृद्धि हुई है – 81 महिलाएं स्वतंत्र रुप से चुनाव लड़ रही हैं। यह आंकड़े राज्य में कुल स्वतंत्र रुप से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या का 7 फीसदी होने के साथ ही बिहार के इतिहास में अब तक सबसे उच्च है। 2010 के आंकड़े को देखें तो 31 महिलाओं ने स्वतंत्र रुप से चुनाव लड़ा था।
एक तरफ ज्योति देवी टिकट न मिल पाने दुखी ज़रुर हैं लेकिन उन्हें स बात की खुशी भी है कि उनके क्षेत्र, बाराचट्टी से, आरजेडी की महिला उम्मीदवार समता देवी को खड़ा किया गया है जिनके जितने की पूरी संभावना है।
ज्योति कहती हैं कि, “वो भी सीख जाएंगी...जैसे मैंने सीखा है और मैं उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार हूं ।”
चुनाव में कोई भी गठबंधन जीते लेकिन एक बात तो निश्चित है कि पिछली बार के मुकाबले इस बार विधानसभा में महिलाओं की संख्या कम ही रहेगी।
Political Party Acronyms | |
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BJP | Bharatiya Janata Party |
INC | Indian National Congress |
NCP | Nationalist Congress Party |
BSP | Bahujan Samaj Party |
JD(U) | Janata Dal United |
RJD | Rashtriya Janata Dal |
LJP | Lok Janashakti Party |
HAM | Hindustani Awam Morcha |
RLSP | Rashtriya Lok Samata Party |
CPI | Communist Party of India |
CPM | Communist Party of India (Marxist) |
CPI (ML) | Communist Party of India (Marxist-Leninist) |
( यह लेख GenderinPoliticsएवं इंडियास्पेंड के सहकार्य से प्रस्तुत की गई है। GenderinPoliticsएक परियोजना है जो भारत की राजनीति एवं शासन में महिलाओं की भूमिका पर नज़र रखती है। भानुप्रिया राव GenderinPolitics की सह निर्माता हैं। अतिरिक्त रिसर्च सौम्या तिवारी द्वारा किया गया है।)
(यह लेख बिहार पर इंडियास्पेंड के विशेष विश्लेषण का हिस्सा है। आप इस श्रृंखला की अन्य लेख यहां पढ़ सकते हैं )
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 4 नवंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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