बीजेपी और कांग्रेस के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल है मुद्दा, डेटा बता सकते हैं मतदाता की पसंद
नई दिल्ली: मार्च 2019 में, सरकार ने बहुत देर हो चुके ‘नेशनल इंडिकेटर फ्रेमवर्क’ (एनआईएफ) और साथ ही ‘सस्टेनबल डिवलप्मेंट गोल’ (एसडीजी) की आधिकारिक आधारभूत रिपोर्ट के प्रविशनल संस्करण को जारी किया है। 2030 की समय सीमा तक महत्वाकांक्षी एसडीजी की दिशा में भारत की प्रगति को बेसलाइन रिपोर्ट के संकेतकों के आधार पर नहीं ट्रैक किया जा सकेगा, जो वर्ष 2015 के लिए है।
यह भारत को एसडीजी 1 से 16 के लिए 306 सांख्यिकीय संकेतक सहित अपने सबसे बड़े निगरानी ढांचे की सुविधा देता है ( लक्ष्य 17 को अब तक नहीं माना गया है ), जिसमें आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और पर्यावरण संरक्षण शामिल है। बेहतर माप, अधिक साक्ष्य और अधिक सूचित रिपोर्टिंग सामाजिक क्षेत्र के प्रदर्शन की ट्रैकिंग में सुधार कर सकते हैं, और मतदाताओं की पसंद को सूचित कर सकते हैं। वास्तव में, आने वाले चुनावों से पहले संवाद के लिए सर्वेक्षण डेटा, और नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र जैसी एजेंसियों के रुप में और अधिक सबूत उपलब्ध हैं।
डेटा में क्या है?
नीति आयोग द्वारा एसडीजी बेसलाइन रिपोर्ट ने देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं के विकास की असमान प्रकृति पर प्रकाश डाला। स्वास्थ्य एसडीजी के भीतर टॉप 10 प्रदर्शनकारियों में, केवल दो राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगियों का शासन है। तीन पर कांग्रेस और सहयोगी दलों का और पांच पर क्षेत्रीय दलों का शासन है।
दूसरी ओर, नीचे के 10 राज्यों में से, सात पर बीजेपी और सहयोगियों का शासन है, एक पर कांग्रेस और सहयोगियों का और दो केंद्र शासित प्रदेश (संघ शासित क्षेत्रों) हैं।
स्वास्थ्य एसडीजी पर राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों का प्रदर्शन
Source: SDG India Index Baseline Report, 2018
सरकार के थिंक-टैंक, नीति आयोग और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित 2018 के हेल्थ इंडेक्स इनिश्यटिव ने अपने स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रदर्शन के अनुसार भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलग-अलग स्कोर और रैंकिंग प्रदान की थी। डेटासेट राज्य स्तर के प्रदर्शन का गहन विश्लेषण करने में सक्षम है।
बड़े राज्यों में, केरल (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), या सीपीआईएम +), पंजाब (कांग्रेस +), और तमिलनाडु (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) (एआईडीएमके))समग्र प्रदर्शन के मामले में टॉप पर हैं।
भारतीय राज्यों का स्वास्थ्य क्षेत्र प्रदर्शन
Source: Niti Aayog
उत्तर प्रदेश (बीजेपी +), राजस्थान (कांग्रेस), और बिहार (बीजेपी +) ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
छोटे राज्यों में, मिजोरम (मिज़ो नेशनल फ्रंट के नेतृत्व वाले गठबंधन, या एमएनएफ +), मणिपुर (बीजेपी +) और मेघालय (बीजेपी +) ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और नागालैंड (सभी बीजेपी +) ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
हेल्थ इंडेक्स के विभिन्न घटक स्कोर दिलचस्प राज्य-स्तरीय पैटर्न दिखाते हैं। केरल (सीपीआईएम +), पंजाब (कांग्रेस +), तमिलनाडु (एआईडीएमके) और महाराष्ट्र (बीजेपी +) पहले ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एमएचपी) 2017, प्राप्त कर चुके हैं। 2025 के लिए प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 16 का नवजात मृत्यु दर लक्ष्य है। जबकि केरल (सीपीआईएम +) ने प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 12 का एसडीजी 2030 लक्ष्य प्राप्त किया है।
हालांकि, ओडिशा (बीजू जनता दल, या बीजद), मध्य प्रदेश (कांग्रेस +), उत्तर प्रदेश (भाजपा +), राजस्थान (कांग्रेस +) और बिहार (भाजपा +) में नवजात मृत्यु दर अभी भी बहुत अधिक है।
छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए अभी तक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
बिहार (भाजपा +), मध्य प्रदेश (कांग्रेस +), झारखंड (भाजपा +), छत्तीसगढ़ (कांग्रेस +) और मणिपुर (भाजपा +) में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की रिक्तियों का सबसे खराब अनुपात है। मणिपुर (भाजपा +), हालांकि, समग्र सूचकांक में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों में से एक है।
अलग-अलग आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि अरुणाचल प्रदेश (बीजेपी +), छत्तीसगढ़ (कांग्रेस +), हरियाणा (बीजेपी +), असम (बीजेपी +) और नागालैंड (बीजेपी +) के पास कम स्कोर है, ने फिर भी 100 फीसदी जन्म पंजीकरण हासिल किया है।
मतदाता पसंद को सूचित करना
निर्वाचन-स्तर पर कुपोषण के हालिया विश्लेषण से पता चला है कि कैसे स्वास्थ्य संकेतक चुनावी दृष्टिकोण से अधिक जवाबदेही तय कर सकते हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 22 मार्च, 2019 को रिपोर्ट किया था। विश्लेषण में दिखाया गया है कि राजनीतिक स्पेक्ट्रम पर वरिष्ठ राष्ट्रीय नेताओं के निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के कुपोषण की भरमार है।
आंशिक रूप से लोकसभा में इसकी प्रमुख उपस्थिति (कांग्रेस के 45 के खिलाफ 268), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और और सहयोगियों ने सभी का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन 10 निर्वाचन क्षेत्रों में से दो ने स्टंटिंग में सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
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Gulbarga, Amethi, Guna And Varanasi Worst Performers On Stunting | |||
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Parliamentary Constituency | Member of Parliament | Political Party | Stunting Prevalence (In %) |
Gulbarga | Mallikarjun Kharge | Indian National Congress | 49.7 |
Amethi | Rahul Gandhi | Indian National Congress | 43.6 |
Guna | Jyotiraditya Madhavrao Scindia | Indian National Congress | 43.2 |
Varanasi | Narendra Modi | Bharatiya Janata Party | 43.1 |
Gwalior | Narendra Singh Tomar | Bharatiya Janata Party | 43 |
Vidisha | Sushma Swaraj | Bharatiya Janata Party | 40.4 |
Lucknow | Rajnath Singh | Bharatiya Janata Party | 40.3 |
Azamgarh | Mulayam Singh | Samajwadi Party | 40.1 |
Rae Bareli | Sonia Gandhi | Indian National Congress | 37.7 |
Jaipur Rural | Rajyavardhan Rathore | Bharatiya Janata Party | 35.7 |
Ghaziabad | V K Singh | Bharatiya Janata Party | 35.5 |
Chhindwara | Kamal Nath | Indian National Congress | 34 |
Bangalore (North) | Sadanand Gowda | Bharatiya Janata Party | 29.6 |
Nagpur | Nitin Gadkari | Bharatiya Janata Party | 28.3 |
Arunachal Pradesh West | Kiren Rijiju | Bharatiya Janata Party | 26.6 |
Baramati | Supriya Sule | Nationalist Congress Party | 24.3 |
Hyderabad | Asaduddin Owaisi | All India Majlis-E-Ittehadul Muslimeen | 20.6 |
Thiruvananthapuram | Shashi Tharoor | Indian National Congress | 18.5 |
Source:State of Nutrition Among Children, Lok Sabha
सत्तारूढ़ ‘नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस’ (एनडीए) सरकार ने आयुष्मान भारत के प्रभाव को जोरदार रूप से प्रचारित करने का फैसला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा की है कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो उनकी पार्टी यह देखेगी कि भारत के सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए 3 फीसदी जीडीपी खर्च की जाती है... भारत में पहली बार स्वास्थ्य नीति एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन रहा है। हो रहे इस संसदीय चुनाव में, दोनों बड़े राष्ट्रीय दलों के पास पहले से ही सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में पर्याप्त प्रयासों का समर्थन है, जो भारत में बातचीत का एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान करता है।
उसी समय, स्वास्थ्य जानकारी की अभूतपूर्व पहुंच योजनाओं को ट्रैक करने, प्रभाव का मूल्यांकन करने और सरकारों को कार्य करने में मदद कर सकती है, हालांकि भारत में समग्र स्वास्थ्य सूचना प्रणाली की गुणवत्ता बराबर नहीं है।
हालांकि, नीतिगत चर्चाएं कम हैं और आधार और प्रासंगिक आंकड़ों से परे हैं, जिससे सार्थक नीतिगत संवाद के बजाय फर्जी खबरों का जोखिम बढ़ जाता है।
प्रमाण उपलब्ध कराना
नीति हेल्थ इंडेक्स डेटाबेस 24 संकेतकों को कवर करता है, जो प्रभावित करने वाली वस्तुएं व थीम के साथ-साथ राज्य-स्तरीय रैंकिंग के लिए अनुमति देता है, साथ ही एक समग्र स्वास्थ्य सूचकांक एक अल्प संसाधन बना हुआ है। हो रहा चुनाव चुनाव मीडिया सहित हितधारकों के लिए एक शानदार अवसर है, जो प्रभावी रूप से इसका उपयोग करते हैं और डेटा-सूचित नीति बहस में योगदान करते हैं। नीती हेल्थ इंडेक्स डेटाबेस के साथ-साथ अन्य स्रोतों के आधार पर इंडियास्पेंड और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा लगातार तीन आलेखों के बाद, हम विभिन्न स्वास्थ्य डोमेन में राज्यों के स्वास्थ्य प्रदर्शन की जांच करेंगे।
श्रृंखला में पहला भाग रोगों की संख्या, मृत्यु दर और स्वास्थ्य सेवा वितरण पर राज्य-स्तरीय डेटा और रैंकिंग पेश करेगा, और हम जान पाएंगे कि परिवार नियोजन से दूर भारत में स्वास्थ्य के लिए अधिक संसाधन मुक्त हो सकते हैं।
अगला भाग शासन के मुद्दों, स्वास्थ्य के कुछ निर्धारकों और केंद्र-राज्य के साथ-साथ अंतर मंत्रालय संबंधों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने पर केंद्रित होगा। अंतिम आलेख विशेष रूप से मानव संसाधनों के संदर्भ में प्रमुख प्रक्रियाओं को देखेगी, और आगे का रास्ता सुझाएगी।
(कुरियन ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ के हेल्थ इनिशिएटिव में फेलो हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 09 अप्रैल 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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