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मुंबई: बीजेपी शासित दो राज्यों, छत्तीसगढ़ और राजस्थान, में इंडियन नेशनल कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, जबकि गणना वाले दिन, 11 दिसंबर को दिन के 14.30 बजे तक मध्यप्रदेश में खींचतान जारी है। कांग्रेस द्वारा शासित मिजोरम में, मिजो नेशनल फ्रंट सबसे ज्यादा सीट जीतने के लिए तैयार है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत निर्णायक हो सकती है, जहां यह दिन के 14.30 बजे तक 62 सीटों (43 फीसदी) पर आगे थी।

वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन होने और 2003 में पहली बार चुनाव होने के बाद यह पहली बार है जब कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सत्ता ग्रहण कर सकती है।

हालांकि, 15 साल तक (2003 से 2018, तीन कार्यकाल ) सत्ता में रहे मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने राजनंदगांव निर्वाचन क्षेत्र में आगे हैं। यहां जनजातीय आबादी, राज्य की आबादी का 31 फीसदी का प्रतिनिधित्व करती है, जो कई तरह से सत्ता से असंतोष में थी। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने नवंबर 2018 के रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।

राजस्थान में, कांग्रेस के नेता ने ने कहा कि उन्हें "विश्वास" था कि वे बहुमत प्राप्त करेगें और 2008 से सत्ता में रही भारती जनता पार्टी के जनता नकार देगी।

दोपहर ढाई बजे तक 101 बहुमत के निशान को पार करने के लिए पार्टी को एक अतिरिक्त सीट सुरक्षित करने की जरूरत थी।

संभावित मतदाताओं ने नौकरियां उत्पन्न करने और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करने में बीजेपी सरकार की विफलता पर निराशा व्यक्त की थी, जैसा कि हमने अपनी ग्राउंट रिपोर्ट में बताया है।

हालांकि राज्य ने 2017-18 में 7.2 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर दर्ज की, जो 6.2 फीसदी की राष्ट्रीय औसत से अधिक है, लेकिन 2011-12 और 2015-16 के बीच इसकी बेरोजगारी दर 1.7 फीसदी से बढ़कर 7.1 फीसदी हो गई है और मातृ और शिशु मृत्यु दर दोनों उच्च बनीं हुई है, जैसा कि इंडियास्पेन्ड ने 5 दिसंबर, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अत्यधिक अलोकप्रिय माना जाता था, लेकिन वह अपने क्षेत्र झालरापान से कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह के आगे चल रही थीं। कांग्रेस के अनुभवी अशोक गेहलोत और युवा नेता सचिन पायलट दोनों मुख्यमंत्री के कुर्सी के दावेदार हैं।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर चल रही थी। बीजेपी 111सीटों पर कांग्रेस 109 सीटों पर आगे थी ( 116 सीटों के बहुमत के निशान दोनों ही नीचे हैं। ) बीजेपी की सीट शेयर 2013 में जीती 165 सीटों से काफी कम हो सकती है। आठ वर्षों के दौरान, भारत के सर्वोत्तम कृषि विकास को रिकॉर्ड करने और इसके बुनियादी ढांचे में सुधार के बावजूद, मध्य प्रदेश व्यापक रूप से कृषि अशांति, कम आय और खराब स्वास्थ्य संकेतकों से घिरा हुआ था, जैसा कि हमने पहले अपनी रिपोर्ट में बताया था। मध्यप्रदेश में तीसरी सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या (1,321) दर्ज की गई है। पहले और दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र (3,661) और कर्नाटक (2,079) का स्थान रहा है,जैसा कि इंडियास्पेंड ने नवंबर 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

मिजोरम नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को 17 सीटों पर जीत हासिल करने के साथ कांग्रेस देश के पूर्वोत्तर में अपने गढ़ मिजोरम में सत्ता बनाए रखने में नाकाम रही; 2013 में इसने दो सीट जीती थी। 2008 से सत्ता में रहे, मुख्यमंत्री लाल थानवाला, चुनाव लड़ने वाले दोनों सीटों को खोने के ट्रैक पर थे ( मिजोरम नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार के लिए चम्फाई साउथ और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के लिए सर्छिप )।

मिजोरम में स्वतंत्र उम्मीदवार पांच सीटों में आगे थे, जो दोपहर के ढाई बजे तक तक 23 फीसदी वोट शेयर का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

तेलंगाना पर तेलंगाना राष्ट्र समिति का शासन ही रहेगा, जो 119 सीटों में से 91 (48 फीसदी) सीटों पर आगे रहे । बहुमत हासिल करने के लिए उन्हें 60 सीटों की जरूरत थी मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, जो 2014 में राज्य के गठन के बाद से सत्ता में हैं, दूसरे कार्यकाल की वापसी के लिए तैयार हैं।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 11 दिसम्बर 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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