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कोलकाता में एड्स जागरूकता कार्यक्रम के दौरान एक ट्राम कार के अंदर एक कंडोम फूंकती एक सेक्स वर्कर। सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, ज्ञान तक अधिक पहुंच होने के बावजूद, पसंद या कारक के कारण कुछ ही लोग गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करते हैं जो अभी भी अनुसंधान का विषय है।

भारत की जनसंख्या बढ़ कर 1.2 बिलियन हुई है लेकिन पहले के दशक की तुलना में कम ही भारतीय गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करते हैं। यह जानकारी सरकारी स्वास्थ्य डेटा पर इंडियास्पेंड द्वारा की गई विश्लेषण में सामने आई है।

सर्वेक्षण किए गए 14 में से 10 राज्यों में, पिछले 10 वर्षों में, जन्म - नियंत्रण के तरीकों के प्रति अधिक जागरुकता और परिवार नियोजन सेवाओं में सुधार के बावजूद, बच्चे पैदा करने की उम्र (15 से 49) की महिलाओं के बीच परिवार नियोजन के किसी भी आधुनिक तरीकों के उपयोग में 6 फीसदी की गिरावट हुई है। यह जानकारी वर्ष 2005-06 और 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों पर हमारे द्वारा की गई तुलना में सामने आई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, भारत की जनसंख्या, अब 1.32 बिलियन होने का अनुमान है, और अगले छह साल के भीतर चीन के पार और 2050 तक 1.7 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है।

गर्भनिरोधकों के "आधुनिक तरीकों" के उपयोग में सबसे बड़ी गिरावट, 12 फीसदी, गोवा से रिपोर्ट की गई है; असम में सबसे बड़ी वृद्धि, 10 फीसदी, दर्ज की गई है।

आधुनिक तरीकों में शामिल हैं: महिला और पुरुष नसबंदी, गर्भनिरोधक गोली , इंट्रा-यूटराइन डिवाइस (आईयूडी), प्रसवोत्तर आईयूडी (PPIUD , बच्चे के जन्म के बाद इस्तेमाल किया), इंजेक्टेबल , पुरुष और महिला कंडोम, और आपातकालीन गर्भनिरोधक ।

14 राज्यों में से सात राज्यों में कांडोम के इस्तेमाल में वृद्धि दर्ज हुई है, सबसे अधिक वृद्धि पश्चिम बंगाल (2 फीसदी) और सबसे अधिक गिरावट मणिपुर (3 फीसदी) दर्ज की गई है।

14 में से छह राज्यों में आईयूडी का अधिक उपयोग होने की रिपोर्ट दर्ज की गई है, सबसे अधिक वृद्धि सिक्किम, 3 फीसदी, और सबसे अधिक गिरावट कर्नाटक, 2 फीसदी, दर्ज की गई है।

14 में से चार से अधिक राज्यों में गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल में वृद्धि नहीं हुई है, असम में 12 फीसदी, गोवा और सिक्किम में 1 फीसदी अधिक उपयोगकर्ता दर्ज किए गए हैं।

परिवार नियोजन के तरीकों के मौजूदा उपयोग

Source: National Family Health Survey 2015-16, 2005-06; Among currently married women age 15–49 years

एनएफएचएस 4 वर्ष 2015-16 के से अंतिम आंकड़ों के विश्लेषण वर्तमान में चल रहा है।14 राज्यों के अध्ययन, सरकार की मंजूरी के साथ अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) द्वारा आयोजित किया गया है ।

आधुनिक तरीकों का नहीं हो रहा अधिक उपयोग

राज्यों में मौजूदा किए गए सर्वेक्षण में, आधे राज्यों में अधिक कांडोम इस्तेमाल करने की रिपोर्ट मिली है जबकि अन्य आधे में गिरावट की रिपोर्ट दर्ज हुई है।

इंडियास्पेंड से बात करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार कुमार दास कहते हैं, यह पसंदीदा तरीका उपलब्ध न होने का मामला हो सकता है, जैसा कि कुछ फ्रंट लाइन सेवाओं - मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) , मेडिकल स्टोर, और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) – में एक या दो से अधिक सरकार द्वारा प्रवर्तित ब्रांड नहीं हो सकते हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। वह कहते हैं, 'ये उपलब्ध तरीके उनके लिए दिलचस्प हो सकता है या नही हो सकता है या हो सकते है कि यह तरीके उनके लिए सुखद न हो। "

अधिकांश राज्यों में गर्भनिरोधक गोली और आईयूडी / PPIUD, जो एक छोटा सा डिवाइस है जिसे गर्भाशय में सीधे सम्मिलित किया जाता है, उसके इस्तेमाल में गिरावट देखी गई है। यह सबसे प्रभावी , लंबे समय से स्थायी, प्रतिवर्ती जन्म नियंत्रण में से एक है।

14 में से आठ राज्यों के लोगों ने आईयूडी / PPIUD चुनने की रिपोर्ट दर्ज की है। सभी राज्यों में महिलाओं के आईयूडी / PPIUD इस्तेमाल करने का प्रतिशत कम पाया गया है – कई मामलों में 1 फीसदी से नीचे।

14 में से आठ राज्यों में, वर्ष 2005-06 की तुलना में कम गर्भनिरोधक गोली का उपयोग करने की रिपोर्ट दर्ज की गई है। 14 में से दस राज्यों में गोली का उपयोग 4 फीसदी या इससे कम होने की रिपोर्ट की गई है।

यह व्यापक रूप से मान्यता है कि आईयूडी / PPIUD और गर्भनिरोधक गोली महिला के स्वास्थ्य को नकारात्मक रुप से प्रभावित कर सकते हैं या यहां तक ​​कि बाँझपन का कारण बन रहे हैं।

निरोधक उपलब्ध हैं, लेकिन निर्णय लेते हैं पुरुष

गर्भनिरोधक दर (सीपीआर) एक समय में उस बिंदु पर 15 से 49 वर्ष की महिलाए या उनके पार्टनर गर्भ निरोधक जो प्रयोग कर रहे हैं उसका प्रतिशत है। दास कहते हैं, यदि सीपीआर अधिक है, इसका मतलब है कि गर्भ निरोधक उपलब्ध हैं, लेकिन आधुनिक तरीकों का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या कम है।

दास तर्क देते हैं कि, एक मुख्य मुद्दा पसंदीदा तरीके का उपयोग है, विशेष रुप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां मेडिकल स्टोर या स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक पहुंच कभी-कभी मुश्किल होती है। सीमित आपूर्ति के विकल्प सीमित कर सकता है ।

गर्भ निरोधक लेने के लिए महिलाएं मेडिकल स्टोर तक नहीं जाती हैं; यह निर्णय अधिकतर पुरुषों द्वारा लिया जाता है।

यदि एक महिला अपने अगले बच्चे के जन्म के लिए कम से कम दो साल इंतजार करना चाहती है या फिर कोई बच्चा नहीं चाहती है लेकिन गर्भनिरोधकों के किसी भी तरीके का उपयोग नहीं करती है, तो उसे ‘अन्मेट नीड’ कहा जाता है। यदि एक महिला केवल दो वर्ष तक इंतज़ार करना चाहती है तो उसे अंतराल के लिए अन्मेट नीड कहा जाता है।

अन्मेट नीड पर मौजूदा आंकड़े अधूरा है क्योंकि यह केवल विवाहित महिलाओं की जरूरतों को समझता है।

परिवार नियोजन के लिए अन्मेट नीड

Source: National Family Health Survey 2015-16, 2005-06; Among currently married women age 15–49 years

14 में से छह राज्यों में अन्मेट नीड में वृद्धि दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश में, जहां सर्वेक्षण किया गया है वहां 2005-06 के बाद से अतृप्त आवश्यकताओं का प्रतिशत समान बना हुआ है। मणिपुर सबसे बड़ी वृद्धि (15 फीसदी) दर्ज की गई है।

जैसा कि हमने कहा है, 14 राज्यों में से सात राज्यों में 2005-06 के बाद से कुल अन्मेट नीड में गिरावट देखी गई है जोकि सकारात्मक प्रगति का संकेत है। सबसे बड़ी गिरावट मेघालय (15 फीसदी) में दर्ज किया गया है।

14 में से 13 राज्यों में, अंतराल के लिए अतृप्त आवश्यकता में वृद्धि हुई है। एक बार फिर, सबसे बड़ी वृद्धि मणिपुर (8 फीसदी), और सबसे बड़ी गिरावट मेघालय में (17 फीसदी) में दर्ज की गई है।

वृद्धि या कमी के बावजूद, संख्या अभी भी अपेक्षाकृत कम हैं। 14 में से 10 राज्यों में, जहां सर्वेक्षम किया गया है, वहां 10 फीसदी में अंतराल के लिए अन्मेट नीड दर्ज की गई है। एक कारण यह हो सकता है कि लोग बड़ा परिवार चाहते हैं और महिलाए उनकी गर्भधारण के बीच अंतराल नहीं चाहती हैं जोकि स्वास्थ्य जोखिम के क़यास से अनजान है।

दास कहते हैंकि, विशेष रुप से ग्रामीण क्षेत्र में लोग न्यूनतम तीन-चार बच्चे चाहते हैं। लेकिन, फिर, केवल पुरुष ही दुकान जाते हैं। यदि पुरुष सीधे तौर पर बच्चा चाहता है और महिला नहीं चाहती है तो महिलाओं के पास कोई विकल्प नहीं रहता है।

परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार

आंकड़ों से भारी संकेत मिलता है कि पिछले एक दशक में परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता

Source: National Family Health Survey 2015-16, 2005-06

सभी 14 राज्यों में, महिलाएं जिनसे स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने बात की है उनमें किसी भी तरह का गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने की संख्या में गिरावट हुई है; गोवा में 25 फीसदी अधिक ने विचार-विमर्श किया है, जो कि सबसे अधिक वृद्धि है।

14 में से कम से कम 13 राज्यों की महिलाओं – जो वर्तमान में किसी प्रकार का गर्भनिरोधक इस्तेमाल कर रही हैं - ने कहा कि उन्हें परिवार नियोजन के तरीकों के दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया है। सबसे अधिक वृद्धि, एक बार फिर गोवा, 38 फीसदी, में दर्ज किया गया है। गिरावट केवल मध्यप्रदेश, 8 फीसदी, दर्ज की गई है।

ज्ञान तक अधिक पहुंच के बावजूद अपनी पसंद से या कारक के कारण कुछ ही लोग गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कर रहे हैं जौ एक अनुसंधान का विषय है।

(मुलुनी एक मल्टीमीडिया पत्रकार है और उन्होंने बर्मिंघम , ब्रिटेन के विश्वविद्यालय से बीए (ऑनर्स) की डिग्री ली है।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 29 अगस्त 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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