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मुंबई की एक बस पर मेरी पहली यादगार यात्रा उतनी ही आसान थी जितनी 123 की गिनती गिनना होता है ।

जब मैं छोटा बच्चा था तब मैं अक्सर अपने माता पिता के साथ इसी रूट नंबर की बस(बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं यातायात) से यात्रा करता था । यह एक बेहद खूबसूरत और ऐतिहासिक यात्रा थी जो इस तथ्य से और अधिक सुखद हो जाती थी कि यह बस नंबर 123- (लेकिन दुर्भाग्य से अब नहीं है)- एक डबल डेकर थी।

आज केवल 120 डबल डेकर ही रह गईं हैं और उनकी संख्या कम होती जा रही है क्योंकि वे बहुत अधिक डीजल का उपभोग करती हैं , लगभग में हर तीन किमी के लिए एक लीटर और इस बेचैन शहर में नए बने कई फ्लाईओवर और ऊँची सड़कों पर चढ़ना उनके लिए अतिरिक्त श्रम का काम है।

इस बस प्रणाली के अनोखे नाम के बारे में एक शब्द। बेस्ट ने 109 साल पहले बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई और ट्रामवेज कंपनी के रूप में कार्य शुरू किया था । इसकी पहली बसें और डबल डेकर घोड़ों द्वारा खींची जाती थीं और पहली इलेक्ट्रिक ट्राम कार 1907 में शुरू हुई ; 15 जुलाई 1926 को पहली बेस्ट बस (1937 में पहली डबल डेकर), का उस समय के बॉम्बे शहर द्वारा बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ स्वागत किया गया था ।

मुझमे उत्साह की कभी कमी नही होती थी जब भी मैं मध्य मुंबई में तारदेओ (वसंतराव नाईक चौक) से 123 में चढ़ता था और एक रोलर कोस्टर की तरह का अनुभव लेने के लिए ऊपरी डेक की पहली सीट हड़पने के लिए दौड़ जाता था। हर रविवार शाम हम कोलाबा में स्थित आर सी चर्च के लिए जाते थे, जो 1838 में कोलाबा द्वीप को मुंबई द्वीप से जोड़ने वाले सेतु बनने से पहले सिर्फ एक नौका सवारी की दूरी पर होता था ।

123 की सवारी

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मुझे हमेशा से ही अहसास था की 123 का रुट विविध कारणों से एक ऐतिहासिक रुट है । इसका पहला बड़ा पड़ाव मणि भवन के सामने गामदेवी (नाना चौक के निकट) , जो पुरानी मुंबई में महात्मा गाँधी का घर था और अब एक संग्रहालय है । और जैसे ही बस बाईं ओर मुड़ती थी तो हम 1832 में बने विल्सन कॉलेज के पक्के भवन के निकट से गुज़रते थे. उसकी दूसरी ओर होता था चौपाटी का समुद्र तट और उसके आगे फैला अरब सागर का विस्तार ।

अब, केवल सिंगल डेकर ही इस मार्गपर चलती हैं । समुद्र की हवा अभी भी उनकी खुली खिड़कियों से अंदर आती है । जैसे जैसे 123 तेज़ी से या धीमी गति से मरीन ड्राइव (जिसे अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस रोडनाम दिया गया है, जो की कोई पुकारता नही हैं ) की ओर बढ़ती है बस शहर के इकलौते मछलीघर, तारापोरवाला के समीप से गुज़रती है। आगे और नीचे पुराने क्रिकेट मैदान, जिमखाने , हिंदू, इस्लाम, पारसी, भारतीय क्रिकेट के सभी पुरावशेष थे। बस बाईं ओर मुड़ती है एयर चर्चगेट स्टेशन के लिए बाईं तरफ मुड़ती है जो आज मुख्य शहर के आधा किमी अंदर है लेकिन कभी बंदरगाह हुआ करता था। यह उच्च न्यायालय और मुंबई विश्वविद्यालय की शानदार पुराने पत्थर की इमारतों और फिर हुतात्मा चौक के पास से गुज़रती है , जो कभी फ्लोरा फाउंटेन था जिसे 1960 में मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने के लिए हुए संघर्ष के दौरान मारे गए लोगों के लिए एक स्मारक के रूप में औपनिवेशिक युग के पुराने फाउंटेन के बगल में बनाया गया था।

और यह चलती जाती है युगों और इतिहास में भीगती , संग्रहालय, एक समय में प्रिंस वेल्स और अब छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय के पास से , कोलाबा सेतु - जहां कभी बहुत से कछुए रहते थे और अब केवल खरीददार दिखते हैं , से होती हुई और बिजली घर के निकट से बेस्ट के मुख्यालय - की ओर । फिर आता है , 1830 के दशक में पहली बार अफगान युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले ब्रिटिश सैनिकों की स्मृति में निर्मित अफगान चर्च, या इसके उचित नाम का उपयोग करें तो सेंट जॉन इंजीलवादी चर्च और अंतिम पड़ाव आर सी चर्च से पहले नौसेना का आज भी शांत, क्षेत्र ।

आज, यह बसें ठाणे और मीरा-भायंदर के पड़ोसी जिलों में, महानगर के सुदूर कोनों तक चलती हैं लेकिन फिर भी भारतीय मानकों के अनुसार भी , यह बहुत छोटी व्यवस्था है , चेन्नई और बंगलौर की बस प्रणालियों से भी तुलना में बहुत छोटी है। जैसा कि मेरे सहयोगी सौम्या तिवारी अपने ब्लॉग में व्यक्त किया है , इसका एक कारण यह भी है कि केवल 3.8 लाख मुंबई निवासी बस सेवा का उपयोग करते हैं और 8.5 मिलियन रेल सेवा का ।

इंटर-सिटी तुलना

अन्य भारतीय महानगरों की तुलना में, मुंबई, बेंगलूर और दिल्ली से काफी पिछड़ी हुई है । वहीं अपने बहुतायत वाली बस सेवा के साथ ,चेन्नई एक लाख से अधिक लोगों को परिवहन प्रदान करती है ।

दुनिया भर के अन्य बड़े शहरों की तुलना में बेस्ट कहीं स्थान नही पाती है।

ब्राजील में साओ पॉलो में बस यात्रियों की संख्या (28.5%)सबसे ज्यादा है , मुंबई से अनुपात में लगभग दुगनी । इसी प्रकार, लंदन, में कुल यात्रियों में से बस द्वारा यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 20 % है और वहां की परिवहन प्रणाली इस पृथ्वी पर सबसे बेहतरीन और सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक है ।

क्या बेस्ट वास्तव में सर्वश्रेष्ठ है ?

मुंबई के लिए कहा जाता है की ये ऐसा शहर है जो कभी सोता नहीं है । इसी धारणा के अनुसार उचित रूप से बेस्ट बसों का संचालन भी भारतीय शहरों की तुलना में सबसे लम्बे समय के लिएहोता है: 04:45 बजे सुबह से 01:56 बजे अगली सुबह तक । मुंबई ऐसा शहर है जो घड़ियों पर चलता है (समयानुसार ); इसी प्रकार बेस्ट बसों को भी उनकी समय पाबंदी के लिए जाना जाता है । एक छात्र के रूप में मैं 8:13 बजे की बस 8:13 पर ही आएगी इस बात पर निर्भर कर सकता हूँ । आज आधुनिक यातायात सेवाओं ने बेस्ट की गति को धीमा कर दिया है ।

तो, अन्य वैश्विक सार्वजनिक बस वाहनों की तुलना में बेस्ट की स्थिति क्या है?

अन्य वैश्विक शहरों की तुलना में,बीजिंग, के पास सबसे बड़ा सार्वजनिक बस सुविधा है। लंदन में मुंबई की तुलना में प्रतिदिन यात्रा करने वालों की संख्या दुगनी है।

बेस्ट की दैनिक यात्रियों की संख्या 3.8 मिलियन है, और इसके बस बेड़े का आकार लगभग 3800 है। जाहिर है, मुंबई में इससे अधिक बसों की जरूरत है। पीक घंटों के दौरान सबसे बेस्ट बसें क्षमता से अधिक भीड़ से भरी होती हैं और जहां कभी कतारें होती थी वहां पागलों की तरह भगदड़ मची रहती है । यात्री अक्सर दरवाज़ों पर लटक कर यात्रा करते हैं और सीटों के लिए झगड़े आम बात है ।

एक सिंगल डेकर बस की वास्तविक क्षमता 51 सीट की होती है और खड़े होने वाले बीस यात्रियों को मिला कर कुल 70 यात्री यात्रा कर सकते हैं। लेकिन पीक घंटों में कभी कभी 120 से अधिक यात्री बीएस में सवार होते हैं ।

तब भी मुझे यह देख कर बहुत संतुष्टि मिलती है की कैसे एक बस कंडक्टर इतनी भीड़ को संभालता है , और पीक घंटो में पूरी तरह से भरी बस में हर यात्री से किराया इकट्ठा करता है ,साथ ही साथ हर स्टाप पर बस रोकने के लिए घंटी बजता और बंद करता है । लंदन और न्यूयार्क की तरह यहाँ ऑटोमैटिक(स्वचालित) टिकट व्यवस्था नहीं है ।

बेस्ट ने जनवरी 2015 तक 500 से अधिक बसों के लिए योजनाओं की घोषणा की है जिसमे से 50शहर के पश्चिमी व्यवसाय जिले बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से चलेंगी ।

अपनी बेस्ट को जानिए

बेस्ट बसें विभिन्न संख्याओं और उनसे संबंधित गंतव्य स्थानों के द्वारा दैनिक यात्रा करने वाले स्थानीय यात्रियों द्वारा पहनी जाती हैं। ये पहचान संकेत मरठी में आगे की ओर और साइड में अंग्रेजी में प्रदर्शित किए जाते हैं।

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इन नियमित बसों के अलावा, कुछ "सीमित" बस सेवाएँ भी हैं जो किसी विशिष्ट स्टाप पर ही रोकती हैं और यह बसें 'लिमिटेड' प्रत्यय से पहचानी जाती हैं । इसी प्रकार कुछ वातानुकूलित बसें भी हैं जो मुख्य रूप लम्बी दूरी मार्गों के लिए चलती हैं और सफेद कॉलर कार्यकर्ताओं को उनके कार्य स्थल तक जोड़ने का काम करती हैं ।

एक बेस्ट बस में विकलांगो, वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होती हैं।

बेस्ट बस में सीटों का आरक्षण

Source: BEST

केवल वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं, शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग लोगों को ही आगे के दरवाजे से बस में चढ़ने की अनुमति दी जाती है। से बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए क्लोज सर्किट टेलीविजन तेजी से सभी बसों में स्थापित किए जा रहा हैं।

बेस्ट बसों की आम तौर पर अच्छी तरह से देखभाल की जाती है। लेकिन यह दिल्ली में 5 रुपये और चेन्नई में 3 रुपये की तुलना में अपने न्यूनतम किराए 6 रुपये के साथ भारत की सबसे महंगी बस सेवा हो गई है । बैंगलोर में न्यूनतम किराया 6 रुपये ही है ।

अब मैं 123 में सफ़र नही करता हूँ लेकिन उसका रोमांस मेरे मन को कभी नही भूलता है ।

(चैतन्य मल्लापुर इण्डिया स्पेंड के साथ एक नीति विश्लेषक के रूप में कार्यरत हैं । जैसा की आप जान सकते हैं कि बसें उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा रही हैं। अब, वह ट्रेन से सफर करते हैं। )

कवर छवि: फ़्लिकर

छवि आभार: चैतन्य मल्लापुर

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