भारत का राजद्रोह कानून साऊदी, सूडान, ईरान के समान
15 फरवरी 2016 को नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के बाहर प्रदर्शन करते छात्र। विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को भारत के 156 वर्षीय पुराने राजद्रोह कानून के तहत 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
भारत का 156 वर्षीय राजद्रोह कानून – जिसका इस्तेमाल कर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया है – उसे ब्रिटेन (जहां एक समय में सज़ा के तौर पर कान काटे जाते थे), स्कॉटलैंड, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया द्वारा खारिज कर दिया गया है।
भारत का 156 वर्षीय राजद्रोह कानून – जिसका इस्तेमाल कर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया है – उसे ब्रिटेन (जहां एक समय में सज़ा के तौर पर कान काटे जाते थे), स्कॉटलैंड, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया द्वारा खारिज कर दिया गया है।
ऐसे देश, जहां राजद्रोह को आपराधिक कृत्य के रुप में देखा जाता है वह हैं: सऊदी अरब, मलेशिया, ईरान, उज्बेकिस्तान, सूडान, सेनेगल और तुर्की, जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया है। अमरिका में भी 218 वर्ष पहले से राजद्रोह का कानून लागू है लेकिन पिछले दो सदियों में काफी हिस्सों में यह बंद किए गए हैं। नाजी के पुर्व की संवेदनशीलता के कारण जर्मनी में राजद्रोह कानून जारी है।
कुमार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124A के तहत 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत भेजा गया है, जो वास्तव में "राजद्रोह" शब्द का प्रयोग नहीं करता है। इस पेपर के अनुसार, "यह, धारा 124A में केवल एक सीमांत नोट के रूप में पाया जाता है, और इस खंड का ऑपरेटिव हिस्सा नहीं है लेकिन शायद ही नाम प्रदान करता है जिससे खंड में परिभाषित किया गया अपराध जाना जाएगा।”
भारत में राजद्रोह असंवैधानिक नहीं: 2014 में 47 मामले
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) की इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में, भारत के नौ राज्यों में 47 राजद्रोह के मामले पाए गए हैं।
हाल ही के वर्षों में, जिन पर राजद्रोह के आरोप लगाए गए हैं उनमें कार्टूनिस्ट, क्रिकेट मैच में पाकिस्तान का उत्साह बढ़ाने वाले छात्र, एक गुजराती जाति- समूह के नेता एवं फेसबुक पोस्ट के लिए केरल का एक व्यक्ति शामिल है। आरोप लगाए गए अधिकतर मामले हिंसक या हिंसा के लिए उकसाए गए नहीं थे।
फली नरीमन, संवैधानिक विधिवेत्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है, “भारत में राजद्रोह असंवैधानिक नहीं है, यह अपराध केवल तब माना जाता है जब शब्द, बोले या लिखे गए, विकार और हिंसा और/ या हिंसा के लिए उकसाए जा रहे हों।”
नरीमन लिखते हैं, “जब एक व्यक्ति को भारत-विरोधी करार दिया जाता है, तो यह भारत के नागरिकों को अरुचिकर है लेकिन भारत-विरोधी होना अपराध नहीं है और यह निश्चित रूप से "देशद्रोह" नहीं है (इसका मतलब केवल यह है कि आप एक सनकी हैं, और यह उचित समय है अपकी मानसिक जांच होनी चाहिए!)”
फिर भी, 2014 में भारतीय राज्य सरकारों द्वारा राजद्रोह का व्यापक रुप से इस्तेमाल हुआ है।
राजद्रोह के 72% मामले बिहार और झारखंड से
झारखंड में सबसे अधिक मामले (18) दर्ज किए गए हैं। बिहार में 16, केरल में 5, ओडिशा में 2 और पश्चिम बंगाल में 2 मामले दर्ज हुए हैं।
2014 में दर्ज किए गए कुल राजद्रोह के मामलों में बिहार और झारखंड की 72% की हिस्सेदारी है।
2014 में नौ राज्यों में दर्ज किए गए राजद्रोह के मामले
इस संबंध में सबसे अधिक गिरफ्तारी बिहार (28) में हुई है। झारखंड में 18, केरल में 4 एवं ओडिशा में 4 गिरफ्तारियां हुई हैं।
राजद्रोह के आरोप में कम से कम 58 व्यक्ति – 55 पुरुष एवं तीन महिलाएं – गिरफ्तार हुए हैं।
2014 में पहली बार एनसीआरबी ने ' राज्य के खिलाफ अपराध ' पर आंकड़े शामिल किए हैं।
'राज्य के खिलाफ अपराध' को मोटे तौर पर दो श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया गया है : राज्य के खिलाफ अपराध (आईपीसी के तहत धारा 121 , 121A , 122 , 123 और 124A ) एवं विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध (आईपीसी के तहत धारा 153A & 153 B)
राज्य के खिलाफ अपराध को आगे राजद्रोह (धारा 124, आईपीसी) एवं अन्य (धारा 121, 121A, 122, 123 आईपीसी के तहत) वर्गीकृत किया गया है (नीचे देखें)
129 मामलों के साथ अन्य वर्गों की राज्य के खिलाफ अपराध के तहत हुए कुल मामलों में 73 फीसदी की हिस्सेदारी है।
कुल मिला कर, 2014 में, राज्य के खिलाफ 512 अपराध दर्ज किए गए हैं, जिनमें 176 'राज्य के खिलाफ अपराध' और 336 विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध शामिल है।
इन अपराधों के तहत करीब 872 व्यक्तियों – 865 पुरुष एवं सात महिलाओं – को गिरफ्तार किया गया है।
राज्य के खिलाफ अपराध: टॉप दस राज्य, 2014
Note: Offences against state (sections 121, 121A, 122, 123 & 124A IPC) and offences promoting enmity between different groups (sections 153A & 153B IPC).
आईपीसी की धारा 153A के तहत धर्म, जाति, जन्म स्थान, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के आरोप में कम से कम 323 मामले दर्ज किए गए हैं। इस संबंध में सबसे अधिक मामले (59) केरल में दर्ज हुए हैं।
आईपीसी की धारा 153 B यानि कि राष्ट्रीय संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने के आरोप के तहत 13 मामले दर्ज हुए हैं।
राज्य के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले केरल में दर्ज हुए हैं। केरल के लिए यह आंकड़े 72 हैं जबकि असम के लिए 56, कर्नाटक के लिए 46, राजस्थान के लिए 39 और महाराष्ट्र के लिए 34 हैं।
राज्य के खिलाफ अपराध के तहत गिरफ्तार किए गए लोग, टॉप 10 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश
राज्य के खिलाफ अपराध के तहत सबसे अधिक गिरफ्तारियां महाराष्ट्र में हुई हैं - 204 – जबकि इस संबंध में केरल में 98, मेघालय में 67, कर्नाटक में 63 एवं पश्चिम बंगाल में 59 गिरफ्तारियां हुई हैं। देश में हुई कुल गिरफ्तारियों में से टॉप पांच राज्यों की हिस्सेदारी 56 फीसदी है।
भारत का राजद्रोह कानून सऊदी अरब एवं मलेशिया की तरह
ब्रिटेन ने वर्ष 2009 में राजद्रोह कानून समाप्त कर दिया है। ब्रिटेन के विधि आयोग 1977 में कानून के उन्मूलन की सिफारिश की थी।
क्लेयर वार्ड, साल 2009 में यूके के न्याय मंत्री ने कानून समाप्त करते हुए कहा कि,“इन अपराधों को खत्म करने से ब्रिटेन को अन्य देशों में इसी तरह के कानून को चुनौती देने के मामले में नेतृत्व करने की अनुमति मिलेगी जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाई जाती है।”
वर्ष 2010 में इसका पालन स्कॉटलैंड में भी किया गया है। 1988 में कानूनी और लोकतांत्रिक सुधारों के दौरान दक्षिण कोरिया ने भी राजद्रोह कानून से दूरी बना ली है।
2007 में, इंडोनेशिया ने यह कहते हुए राजद्रोह कानून को "असंवैधानिक" बताया कि यह अपने औपनिवेशिक डच स्वामी से प्राप्त किया गया था।
इसके विपरीत , अक्टूबर 2015 में, मलेशियाई संघीय अदालत ने अपने औपनिवेशिक युग राजद्रोह कानून के लिए चुनौती को खारिज कर दिया है - भारत के ही मूल के साथ – जो अक्सर राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
साऊदी अरब ने, इस वर्ष जनवरी में राजद्रोह के आरोप में शिया धर्मगुरु, शेख निम्र अल निम्र को मौत की सज़ा दी है।
- 121 - भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना।
- 121 ए – ऐसे किसी अपराध के लिए साज़िश रचने के लिए 10 साल कैद या उम्रकैद की सजा का प्रावधान दिया गया है।
- 122 - भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार आदि संग्रह करना।
- 123 – ऐसी बातों को छुपाने या देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले लोगों का साथ देना
- 124 ए – राजद्रोह
Source: Bombay High Court
(मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 18 फरवरी 2016 को indiaspend.com के साथ प्रकाशित हुआ है।
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