भारत के भूकंप प्रवृत सूचि में 81 कस्बे / शहर जुड़े
हाल ही में भारत के पूर्वोत्तर एवं उत्तर राज्य भूकंप के तीव्र झटकों से हिल गए थे। आठ नए शहरों या कस्बों को “गंभीर तीव्रता" वाले भूकंप की चपेट में आने वाले शहरी क्षेत्रों की सरकार की सूची में जोड़ा गया है।
कुल मिलाकर, 81 नए कस्बों और शहरों को भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों की सूचि में जोड़ा गया है। अब कुल मिलाकर सरकार की सूची में ऐसे 107 स्थान हैं। यह जानकारी 16 मार्च,2016 को जारी सरकारी आंकड़ों में सामने आई है।
2002 में, केवल गुवाहाटी और श्रीनगर के ही "बहुत गंभीर तीव्रता क्षेत्र” या ज़ोन 5-उच्चतम जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र के रुप में चिन्हित किया गया था। हाल ही में जोड़े गए स्थान हैं, जोरहाट, हिमाचल में मंडी, असम में सादिया और तेजपुर, गुजरात में भुज, बिहार में दरभंगा, मणिपुर में, इम्फाल, नागालैंड में कोहिमा। पूरा उत्तर-पूर्व भूकंपीय क्षेत्र 5 में आता है।
Source: Lok Sabha/National Disaster Management Authority; Note: 11 cities from the National Disaster Management Authority list did not figure in Lok Sabha reply dated March 16, 2016.
हाल ही में भूकंप से झटकों से फैला आकस्मिक भय एक सतत चेतावनी है कि भारत असुरक्षा वाले विशाल क्षेत्र हैं।
#Earthquake: 6.9 magnitude quake hits #Myanmar, no immediate reports of damage | https://t.co/WhH0fZL0As | pic.twitter.com/reojniNHAR
— The Indian Express (@IndianExpress) April 13, 2016
#Earthquake aftermath: Three admitted in hospital in Siliguri (WB) after sustaining injuries during panic caused. pic.twitter.com/WKTI6dbfub
— ANI (@ANI_news) April 13, 2016
#WATCH:People in large numbers in Shillong vacated their residences in wake of tremors felt in city(earlier visuals)https://t.co/VMzQEByWqe
— ANI (@ANI_news) April 13, 2016
उप महाद्वीपीय भूभाग का लगभग 60 फीसदी भूकंप की चपेट में है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 2015 में बताया है, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से 2002 के आंकड़ों के अनुसार 38 भूकंप की आशंका वाले शहर हैं (करीब आधे मिलियन आबादी का भूकंपीय जोल 3, 4, 5 में होने के साथ)।
एक बड़े हिमालय भूकंप – 500 से अधिक वर्षों से अपेक्षित - की संभावना है, हालांकि यह कोई नहीं बता सकता कि भूकंप कब आएगा, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले भी बताया है।
क्यों भारत की पट्टी है अस्थिर ज़मीन पर
हिमालय और उत्तर भारत विशेष रूप से अस्थिर जमीन पर हैं। मनुष्य से पहले, भूवैज्ञानिक अतीत में, भारत गोंडवाना नामक एक प्राचीन महाद्वीप से दूर टूटा था (यह नाम अभी भी छत्तीसगढ़ के लिए इस्तेमाल किया है)।
भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों - पृथ्वी की पपड़ी के वर्गो जो महाद्वीपों को सहन करते हैं - यूरेशियन प्लेट के नीचे, भारतीय प्लेट उत्तर की ओर जाता हुआ, इस टक्कर के क्षेत्र में 50 मिलियन वर्षो से संघर्ष में है। यही कारण है कि माउंट एवरेस्ट सहित हिमालय, अभी भी बढ़ रहे हैं।
2 दिसंबर, 2015 को लोक सभा में पृथ्वी विज्ञान मंत्री द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार, 2015 में, तीन से अधिक मैग्निटूड वाले कम से कम 392 भूकंप भारत के आस-पास हुए हैं। पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन - भूकम्प विज्ञान के लिए राष्ट्रीय केन्द्र द्वारा संचालित भूकंप नेटवर्क ने यह सूचना दी है।
इनमें से 136 भूकंप भारत में हुए हैं, 114 जोन – 5 में, 14 ज़ोन 4 में, पांच ज़ोन 3 में, और 3 ज़ोन 2 में हुए हैं।
Intensity Of Earthquakes In Different Zones | |
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Seismic Zone | Intensity on Modified Mercalli scale |
Zone II (Low intensity zone) | VI (or less) |
Zone III (Moderate intensity zone) | VII |
Zone IV (Severe intensity zone) | VIII |
Zone V (Very severe intensity zone) | IX (and above) |
सरकार ने अपने लोकसभा जवाब में कहा है कि, “पिछले 30 वर्षों के भूकंप के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भूकंपीय दर में कोई वृद्धि या गिरावट नहीं हुई है”।
अप्रैल 2015 में, नेपाल में 7.9 मैग्निटूड स्केल के बड़े पैमाने के भूकंप से बड़ी तबाही मची थी। इस भूकंप में कम से कम 80,000 लोगों की मौत एवं 20,000 लोग घायल हुए थे। भूकंप के झटके भारत के कई इलाकों में महसूस किए गए थे जिसमें 102 लोग मारे गए और लगभग 13,000 घरों को नुकसान पहुंचा था।
आजादी के बाद से भारत में भूकंप; जोखिम, इतिहास देती है चेतावनी
आधुनिक भारत में, 2001 में गुजरात में हुआ बड़ा भूकंप लोगों के ज़हन में अब तक है। भूकंप के इस झटके में कम से कम 20,000 मारे गए थे।
2004 का सुनामी , जो अब तक का तीसरा सबसे गंभीर भूकंप दर्ज है, 9.3 तीव्रता रिक्टर पैमाने पर था। यह घटना तब घटी जब बर्मा प्लेट के तहत, भारतीय प्लेट सामान्य की तुलना में अधिक तीव्रता के साथ सरका। इससे, समुद्र की सतह को उपर ठेलते हुए और पानी बाहर की ओर फेंकते हुए, परत में 100 किलोमीटर लंबी दरार पड़ी थी, जिससे सुनामी की घटना घटी और इसमें 14 देशों में 230,000 लोग मारे गए थे।
किसी भी भारतीय महानगर में गंभीर भूकंप नहीं देखा गया है, हालांकि दिल्ली उच्च जोखिम वाले भूकंपीय जोन 4 में आता है। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जोन 3 में आते हैं।
कुछ सबक 1934 में बिहार और 1950 में असम से आते हैं।
हालांकि इस भूकंप का केंद्र 10 किमी माउंट एवरेस्ट के दक्षिण में था, 1934 के बिहार भूकंप के झटके मुंबई से ल्हासा तक महसूस किया गया था। इस घटना में बिहार के कई जिलों में लगभग सभी प्रमुख इमारतों सपाट हो गए थे और कलकत्ता में कई भवनों को भी नुकसान पहुँचा था। 8.4 तीव्रता रिक्टर पैमाने पर आया यह भूकंप गंभीर था जिसमें कम से कम 8,100 लोग मारे गए थे (महात्मा गांधी ने कहा कि यह छुआछूत के पाप के लिए सजा था )।
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, 1950 में आया असम भूकंप, भौगोलिक रूप से हिमालय में एक बहुत बड़ा मंच तैयार हो सकता है।
(आप नवीनतम भूकंप की रिपोर्ट के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाइट की देख सकते हैं।)
मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 15 अप्रैल 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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