भारत में गौ मांस की भोज्य खपत बढ़ी, लेकिन चिकन खपत सर्वोच्चस्तर पर
भारत में गौ मांस और भैंस के मास की खपत बढ़ रही है, साथ में अन्य प्रकार के भोज्य मांस का इस्तेमाल भी बढ़त पर | इसी के साथ, मुंबई उच्च न्यायालय में गौ मांस/गौ वध के समबंध में कानूनी अधिनियम लाने के लिए बहस शुरू | साथ ही, महाराष्ट्र सरकार ने अन्य पशुओं के वध को रोकने के लिए भी अपने विचार स्पष्ट किए |
वर्ष 2004-05 से 2011-12 के बीच भारत के शहरी क्षेत्रों में गौ मांस/भैंस मांस की खपत 14% और ग्रामीण भारत में 35% खपत की वृद्धि हुई | यह आंकड़े इंडियास्पेंड ने राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की रिपोर्ट का अध्ययन कर प्रकाशित किया है |
यद्यपि मांसाहारियों (नॉन-वैजिटैरियन) के लिए पौल्ट्री/चिकन सबसे प्रिय है– पर अन्य प्रकार के मांस भोज्य पदार्थ की भी खपत बढ़त पर है | जैसा की निम्न चार्ट से आंकड़ों से स्पष्ट है |
शहरी भारत में प्रति माह/प्रति व्यक्ति मांस खपत (ग्राम में)
ग्रामीण भारत में प्रतिमाह/प्रति व्यक्ति मांस खपत (ग्राम में)
Source: National Sample Surveys—61st, 66th, 68th rounds
भारत में चिकन के बाद सबसे ज्यादा मछली की खपत होती है | मछ्ली की खपत प्रति माह / व्यक्ति 22% शहरी भारत में और 32% ग्रामीण भारत में वृद्धि हुई |
लेकिन वर्ष 2004 से 2011-12 के बीच चिकन की खपत में बहुत वृद्धि हुई, जोकि 181% शहरी क्षेत्रों में और 256% की बढ़त भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई.
भारतीय जनता पार्टी की 11 राज्य की सरकारों और केंद्र में भी (बीजेपी) स्थापित सरकार को उपरोक्त निरंतर बढ़ती मांस की खपत हतोत्साहित करती नजर नहीं आती | हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, “ गौ वध करने की अनुमति इस देश में नहीं की जा सकती | हम इसे रोकने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे.
भारतीय लोगों की बढ़ती संपन्नता और आय का सीधा संबंध मांसाहारियों द्वारा निरंतर अधिक मांसाहार की ओर बढ़्ने में है | भारत में प्रति व्यक्ति आय का प्रतिशत 55% बढ़ा है – यह वही – 2005-06-2010-11 का समय अन्तराल है जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मांसाहार काफी बढ़ गया.
Source: Economic Survey 2014-15
पूरे भारत में बढ़ती आय ने मोटे आनाज की खपत में कमी की है, और प्रोटीन युक्त भोजन और ज्यादा वसा युक्त खाद्य पदार्थ की भी खपत बढ़ी है, लेकिन इस मामले में भारत, चीन और अमेरिका से काफी पीछे है. यह उक्त ग्राफ/अध्ययन से पता चलता है.
भारत के शहरी/ ग्रामीण क्षेत्रों में मांसाहार भोजन (नॉन- वैजिटैरियन) के निरंतर बढ़ते आकर्षण के बावजूद, महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अप्रैल 6, 2015 को कहा कि अब वह गौ वंश के वध को कानूनन रोकने के अलावा- अन्य पशुमांस के इस्तेमाल/वध को भी कानूनन रोकने के लिए विचारशील है |
जब महाराष्ट्र सरकार के महाधिवक्ता सुनील मनोहर ने न्यायाधीश वीएम कनाडे और एआर जोशी से कहा कि महाराष्ट्र सरकार के नवीन पशु संरक्षण (संशोधित) अधिनियम– एक तरह से पशुओं के प्रति कत्ली हिंसा को रोकने की तरफ एक कदम है- तो इस पर न्यायाधीश कनाडे ने पूछा, “ अन्य जानवरों–बकरों के प्रति क्या विचार है ?”
मनोहर ने जवाब में कहा, “महोदय ये तो सिर्फ शुरुआत भर है | भविष्य में हम अन्य पशुओं के वध को भी बंद करने का विचार कर सकते हैं i ”
उपरोक्त बात पर न्य्यायमूर्ति कनाडे ने मज़ाक में कहा, “आपके ऐसे विचार मांसाहारियों को राज्य से बहार जाने को सोचने पर मजबूर कर सकते हैं | लेकिन मछ्ली भोजन पर रोक न लगाएं – तो अच्छा है.”
महाराष्ट्र में मांसाहारी लोगों की सर्वाधिक पसंद चिकन है– दूसरे नंबर पर मछली और मटन आता है|
महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति/माह मांस की खपत (ग्राम में)
महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति /माह मांस की खपत (ग्राम में)
Source: National Sample Surveys—61st, 66th, 68th rounds
महाराष्ट्र में वर्ष 2004-05 और 2011-12 के अंतराल में गौ मांस/ भैंस मांस की प्रति व्यक्ति/माह खपत में वृद्धि दर्ज की गयी, जोकि शहरी क्षेत्रों में 45% और ग्रामीण क्षेत्रों में 41% दर्ज की गयी | प्रति व्यक्ति/माह भेड़ मांस की खपत में जहां महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में वृद्धि 11% दर्ज हुई, तो वहीँ महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में 53% की खपत में कमी पायी गयी.
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