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भारत में नशीली दवाओं और अपराध का जोर बढ़ता जा रहा है। सरकार की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन सालों ( 2011-13) में भारत में नशीली दवाओं के कारोबार में पांच गुना ( 455 फीसदी ) वृद्धि दर्ज की गई है।

इन तीन सालो में भारत में105,173 टन अवैध दवाएं जब्त की गई हैं। जब सारी दुनिया मादक पदार्थों के सेवन और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस, (26 जून, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित) मना रही है, नशीली दवाओं का प्रयोग एवं नशे की बढ़ती लत निश्चित रुप से भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2014 के मुताबिक लगभग पूरी दुनिया के 18 फीसदी आबादी के साथ, जो15 से 64 आयु वर्ग के बीच आते हैं, भारत दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण - पश्चिम एशिया दोनों में नशीली दवा व्यापार का एक बड़ा बाज़ार बन गया है।

ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 10.7 मिलियन लोग, जितनी स्विडन देश की जनसंख्या है, नशीली दवाओं का सेवन करते हैं। लगभग 8.7 मिलियन भांग खाने के आदि हैं जबकि 2 मिलियन लोग अफीमयुक्त दवाओं का सेवन करते हैं।

मिजोरम, पंजाब और मणिपुर राज्यों के लोग सबसे अधिक नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते देखे गए हैं। इसका एक कारण इन राज्यों का अंतरराष्ट्रीय सीमओं और अंतरराष्ट्रीय दवा की तस्करी क्षेत्रों, जैसे कि " स्वर्ण त्रिभुज " ( म्यांमार , थाईलैंड और लाओस ) और " गोल्डन क्रीसेंट " ( ईरान , अफगानिस्तान और पाकिस्तान) के निकट होना हो सकता है।

Source: Lok Sabha; Figures for 2014 as on Dec 9, 2014; units in tonnes

भारत के जिन राज्यों में अवैध दवाओं को जब्त किया गया हैं उन राज्यों में मिजोरम पहले स्थान पर है। मिजोरम में पिछले चार सालों में करीब 48,209 टन नशीली दवाइयां जब्त की गई हैं। मिजोरमके बाद दूसरा स्थान पंजाब का है। पिछले चार सालों में पंजाब में करीब 39,064 टन नशीली दवाईयां बरामद की गई हैं।

जब्त की गई दवाइयों में एम्फ़ैटेमिन , भांग के पौधे , कोकीन, इफेड्रिन , गांजा , चरस , हेरोइन, केटामाइन, लिसर्जिक एसिड, डेथाएलामाइड, एसिटिक एनहाइड्राइड, मिथायलेनडायक्सी, और अफीम जैसी खतरनाक दवाइयां शामिल हैं।

Source: Lok Sabha; Figures for 2014 as on Dec 9, 2014

पिछले चार सालों में दवा तस्करी के लगभग 64,737 मामले दर्ज हुए हैं। इन चार सालों में पंजाब में सबसे अधिक, करीब 21,549 दवा तस्करी के मामलेदर्ज किए गए हैं।

साल 2013 में पंजाब में दर्ज आधे से अधिक मामलेस्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act , NDPS)के तहत दर्ज किए गए हैं। हमने आपको पहले ही बताया कि पंजाब के ग्रामीण इलाकों में 67 फीसदी लोग नीशीली दवाइयों या मादक पदार्थों का सेवन करती है जबकि पंजाब के 70 फीसदी युवा आबादी नशा करने की आदि है। यह आकंड़े सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान सामने आई है।

मणिपुर में करीब 45,000-50,000 लोग नशे की चपेट में हैं। इनमें से आधे से अधिक लोग इंजेक्शन के ज़रिए नशे का सेवन करते हैं।

अध्ययन के दौरान पता चला है कि नशा करने वाले लोगों में से 12 फीसदी लोगों की उम्र 15 वर्ष से नीचे होती है जबकि 31 फीसदी लोग 16 से 25 वर्ष की आयु के बीच के होते हैं और 56 फीसदी 25 से 35 वर्ष के बीच के होते हैं।

Source: Lok Sabha; Figures for 2014 as on July 22, 2014

पिछले चार सालों में ड्रग तस्करी मामले में कम से कम 64,302 लोगो को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से कुछ विदेशी भी हैं।

गिरफ्तार हुए लोगों में सबसे अधिक संख्या नेपालियों की है। साल 2011 से 2014 के बीच गिरफ्तार हुए लोगों में करीब 266 लोग नेपाल के हैं जबकि 210 नाइजेरिया के और 96 बर्मा के हैं।

नशीली दवाओं की तस्करीसबसे अधिक भारत-बंग्लादेश सीमा पर देखा गया है। साल 2011 से 2014 के बीच भारत-बंग्लादेश सीमा पर करीब 1,607 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि भारत-नेपाल सीमा पर 799 मामले, भारत- म्यांमार सीमा पर 317 और भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर 120 मामले दर्ज किए गए हैं।

( मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं )

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 26 जून 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है


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