भारत विश्व में ड्रोन- मानव-रहित लघु विमान का सबसे बड़ा आयातक देश
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Source: Storyful
भारत विश्व में ड्रोन- मानव-रहित लघु विमान का सबसे बड़ा आयातक देश
भारत नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स द्वारा नेपाल में पिछले सप्ताह आये विनाशकारी भूकंप जिसमें 7,000 से भी ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई, उसके विनाश के भू –क्षेत्रों की मानव रहित वायुयान ड्रोन से मापने का निर्णय लिया गया है |
1985 से 2014 के बीच भारत मानव रहित वायुयान ड्रोन के आयात में उसका स्थान विश्व में प्रथम है, उसके बाद यूनाइटेड किंगडम का नाम आता है| विश्व भर में संपूर्ण आयात में भारत का हिस्सा 22.5 % है |
मानव रहित वेहिकिल या जिसको द्रोंस कहा जाता है, वस्तुतः कूटनीतिक ,सामरिक , आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में सर्वेक्षण निगरानी और विभिन्न तरह की सूचना ,विडियो, फोटोज और युद्धक एयर मिशन के क्षेत्र में लांचरों से विभिन्न आवश्यक और आपदाग्रस्त क्षेत्रों में उड़ाये जाते है |
सामरिक इस्तेमाल के द्रोंस सबसे पहली बार वर्ष 2007 में अमेरिका नें 2 mq-9 रीपर्स यूनाइटेड किंगडम को निर्यात किया और जिसे ब्रिटिश आर्मी ने अफगानिस्तान में इस्तेमाल किया |
इन ड्रोन का सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है, कि मानवीय युद्धक विमानों की कीमतों से यह हजारों गुना सस्ते होतें है और इनके इस्तेमाल के कारन पायलट्स की जान बच जाती है|
निम्नलिखित आंकड़ा से ज्ञात होता है कि द्रोंस का पूरे विश्व में कितना आयात- निर्यात हुआ | विश्व में ऐसे भी देश है जिन्होएं ने स्वयं द्रोंस को विकशित कर लिया है, अतःविभिन्न देशों द्वारा ड्रोन को रखने का अधिकृत आंकड़ा उपलब्ध नहीं है|
वर्षा 1985 और 2014 के बीच विश्व के विभिन्न देशों ने आपस में 1574 ड्रोन का ट्रांसफर किया | स्वीडन स्थित एक स्वतंत्र वैश्विक सामरिक शोध संस्थान –स्टोकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च संसथान (SIPRI), द्वारा दिया गया आंकड़ा के अनुसार उपरोक्त द्रोंस संख्या में 16 सामरिक इस्तेमाल के लियें है|
Transfers Of Unmanned Aerial Vehicles, 1985–2014 | ||||||
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Category | 1985-90 | 1990-94 | 1995-99 | 2000-04 | 2005-09 | 2010-14 |
UAV | 185 | 164 | 192 | 272 | 317 | 428 |
Armed UAV | - | - | - | - | 5 | 11 |
Total UAV | 185 | 164 | 192 | 272 | 322 | 439 |
Percentage of total transfers of major weapons | 0.05 | 0.09 | 0.04 | 0.11 | 0.27 | 0.34 |
Source: SIPRI; Note: The ‘percentage of total transfers of major weapons’ shows the percentage accounted for by deliveries of UAVs to actual deliveries of all major weapons. Percentages are based on volumes measured in SIPRI trend-indicator values. Figures have been rounded.
वर्षा 1985 और 2014 के बीच विश्व बाजार में द्रोंस की खरीद फ़रोख्त में 137 प्रतिशत की वृद्धि हुई | वर्ष 1985-1990 के बीच वैश्विक बाजार में 185 द्रोंस बिक्री हुई, जो कि 439 ड्रोन तक 2010-14 में पहुँच गयी |
पिछले दशक में 16 सामरिक ड्रोन की भी बिक्री हुई |
Top Recipients, 1985 to 2014 | |||||||
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Recipient | 1985-89 | 1990-94 | 1995-99 | 2000-04 | 2005-09 | 2010-14 | Total share (1985-2014) |
India | - | - | 14.6 | 56.8 | 39.6 | 13.2 | 22.5 |
United Kingdom | - | - | - | - | 23.2 | 33.9 | 20.5 |
France | - | 60.3 | 18.9 | 6.7 | 4 | 3.7 | 9.8 |
Egypt | 65.5 | 21.4 | - | 0.7 | - | 0.7 | 7.4 |
Italy | - | - | - | 9.4 | 1.2 | 9.8 | 5.2 |
Source: SIPRI; Note: Figures show the shares (in percentage) of the volume of actual deliveries of unmanned aerial vehicles (UAV) in each 5-year period, and the total share for the period 1985-2014. Percentages are based on the volumes measured in SIPRI trend-indicator values (TIVs).
वर्षा 1985 और 2014 के बीच विश्व बाजार में द्रोंस की खरीद फ़रोख्त में 137 प्रतिशत की वृद्धि हुई | वर्ष 1985-1990 के बीच वैश्विक बाजार में 185 द्रोंस बिक्री हुई, जो कि 439 ड्रोन तक 2010-14 में पहुँच गयी |
पिछले दशक में 16 सामरिक ड्रोन की भी बिक्री हुई |
ड्रोन पूरे विश्व में फैल चुकें हैं |
भारत का पहला मानव रहित ड्रोन की डिलीवरी वर्ष 1998 में इजराइल ने किया |दूसरी तरफ यूनाइटेड किंगडम ने अपना पहला ड्रोन वर्ष 1972 में कनाडा से आयात किया |
विश्व में जापान सबसे पहला देश है जिसने अपना पहला ड्रोन अमेरिका से 1968 में ख़रीदा था |SIPRI के आंकड़ों के अनुसार भारत के सभी ड्रोन इस्राइल से आयात किये गए | कुल 176 आयातित द्रोंस में 108 सर्चर और 68 हिरोन श्रेणी के हैं |
वर्ष 1985 से 2014 के बीच विश्व में इजराइल द्रोंस का सबसे बड़ा निर्यातक देश है , जो की कुल विश्व स्तर पर 60.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है |
Top Suppliers, 1985 to 2014 | |||||||
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Supplier | 1985-89 | 1990-94 | 1995-99 | 2000-04 | 2005-09 | 2010-14 | Total share 1985-2014 |
Israel | 8.5 | 18.3 | 55.9 | 69.1 | 79.6 | 65.9 | 60.7 |
USA | 66.5 | 21.4 | 15.9 | 13.2 | 12.8 | 27.4 | 23.9 |
Canada | - | 60.3 | 31 | - | - | - | 6.4 |
Soviet Union | 25.1 | - | n.a. | n.a. | n.a. | n.a. | 1.9 |
France | - | - | 7.3 | 7.9 | 1 | 0.7 | 1.6 |
Source: SIPRI; Note: Figures show the shares (in percentage) of the volume of actual deliveries of unmanned aerial vehicles (UAV) in each 5-year period, and the total share for the period 1985-2014. Percentages are based on the volumes measured in SIPRI trend-indicator values (TIVs).
अमेरिका का विश्व द्रोंस निर्यात में हिस्सा 23.9 प्रतिशत है दूसरा कनाडा है जिसकी हिस्सेदारी 6.9 है| यह दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश द्रोंस को बेच कर बन गया है|
वर्ष 1980 से विश्व बाज़ार में इस्राइल नें 783 द्रोंस को निर्यात कर एक प्रमुख निर्यातक देश बन गया |
Total UAV Exports, 1950 to 2014 | |
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Supplier | Total UAVs delivered to all recipients |
Israel* | 783 |
Canada | 450 |
USA | 413 |
France | 82 |
Austria | 80 |
Italy* | 62 |
Germany | 40 |
Iran | 35 |
South Africa* | 26 |
China | 23 |
Source: SIPRI; * Israel, Italy and South Africa have also delivered UAVs to unidentified recipients (Israel delivered 4 to 2 unidentified countries in 2003; Italy 5 to 1 unidentified country in 2014; South Africa 5 to 1 unidentified country in 2010).
चाइना विश्व ड्रोन बाजार में दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है | वर्ष 2014 में , जब उसने 5 ड्रोन नाइजीरिया को दिया जिसने उन द्रोंस को बोको हरम नामक आतंकवादी संगठन के खिलाफ इस्तेमाल किया |
विश्व भर में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर काफी तीखी आलोचना हो रही है , क्योंकि सामरिक ड्रोन दुर्घटनावश दुश्मन देश के युद्ध क्षेत्रों के अलावा कभी – कभी उस देश के नागरिक इलांकों में भी आतंकवादी ठिकानो के चक्कर में विनाश करतें है |
ब्यूरो ऑफ़ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के अनुसार 2009-2014 के बीच ओबामा प्रशाशन ने 5 हमलों से कुल 390 ड्रोन हमलों में कुल 2400 [273-नागरिक ] को ड्रोन हमलों में मार डाला |
ड्रोन के बढते इस्तेमाल ज्यदातर सामरिक मामलों में
भारत में द्रोंस का ज्यादातर इस्तेमाल पर्यवानिया क्षेत्र और आपदा के समय में ही होता है ,जबकि अमेरिका ने द्रोंस का सामरिक इस्तेमाल पकिस्तान ,अफगानिस्तान और यमन में किया है | इस सम्बन्ध में समीर पाटिल जो की रास्ट्रीय सुरक्षा , अंतर जातीय संघर्ष और आतंकवादी –अध्यन में एसोसिएट फेलो गेटवे हाउस और पूर्व उप निदेशक नेशनल सिक्यूरिटी कौंसिल सचिवालय ,पीएमओ कार्यालय में रहें है , ने उक्त बातें बताते हुय आगे कहा कि भारत पाक बोर्डर पर इस्तेमाल कि,या गए द्रोंस अपेक्षाकृत सरल थे बनिस्पत उनके जिनको भारत ने चीन बोर्डर पर लद्दाख में किया , क्यूंकि उन द्रोंस में लम्बी दूरी तक मारक शक्ति और ऊँचे तक आसमान पर जाकर नीचे के एरिया में काम करने की शक्ति है |
भारत के द्रोन- एस्क्वाद्रान इजराइल से आयातित हेरोंस और सीर्चेर mk-2 को ओपरेट करने में माहिर है | लेकिन अब भारत ने भी अपनी टेक्नोलॉजी विकसित कर लिवह या है और वह कुछ विशेष द्रोंस के निर्माण में क्षेत्र और उसके विकास में निरंतर प्रयोगशील है, उसके उदारहण निम्न है ;-,
भारत के द्रोंस – स्कुवाद्रोंन इस्राइल से आयातित – हिरोंस और सर्चर MK-2 को ही ओपरेट करनें में माहिर हैं |लेकिन अब भारत में भी अपनी टेक्नोलॉजी विकशित कर लिया है कुछ विशेष द्रोंस के निर्माण क्षेत्र में और उनके निरंतर विकास में प्रयोग शील है |
नेत्र नामक भारतीय ड्रोन विमान – यह आईडिया फोर्ज टेक्नोलॉजी और डिफेन्स रिसर्च और डेवलपमेंट संघठन के संयुक्त सहयोग से बनाया गया है |यह हेलीकाप्टर की तरह जमीन पर उतर और आकाश में वर्टिकली जा सकता है | यह स्वयं चालित है और उड़ कर वापस अपने अड्डे पर वापस आ जाता है |
Source: ideaForge
भारत की नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फ़ोर्स ने नेत्र द्रोंस को उत्तराखंड की 2013 की विनाशकारी बाढ़ में जीवित बचे लोगों को खोज निकालने के लिया किया और विनाश के क्षत्रों -को मापने के लिया किया | इनको वर्ष 2013 की भुज की विनाशकारी बाढ़ में भी इस्तेमाल गुजरात सर्कार ने किया |
निशांत नमक स्वदेश निर्मित ड्रोन रात –दिन पर्यवेक्षण ,टार्गेट –ट्रैकिंग , टारगेट coordinates को निकालने ,तोपखाने के बिस्फोटों को नियन्त्रित करने और विनाश को प्राप्त हुवे क्षत्रों को मापने के लिया होता है
पंछीनिशांत ड्रोन का ही एक परिवर्तित रूप जो पहियों पर चलायमान होता है | यह अत्यंत छोटे स्थान से उड़ और उन पर उतर भी सकता है |इसने अपनी पहली उड़ान दिसम्बर 2014 में भरी |
रूस्तम I : सब मौसम में कार्य सक्षम , माध्यम ऊंचाई में भी उड़ान भरने में फिट रहता है और लम्बी दूरी तय करने भी | यह मध्य से लम्बी दूरी तक की रेंज में कार्य कर सकने में और वास्तविक उच्च गुणवत्ता संपन्न और रेडियो सिग्नल्स को ग्रहण करने , भेजने में सक्षम सामरिक उपयोग के लिया है |
रूस्तम II: इसको विकसित किया जा रहा है जिससे, यह 30000 फिट तक लगातार 24 घंटे उड़ कर और काम कर के वापस अपने अड्डे पर आ जावे |
ऑरा : यह सामरिक युद्धक ड्रोन है जो की 30 हज़ार फिट तक मिसाइल्स ,बोम्ब्स ,और नियंत्रित मिसाइल्स को आकाश में ले जाकर फेंकने की क्षमता रखता है |
लक्ष्य: यह ड्रोन रिमोट से नियंत्रित है और भारतीय सेना के मिसाइल विंग , वायु सेना के पायलट्स और गन - विंग के सैनिकों को लक्ष्यों के प्रति किस तरह टारगेट किया जावे –इसकी ट्रेनिंग देने में काम आता है |
होमपेज इमेज क्रेडिट : विकिमेडिया/यू.एस.एफ
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