मुंबई में रेल पटरियों अब हर दिन 8 मौत, पहले 10
मुंबई: 2017 में मुंबई में रेल की पटरियों पर हर दिन आठ लोगों की मौत का आंकड़ा है। यह 2013 में हर दिन होने वाली 10 मौतों से 20 फीसदी नीचे है, जैसा कि मुबंई के सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) के आंकड़ों से पता चलता है।
लगभग 8 मिलियन यात्री ( हैदराबाद की आबादी से ज्यादा ) दुनिया में सबसे ज्यादा यात्री घनत्व के साथ हर सप्ताह मुंबई रेल नेटवर्क के 2,800 सेवाओं पर यात्रा करते हैं।
19 जुलाई, 2018 को मुंबई के बांद्रा स्टेशन में एक ट्रेन के टक्कर के बाद एक महिला की मौत हो गई थी। यह महिला अपने दो बच्चों के साथ पटरियों को पार करने की कोशिश कर रही थी। इस घटना में बच्चे घायल हो गए थे, जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने 19 जुलाई, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
एक और घटना में, बोरीवली स्टेशन पर ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच के अंतराल में फिसल जाने से एक 50 वर्षीय बैंकर की मृत्यु हो गई थी, जैसा कि फर्स्टपोस्ट ने 13 जुलाई, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
19 जुलाई, 2018 को मुंबई के एल्फिंस्टन स्टेशन का नाम बदलकर प्रभादेवी कर दिया गया था। जिसके बाद लोगों ने सवाल उठाए कि महानगर में रेल के बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय स्टेशनों का नाम क्यों बदले जा रहे हैं।
Did bridges stop falling because we renamed Elphinstone Road station as Prabhadevi ! #justasking #mumbaiquirks The money spent on renaming could have filled a few potholes
— Ravi Subramanian (@subramanianravi) July 19, 2018
Hello Govt!! People are losing lives due to potholes, bridges are collapsing, everyday we have kms of traffic jams, Arabian Sea is throwing garbage back at us,infrastructure is collapsing. What are you doing about it??
We changed Elphinstone Road Station name to Prabhadevi
— Atul Khatri (@one_by_two) July 19, 2018
Stupidity.. Improve the service (timelines, food hygiene, security at platform & ladies coaches) .. by changing Elphinstone to Prabhadevi wouldn't affect anything to daily Mumbaikars commuters.
— Sachin Patil सातारकर व मुंबईकर 🇮🇳 राज समर्थक.. (@SP_from_Satara) July 17, 2018
If the name of Elphinstone Road station is changed to Prabhadevi why not change the name of Mahim station to Sitaladevi ? Everyday Railway bridges are closed because of cracks. Instead of tackling major safety issues Railways are busy changing names of the stations.
— Makarand Waingankar (@wmakarand) July 18, 2018
The Railway Ministry took a very important decision today. Elphinstone Road station is now Prabhadevi.
Makes me so happy. The locality I live in, finally has a railway station.
— शिक्षित बेरोज़गार (@kaul_vivek) July 17, 2018
Correction to true name #Prabhadevi is good move,appreciated by the masses.V sud remember&preserve our Indian heritage values,civilization, sacraments&culture Time hs come to stop listening to a miniscule Western/colonial minded pusedo elite in media.Let's strengthen #nexusofgood https://t.co/9u6bhiBTLo
— Shiv Kanodia (@ShivKanodia) July 18, 2018
पिछले पांच वर्षों में (20 जुलाई, 2018 तक) मुंबई के पटरियों पर 18,050 मौतों की सूचना मिली थी। इनमें से 89 फीसदी पुरुष और 11 फीसदी महिलाएं थीं। आंकड़ों से पता चलता है कि ट्रैक में मरने वालों में से कई लोगों की पहचान नहीं हो पाती है।
मुबंई के रेल ट्रैक पर होने वाली मौत, 2013-18
राज्य के अनुसार ट्रैक पर होने वाली मौत, 2017
Source:Shodh
Note: Deaths recorded by respective railway police stations.
सेंट्रल लाइन क्षेत्र सबसे ज्यादा घातक प्रतीत होता है। 2017 में कल्याण में 368 मौतों की सूचना मिली है। इसके बाद कुर्ला (331) और ठाणे (324) का स्थान रहा है।
मुंबई में ट्रेनों से गिरने से यात्री की मौतें ‘बहुत अधिक’ थीं, क्योंकि कोचों की क्षमता के मुकाबले अधिक यात्रियों को ले जाया जाता है, जैसा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, सरकार के लेखा परीक्षक से उपनगरीय रेल सेवाओं पर 2016 की एक रिपोर्ट में कहा गया है।
2014-15 में, मुंबई की उपनगरीय केंद्रीय सेवाओं पर प्रति कोच यात्रियों की औसत संख्या ‘क्रश लोड’ की तुलना में 6 फीसदी (2,666) अधिक थी - जबकि पश्चिमी लाइन सेवाओं पर क्रश लोड से 9 फीसदी (2,743) अधिक था, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है।
3 वर्षों में देश भर में रेलवे पटरियों पर 49,790 मौतों की सूचना
18 जुलाई, 2018 को लोकसभा के इस जवाब के मुताबिक 2015 और 2017 के बीच देश भर में रेलवे पटरियों पर कम से कम 49,790 लोगों की मौत हुई है।
जवाब में कहा गया है, "रेलवे पटरियों पर मौतों की वजह अनधिकार प्रवेश करना, सुरक्षा निर्देशों का उल्लंघन, ओवर ब्रिज पुलों से परहेज करना, और रेलवे पटरियों को पार करते समय मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का उपयोग करना है। "
2017 में, रेल पटरियों पर अनाधिकार प्रवेश के लिए173,112 लोगों पर मुकदमा चलाया गया था।
(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ा हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 2 अगस्त, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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