Mumbai, India

भारत के हर महानगर में या यूं कहें कि दुनिया के अधिकतर हिस्सों में रेल प्रणाली घाटे में ही चलती है। अक्सर इन पद्धतियों का प्रयास रेलवे को होने वाले घाटे को कम करना होता है। दिल्ली की 13 साल पुरानी मेट्रो इस प्रयास में काफी सफल साबित हुई है।

देश के तीन बड़े उपनगरीय रेलवे नेटवर्क की तुलना में देश की राजधानी दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों में दौड़ती 6 लाइन मेट्रो प्रणाली प्रति किलोमीटर ( 2011-12 ) 0.47 करोड़ रुपए कम नुकसान उठाती हैं। लेखक के विश्लेषण से पता चलता है कि यदि नई मेट्रों एवं पुरानी रेलवे लाइनों का विलय किया जाए तो शहरों में आने-जाने के लिए बेहतर लोकल सेवाएं मिल सकेंगी।

पुराने उपनगरीय रेलवे की तुलना में भारत के चार कार्यात्मक मेट्रो सिस्टम कुछ ही यात्रियों को ले जाने-ले आने का काम करती हैं :- 433.78 किलोमीटर लंबी एवं 90 वर्ष पुरानी मुंबई उपनगरीय रेलवे रोज़ाना 7.4 मिलियन यात्रियों को ले जाने का काम करती हैं। यह आंकड़े दिल्ली के 193 किमी लंबी मेट्रो से करीब तीन गुना अधिक हैं।

लेकिन जैसा कि मेट्रो, भारत या विदेश में, विज्ञापन एवं अचल संपत्ति सहित कई अन्य श्रोतों से आय की पूर्ति करती हैं, इसे नुकसान कम होता है। नीचे दिए गए ग्राफ से बात और स्पष्ट होती है –

राजस्व श्रोत : महानगर रेल सिस्टम का चयन

Source: Pricewaterhouse Coopers

दिल्ली मेट्रो के राजस्व का एक पांचवा हिस्सा किराए के अलावा होने वाली आमदनी जैसे कि विज्ञापन, जमाबंदी एवं सलाह सेवाओं से मिलती है ( दिल्ली मेट्रो भारत के आगामी मेट्रो लाइनों के लिए सलाहकार है)। हांगकांग मेट्रो टिकटों की बिक्री से राजस्व का केवल 59 फीसदी ही प्राप्त करती है। इसके विपरीत, मुंबई उपनगरीय प्रणाली टिकटों की बिक्री से राजस्व का 93.5 फीसदी हिस्सा कमाती है।

केवल मेट्रो प्रणाली का बढ़ना नहीं है पर्याप्त

वर्ष 2006 से देश के विभिन्न राज्यों की राजधानी में चार मेट्रो प्रॉजेक्ट शुरु की गई है। इंडियास्पेंट ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ऐसे कम से कम सात अन्य मेट्रो प्रॉजेक्ट निर्माणाधीन है। नीचे दिए गए टेबल से स्पष्ट होता है कि वर्ष 2002 में दिल्ली मेट्रो क्रियाशील होने के बाद दूसरे राज्यों के निर्माण कार्य में इसमें तेजी से उछाल आया है।

Getting Them Rolling: How Metro Railways Have Fared
Metro ProjectCompany In chargeYear of InceptionYear of Metro FunctioningConstruction Start to First Run (Years)
KolkataMetropolitan Transport Project1969198411
DelhiDelhi Metro Rail Corporation Ltd.199520024
BangaloreBangalore Metro Rail Corporation Ltd.200620114
MumbaiMumbai Metro One Private Ltd.200720145
ChennaiChennai Metro Rail Ltd.200720156
JaipurJaipur Metro Rail Corporation Ltd.201020155

Source: Metro Railways Kolkata, Delhi Metro, Bangalore Metro, Mumbai Metro, Chennai Metro, Jaipur Metro

मेट्रो रेलवे के कार्य में प्रगति से कुछ सहायता ज़रुर मिल सकती है लेकिन भारतीय शहरों के भारी परिवहन सहज बनाने के लिए यह निश्चित रुप से यह समाधान नहीं है।

जैसा कि नीचे दिखाए गए टेबल से साफ होता है कि पिछले 12 वर्षों में दिल्ली मेट्रो के रोज़ाना सवारी में 5375 फीसदी की वृद्धि हुई है।

Delhi Metro: Revenue and Passenger Growth
YearProfit/Loss After Tax Rs (crore)Passengers (million) per day
2002-03-830.04
2003-04-320.12
2004-05-760.27
2005-06-340.45
2006-07-170.61
2007-08-480.75
2008-09-410.85
2009-10-2050.92
2010-11-4141.42
2011-12-1851.66
2012-13-911.93
2013-14-1002.19

Source: Annual Reports of Delhi Metro Rail Corporation

जैसा कि दिनेश मोहन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( आईआईटी ) दिल्ली में प्रोफेसर, आर्थिक और राजनीतिक साप्ताहिक में लिखते हैं कि यह वृद्धि प्रभावशाली प्रतीत होती है, दिल्ली मेट्रो को अनुमानित रोज़ाना सवारी 3.1 मिलियन से कम करके 2.18 मिलियन से 1.5 मिलियन तक लाना होगा – यह लक्ष्य 2005 तक हासिल किया जाना चाहिए था। निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2005 तक प्राप्त कर लेना था लेकिन 2013-14 तक भी यह हासिल नहीं हो पाया है।

दिनेश मोहन ने अवलोकन में पाया कि न्यूयॉर्क, लंदन , टोक्यो, हांगकांग और सिंगापुर जैसे वैश्विक उच्च आय वाले शहरों में परिवहन के विभिन्न साधनों के उपयोग से पता चलता है कि शहरों के आधे से भी कम यात्री आने जाने के लिए मेट्रो का इस्तेमाल करते हैं। इन शहरों में आने-जाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल कार का होता है, भारतीय सड़कों पर बढ़ता ट्रैफिक देश में भी इसी स्थिति की ओर इंगित करता है।

भारतीय उपनगरीय रेलवे: पुराने एवं खस्ता हालत में होने के बावजूद लोकप्रिय

बीते वर्षों में भारतीय उपनगरीय रेलवे ट्रैफिक में खासी वृद्धि हुई है। वर्ष 1970-71 में रेलवे ट्रैफिक आंकड़े 1.2 मिलियन दर्ज की गई थी जबकि 2012-13 में यही आंकड़े बढ़ कर 4.4 बिलियन दर्ज की गई है। 20819.3 किमी लंबी भारतीय रेलवे नेटवर्ट में मुंबई, कोलकाता और चेन्नई उपनगरीय रेलवे की हिस्सेदारी 7.1 फीसदी है लेकिन लेकिन कुल रेलवे यात्रियों में केवल 53.2 फीसदी की ही हिस्सेदारी है। नीचे दिखाए गए टेबल से रेलवे में हो रहा घाटा और स्पष्ट होता है।

India’s Suburban Railways: Growing Losses
YearMumbai Profit/ Loss (% share in all- India total)Kolkata Profit/ Loss (% share in all-India total)Chennai Profit/Loss (% share in all- India total)All India Total Profit/Loss
2006-07-49 (5)-739 (80)-140 (15)-928
2007-0819(-2)-842 (87)-143 (15)-965
2008-09-329 (19)-1158(68)-221 (13)-1708
2009-10-567 (25)-1443 (64)-254 (11)-2264
2010-11-626 (27)-1495 (63)-243 (10)-2364
2011-12*-660 (23)-1662 (58)-304 (11)-2852

Source: 23rd report of the Standing Committee on Railways (2013-14); Figures in Rs crore * includes Rs 226 crore loss of Kolkata Metro

मुंबई उपनगरीय रेलवे ही केवल ऐसा नेटवर्क है जो हाल ही के वर्षों में मुनाफा कमाने में कामयाब रहा है।

फिर भी भारतीय रेलवे में हो रहे कुल घाटे में से मुंबई उपनगरीय रेलवे का दूसरा सबसे बड़ा योगदान है एवं यह दिल्ली मेट्रो के मुकाबले 0.42 करोड़ प्रति किलोमीटर ( 2011-12 ) महंगी भी है।

वर्ष 2013-14 में मुंबई उपनगरीय प्रणाली को 1,112 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है एवं 2014 प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स रिपोर्ट (मार्च 2014) के अनुसार अनुमान है कि 2022-23 तक यह घाटा 2,764 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।

रेलवे एवं मेट्रो के विलय से हो सकता है सहायक

वर्ष 2013 में केंद्र सरकार ने एक मिलियन या इससे अधिक आबादी वाले 34 शहरों के संभावित प्रस्ताव के आधार पर मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए एक समेकित नीति का मसौदा तैयार किया है।

फिर भी मेट्रो रेल परियोजनाएं एक महंगी प्रयास है। भूमिगत रेल प्रणाली निर्माण की लागत करीब 200-250 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर है एवं एलिवेटर सिस्टम की लागत 150 करोड़ प्रति किमी है।

इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मेट्रो परियोजनाओं, में 3,000 करोड़ रुपए से 40,000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इनके लिए कुछ रकम अंतरराष्ट्रीय वित्त एजेंसियों से आते हैं। दिल्ली मेट्रो के मामले में पहले तीन चरण, 60 फीसदी, 54 फीसदी और 49 फीसदी , जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी।

हालांकि मेट्रो रेल बिंदु से बिंदु परिवहन के लिए एक आदर्श समाधान प्रदान करता है, लेकिन यदि मेट्रो रेल एवं उपनगरीय रेलवे को एकीकृत किया जाए तो एक प्रभावी समाधान मिलेगा, जैसा कि चेन्नई मेट्रो और चेन्नई एमआरटीएस की कल्पना की गई है।

मेट्रो रेल नेटवर्क की तरह ही किराए के अलावा होने वाली आमदनी के विक्लपों पर ज़ोर दे कर उपनगरीय रेल नेटवर्क अपना घाटा कम कर सकती है। इसके अलावा दोनों नेटवर्क का विलय करने से यात्रा सुविधापूर्ण हो सकेगा एवं अधिक यात्रियों को आकर्षित करेगा।

( चतुर्वेदी एक स्वतंत्र पत्रकार है और ब्लॉगर हैं। इनके ब्लॉग opiniontandoor.blogspot.com पर पढ़ा जा सकता है। )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 7 सितंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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