मोदी की इजरायल यात्रा क्यों है महत्वपूर्ण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इजरायल यात्रा पर जाएंगे। इजरायल का दौरा करने वाले मोदी,देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे। इस यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को एक औपचारिकता मिलेगी।
मोदी की इजरायल यात्रा को लेकर देश-विदेश में गर्म चर्चाएं शुरु हो गई हैं। कई लोग इसकी आलोचना कर रहें हैं तो कई इरान को देखते हुए इस कदम पर सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। कुछमोदी की यात्रा को हिन्दुत्व की विचारधारा के अभिसरण के लिए एक अनिवार्य परिणाम के रुप में देख रहे हैं।
भारत ने इजरायल को मान्यता 17 सितंबर 1950 को ही दे दी थी। लेकिन दोनों देशों के बीच पूर्ण कूटनीतिक संबंध 1992 में ही बन पाए। पारंपरिक रुप से भारत का फिलिस्तिन को समर्थन देना, इसका एक मुख्य कारण रहा है।
इजरायल और भारत के बीच संबंध विशेष रुप से रक्षा खरीद तक ही सीमित रहा है। इसके अलावा दोनों देशो के नागरिक एक-दूसरे देशो की यात्रा भी करते हैं है। हर साल इजरायल से करीब 38,000 नागरिक भारत भ्रमण पर आते हैं। भारत से इजरायल जाने वालो की संख्या भी कम नहीं है। एक डाटा के मुताबिक साल 2013 में करीब 40,000 भारतीय इजरायल भ्रमण पर गए थे।
दोनों देशो के बीच व्यापार और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी संबंध बेहतर होते नज़र आ रहे हैं। संयुक्त वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में दोनों देशो ने 40 मिलियन डॉलर का एक भारत-इजरायल सहयोग कोष स्थापित किया है। भारत और इजरायल के संबंधों को आज इन 5 क्षेत्रों में पारिभाषित किया जा सकता है:-
1) रक्षा– पिछले कई सालों से रक्षा खरीद दोनों देशो को जोड़ती आ रही है। भारत के लिए इजरायल, हथियार खरीद का पांचवां सबसे बड़ा श्रोत है। पिछले एक दशक में इजरायल से करीब 10 बिलियन डॉलर के हथियार भारत लाए गए हैं। ताजा डाटा के मुताबिक भारत ने, इजरायल से साल 2012-13 में 0.2 मिलियन डॉलर ( 59,670 croreकरोड़) )के हथियार खरीदे हैं।
Source: Lok Sabha; Figures in US $ billion.
स्टैनफोर्ड जर्नल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के मुताबिक, 1962 के भारत-चीन युद्ध में इजरायल ने भारत की सहायता की थी। 1965 और 1971के भारत-पाक युद्ध में भी इजरायल से अच्छी-खासी सहायता मिली थ। रिपोर्ट के मुताबिक बुरे वक्त में भारत ने भी इजरायल की पूरी सहायता की है।
1967 के छह दिवसीय युद्ध में भारत ने विमानों के पुर्जे भेजकर इजरायल की मदद की थी। कारगिल युद्ध के दौरान भी इजरायल ने विशिष्ट भूमिका निभाई थी। युद्ध के दौरान गोला बारुद कम पड़ जाने पर इजरायल ने ही भारत की सहायता की थी।
भारत ने लगभग सभी मानवरहित विमान ( यूएवी ) इजरायल से खरीदे हैं। इंडियास्पेंड ने पहले ही बताया था कि इजरायल द्वारा खरीदे 176 यूएवी में से, 108 सर्चर यूएवी हैं और 68 हेरन यूएवी हैं। इजरायल ने रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया मिशन में भी पूरा समर्थन का वादा किया है।
अन्य प्रमुख सौदों मे बराक 8 एंटी-शिप मिसाइलमहत्वपूर्ण है। 8 एंटी-शिप का भारतीय नौ सेना द्वारा जल्द की परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा भारतीय वायु सेना के कम ऊंचाई पर हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए स्पाइडर मिसाइल प्रणाली को भी खरीद रहा है।आतंकी गतिविधियों की वजह से दोनों देश रक्षा क्षेत्र में लगातार सहयोग बढ़ा रहे हैं।
2) कूटनीति: मोदी के आगामी इजरायल दौरे से पहले भी कई उच्चस्तरीय यात्राएं इजरायल के लिए हुई हैं। 2002 में पूर्व गृह मंत्रीलाल कृष्ण आडवानी ने और 2014 मेंकेन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इजरायल का दौरा किया था। 1992 के बाद दोनों देशो के बीच कई द्विपक्षीय समझौते हुए हैं जिनमें कृषि, अनुसंधान और विकास, अर्थव्यवस्था और उद्योग और सुरक्षामुख्य हैं। पूर्ण राजनयिक संबंध(ग्राफ)
Source: Embassy of India in Israel /Embassy of Israel in India
3) कृषि : कृषि भारत-इजरायल संबंधों का एक महत्वपूण पहलू रहा है। दोनों देशो के बीच द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने से भारत को इस क्षेत्र में खासा लाभ हुआ है।
भारत में कृषि पूरी तरह से बारिश और मॉनसून पर निर्भर करता है।इजरायल में भी पानी की कमी है। लेकिन वहां ड्रिप एरीगेशन पद्धति का ईजाद किया गया है जिससे कम पानी में भी अच्छी खेती हो सकती है। बागवानी, खेती, बागान प्रबंधन, नर्सरी प्रबंधन, सूक्ष्म सिंचाई और सिंचाई बाद प्रबंधन क्षेत्र में इजरायली प्रौद्योगिकी से भारत को काफी लाभ मिला है। इसका हरियाणा और महाराष्ट्र में काफी इस्तेमाल किया गया है।
2008 – 2010 के दौरानभारत-इजरायली कृषि योजना की शुरुआत की गई थी, जिसकी मियाद बढ़ा कर 2015 कर दी गई है। योजना के तहत भारत के आठ राज्यों में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा, जिसमें सब्जियों, फूलों और फलों के उत्पादन में प्रौद्योगिकी के प्रयोग को प्रदर्शित किया जाएगा।
Source: Lok Sabha Figures in Rs crore
भारत में अब तक ऐसे 10 उत्कृष्टता केन्द्र खोले जा चुके हैं। 2015 में 30 और केन्द्र खुलने की उम्मीद की जा रही है। प्रौद्योगिकी द्वारा विदर्भ और मराठावाड़ा क्षेत्र में कृषि समस्या से निपटने के लिए हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इजरायल की यात्रा की थी।
4) जल प्रबंधन:इजरायल तकनीकि रुप से दक्ष है। अपनी इन्हीं कुशलता के सहारे इजरायल ने जल प्रबंधन तकनीकों का विकास किया है। वह जल संसाधनऔर खारे पानी को मीठा बनाने की प्रणाली में निपुण बन चुका है।
भारतीय कंपनियों और सरकारी प्रतिनिधिमंडलों नियमित रूप से होने वाले जल प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण नियंत्रण प्रदर्शनी और सम्मेलन का दौरा करती हैं। इन सम्मेलन में इजरायल पानी और ऊर्जा प्रौद्योगिकियोंके विषयों पर जानकारी देती है।
इजरायली कंपनी, आईडीई ने भारत में खारे जल को मीठा बनाने के अनेक संयंत्र स्थापित किए हैं।तमिलनाडु के नेमेल्ली जिले में 100 लाख लीटर प्रतिदिन मीठा बनाने वालासंयंत्र लगाया गया है।
5) व्यापार :2013-14 में दोनों देशो के बीच 6.06 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था जोकि 2009-10 के मुकाबले 57% अधिक था। 2013-14 में यह भारत के पक्ष में 1.44 अरब डॉलर झुका हुआ था।
Source: Ministry of Commerce; Figures in $ billion; NA-Not Available
2013-14 में 1.45 बिलियन डॉलर के खनिज ईंधन, तेल, मोती और रत्न भारत से इजरायल निर्यात किए गए। वहीं दूसरी तरफ 1.2 बिलियन के प्राकृतिक एवं कृत्रिम मोती और रत्न इजरायल से भारत आयात किए गए। 2013 में भारत और इजरायल के बीच हीरे व्यापार में 98% की वृद्धि देखने को मिली।
2009 में यह आंकड़ा 1.25 बिलियन डॉलर था जबकि 2013 में ये आंकड़े बढ़कर 2.48 बिलियन डॉलर हो गए थे।
Source: Embassy of India in Israel; Figures in $ billion
दोनों देश 2010 से वस्तु एवं सेवा क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते के लिए भी वार्ता कर रहे हैं।
(मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं)
यह लेख मुख्यत: 8 जून 2015 को अंग्रेजी में indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है
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