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यदि आप अपने शहर की साफ-सफाई से खुश हैं और इसे मान्यता दिलाना चाहते हैं, तो सरकार द्वारा जारी मोबाइल फोन एप्लिकेशन डाउनलोड करना आपके लिए मददगार हो सकता है।

राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग नगर निगम के दावों और स्वतंत्र सत्यापन से अधिक नागरिक सहयोग पर निर्भर करता है। यह जानकारी शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी वर्ष 2017 स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट के 20 शहरों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है।

सरकार ने ‘नागरिक सहयोग’ के लिए कुल 600 अंक में से अधिकतम 150 अंक के लिए मोबाइल एप्लिकेशन 'स्वच्छता- एमओयूडी' के माध्यम से नागरिकों के सहयोग पर शहर के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया है। यह ऐप गुगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।

इंडियास्पेंड द्वारा अध्ययन किए गए 20 शहरों में से 13 ने 85 अंक पाए हैं और "स्वच्छता ऐप" उप-श्रेणी में ऊपर हैं। इनमें से 9 ने 2016 की तुलना में 10 रैंकों की औसत वृद्धि देखी है। विश्लेषण से पता चलता है कि सात शहर जिसने 80 अंक और इससे नीचे प्राप्त किए हैं, वे औसतन 36 रैंक पीछे थे।

नई दिल्ली स्थित संस्था ‘सेंटर फॉर सांइंस एंड इन्वाइरन्मन्ट ’ के उप महानिदेशक चंद्र भूषण कहते हैं, “सर्वेक्षण कार्यप्रणाली की फिर से समीक्षा की जरूरत है। क्योंकि कई बार यह पर्यावरण के मुद्दे पर लगभग अरक्षणीय प्रथाओं में लिप्त शहरों को प्रोत्साहित करता है और कई बार जीवन शैली में बदलाद और स्थानीय स्तर पर पर्यावरणीय समस्या का हल निकलने वाले शहरों को शहरों को हतोत्साहित करता है ”, जैसा कि ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट में उद्धृत किया गया है।

नगरपालिकाओं द्वारा की गई घोषणाओं पर झुकाव और निवासियों का किसी मामले को लेकर अपना नजरिया इस तरह की रैंकिंग को प्रभावित कर सकते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी 7 मई, 2017 की एक रिपोर्ट कहती है-“ शहरों को रैंक करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली यह पद्धति त्रुटिपूर्ण दिखती है।"

नागरिक सहयोग पर अधिक नजर

स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट शहरी विकास मंत्रालय का वार्षिक उपक्रम है। इसका उदेश्य स्वच्छ भारत अभियान की प्रगति को मापना है। हम बता दें कि स्वच्छ भारत अभियान नवंबर 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु किया गया था।

वर्ष 2016 के रिपोर्ट में 73 शहरों का मूल्यांकन किया गया था, जबकि इस वर्ष 434 शहरों का मूल्यांकन किया गया है और सफाई और स्वच्छता के आधार पर स्थान दिया गया है।

एमओयूडी ने रैंकिंग शहरों में इस वर्ष सफाई के लिए स्कोरिंग पैटर्न को संशोधित किया है। इसमें जो 100 अंक ‘नगरपालिका दस्तावेज’ को दिए गए थे, उसे इस बार ‘नागरिक सहयोग’ को स्थानांतरित किया गया है।

‘नगरपालिका दस्तावेज’ शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) द्वारा ठोस कचरे के संग्रह, परिवहन और निपटान के लिए आधारभूत ढांचे के प्रयास, और कस्बों या शहरों को खुले में शौच से मुक्त करने की दिशा में रणनीति पर स्वयं के मूल्यांकन को दर्शाता है।

‘नागरिक सहयोग’ के भी दो हिस्से हैं। पहला है ‘ऑनलाइन, टेलीफोनिक और सोशल मीडिया सर्वेक्षण’ और दूसरा है ‘नागरिकों के लिए स्वच्छता ऐप का इस्तेमाल’ जिससे वे यूएलबी के साथ जुड़ते हैं। जैसा हमने कहा, ऐप 150 अंक रखता है, जिसमें 25 फीसदी नागरिक फीडबैक अंक (600 अंक) की हिस्सेदारी होती है और 2,000 अंकों के कुल स्कोरिंग में 7.5 फीसदी का हिस्सा होता है।

गुगल प्ले स्टोर के डेटा के अनुसार, ऐप, जो स्थानीय कचरे के प्रबंधन के मुद्दों को पहचानने और हल करने के लिए नागरिकों को शहरी स्थानीय निकायों जोड़ता है, उसे अब तक 10 लाख बार बार डाउनलोड किया गया है। पूरे भारत में 36.748 करोड़ इंटरनेट ग्राहक हैं , जबकि इसकी शहरी आबादी 37.7 करोड़ से अधिक है।

कचरा इकट्ठा होने और कुप्रबंधन की शिकायत के लिए आप फोटो खींचकर ऐप के माध्यम से उसे पोस्ट कर सकते हैं। ऐप उस जगह की पहचान कर संबंधित शहर-निगम को भेजता है। इसके बाद इसे संबंधित वार्ड-स्तर पर सेनेटरी इंस्पेक्टर को भेजा जाता है। इस ऐप के माध्यम से शिकायतकर्ता अपनी शिकायत की स्थिति भी देख सकता है। सफाई और स्वच्छता में सुधार के लिए वास्तविक कार्य के आधार पर निरीक्षण किए गए तीसरे पैरामीटर ‘प्रत्यक्ष अवलोकन’ के लिए अभी भी 500 अंक हैं।

भारत के टॉप 50 स्वच्छ शहरों में सबसे ज्यादा गुजरात और मध्यप्रदेश से हैं। गुजरात से 12 और मध्य प्रदेश से 11 शहर। इस बारे में इंडियास्पेंड ने मई 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

बेहतर रैंकिंग के लिए नागरिकों का सहयोग जरुरी

इंडियास्पेंड के विश्लेषण से पता चलता है कि जरुरी नहीं कि दस्तावेजीकरण और अवलोकन के उच्च अंक से बेहतर रैंकिंग मिले। स्वच्छता ऐप और नागरिक सहयोग स्कोर शहर की रैंकिंग से सीधे जुड़े हुए हैं।

हमने 20 शहरों के स्कोर और रैंकों का विश्लेषण किया । वर्ष 2016 और वर्ष 2017 के टॉप 10 शहर और 10 लाख से अधिक की आबादी के साथ ‘सबसे तेजी से बढ़ रहे’ शहर।

तिरुपति, जो वर्ष 2016 स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट में शामिल नहीं था, उसे स्वच्छता ऐप उप-श्रेणी में उच्चतम (135/150) स्कोर करने के बाद वर्ष 2017 में नौवां स्थान मिला था।

इंदौर और भोपाल को क्रमश: पहला और दूसरा स्थान मिला है। इस वर्ष दोनों शहरों ने वर्ष 2016 के 24वें और 19वें स्थान से छलांग लगाकर यह स्थान प्राप्त किया है। दोनों शहरों को ऐप पर क्रमश: 120 और 130 अंक मिले।

चंडीगढ़, राजकोट, पिंपरी-चिंचवाड़ और ग्रेटर मुंबई वर्ष 2016 में टॉप 10 में शामिल थे। स्वच्छता ऐप कम अंक अर्जित करने के बाद 2017 में क्रमश: 11, 18, 29 और 72 अंक पीछे हुए । इस बार उनका रैंक क्रमश: 9, 11, 19 और 63 है।

वर्ष 2016 में गैंगटॉक 8वें स्थान पर था। लेकिन इस वर्ष गैंगटॉक को एप पर शून्य अंक मिले हैं और 50वें स्थान पर रहा है।

ऑनलाइन सर्वेक्षणों, फोन सर्वेक्षणों और सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिक प्रतिक्रिया सहित ‘नागरिक सहयोग’ के समग्र क्षेत्र में वर्ष 2017 के टॉप चार शहरों- इंदौर, भोपाल, विशाखापटनम और सूरत – को ऊपर आने में मदद मिली है।

जबकि अन्य मापदंडों में टॉप स्कोर हासिल करने में विफल रहे, इंदौर ने अन्य की तुलना में ‘भारत में सबसे स्वच्छ शहर’ का खिताब जीतने के लिए ‘नागरिक सहयोग’ पैरामीटर पर ज्यादा स्कोर किया है।

भोपाल दूसरे स्थान पर रहा और वह स्वच्छता ऐप में दूसरे उच्चतम स्कोर (130) पर रहा। वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश के दो शहर 25वें और 21वें रैंक पर रहे हैं।

अध्ययन में शामिल किए गए शहरों में विशाखापत्तनम ने यूएलबी पर नागरिकों की सबसे बड़ी संख्या-190,000-दिखाई है। वर्ष 2017 में यह पांचवें से तीसरे स्थान पर पहुंचा है। बंदरगाह वाले इस शहर ने स्वच्छता ऐप पर 90 अंक प्राप्त किए हैं।

श्रेणी निर्धारण मूल्यांकन के अनुसार राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग

Source: Swachh Survekshan reports 2016, 2017
Note: *"Fastest Moving City" with 1 million+ population in 2017 Swachcha Survekshan report. Tirupati did not feature in the 2016 Swachh Survekshan report.

स्व-घोषित प्रयासों पर उच्च स्कोर, बुनियादी स्तर जांच ≠ उच्च रैंक

वर्ष 2016 के टॉप 10 शहरों की सूची में शामिल रहे शहर में से केवल आधे ही वर्ष 2017 की सूची में जगह बना पाए हैं - चंडीगढ़, राजकोट, पिंपरी-चिंचवाड़, गंगटोक और ग्रेटर मुंबई 10वें रैंक से नीचे आए हैं।

‘नगरपालिका द्वारा दस्तावेजीकरण’ में बेहतर प्रदर्शन से बेहतर रैंकिंग नहीं मिली है: अध्ययन में शामिल सभी शहरों में से चंडीगढ़ ने सबसे ज्यादा अंक पाए हैं ( 900 में से 883 ) लेकिन वर्ष 2017 की रिपोर्ट में यह 9वें रैंक से गिरकर 11 वें पर पहुंचा है।

ग्रेटर मुंबई इस वर्ष 10वें स्थान से गिर कर 29वें पर आया है। ग्रेटर मुंबई ने इस श्रेणी में 91.5 फीसदी प्राप्त किए हैं। चंडीगढ़ और ग्रेटर मुंबई दोनों के कुल स्कोर में क्रमश: 0.85 फीसदी और 0.07 फीसदी की गिरावट हुई है।

‘प्रत्यक्ष अवलोकन’ पर उच्च स्कोर ने बेहतर परिणाम नहीं दिए। वर्ष 2016 में मैसुरु पहले स्थान पर था, लेकिन इस वर्ष इस पैरामीटर पर तीसरे सर्वोच्च (500 पर 460 ) स्कोरिंग के बावजूद पांचवें स्थान पर रहा है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 0.32 फीसदी कम है।

मैसूर वर्ष 2014 में रैंकिंग में सबसे ऊपर था। इस बार उसके नीचे जाने पर शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने जोर देकर कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि शहर में साफ-सफाई की कमी आई है। वह कहते हैं, “ऐसे सर्वेक्षणों के माध्यम से प्रतिस्पर्धा की भावना को प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि शहरों को पता चले कि अन्य शहरों के साथ किस पोजीशन पर खड़ा है। ”

हालांकि 2016 में टॉप 10 शहरों की गिरावट के लिए रिपोर्ट स्पष्टीकरण नहीं देती है, लेकिन रिपोर्ट में सड़क निर्माण और मरम्मत के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग करने से लेकर कचरे को अलग करने में इंदौर के प्रयासों की सरहना की गई है। रिपोर्ट में जागरूकता फैलाने के लिए दीवारों पर चित्रों के माध्यम से जागरूकता फैलाने करने और कचरा संग्रह के लिए बड़े पैमाने पर भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मशहूर जिंगल बनाने के लिए शहर की प्रशंसा भी गई है।

भोपाल, विशाखापत्तनम और सूरत के प्रयासों में कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने और असली तरक्की के होर्डिंग और जागरूकता फैलाने के लिए ऑन-साइट कंपोस्टिंग के अभ्यास का उल्लेख किया गया है।

वर्ष 2017 की रिपोर्ट में देखें तो पांचवें स्थान पर रहे मैसूरू की स्वच्छता और साफ-सफाई के प्रयास लगभग समान हैं क्योंकि इसके प्रतिस्पर्धियों को आगे स्थान दिया गया है।

हालांकि, टॉप चार के विपरीत, दक्षिण के शहर ‘ग्लोब पोजिशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) के साथ कचरा संग्रहण वाहनों को ट्रैक नहीं करता है । रिपोर्ट कचरा संग्रह और परिवहन के निजीकरण के अपने अनूठे प्रयासों की प्रशंसा करती है।

India's Five Cleanest Cities: Comments From The Urban Development Ministry
IndoreBhopalVisakhapatnamSuratMysuru
InfrastructureDoor to door collection of garbageDoor to door collection of garbageDoor to door collection of garbageDoor to door collection of garbageDoor to door collection of garbage
Garbage trucks tracked by GPSGarbage trucks tracked by GPSGarbage trucks tracked by GPS75% garbage trucks tracked by GPSNot available
Not availableNot availableNot availableNot availableSolid waste collection and transportation through private operators
Sweeping twice a day including Sundays and festivalsSweeping twice a day including Sundays and festivalsSweeping twice a day including Sundays and festivalsSweeping twice a day including Sundays and festivalsMore than 75% undertake sweeping twice a day including Sundays and festivals
Engaged informal wastepickersNot availableEngaged informal wastepickersEngaged informal wastepickersNot available
Not availableNot availableAvailability of litter binsAvailability of litter binsAvailability of litter bins
Dry and wet waste segregation at source for residential and commercialNot availableNot availableNot availableNot available
Not availableNot availableMore than 70% wards notify users about charges and collect themNot availableMore than 75% wards notify users about charges and collect them
Not availableNot availableNot available80% of total waste is transportedNot available
Not availableNot availableNot available100% water and drainage collectionNot available
Declared open-defecation free by Quality Control of IndiaDeclared open-defecation free by Quality Control of IndiaDeclared open-defecation free by Quality Control of IndiaDeclared open-defecation free by Quality Control of IndiaDeclared open-defecation free by Quality Control of India
Completed 100% construction of toilets -- individual/ household/ community and public toiletsCompleted 100% construction of toilets -- individual/ household/ community and public toiletsCompleted 100% construction of toilets -- individual/ household/ community and public toiletsCompleted 90% construction of toilets -- individual/ household/ community and public toiletsCompleted 100% proposed individual toilets. No information on community and public toilets
Not availableCapacity building of staff/ ICT systemCapacity building of staff/ ICT system -- 90%Capacity building of staff/ ICT systemCapacity building of staff/ ICT system
Unique effortsPlastic waste used in road construction and repairNot availableWaste to energy plant and scientific landfillingBulk garbage generators practice on-site compostingWaste to compost plant with more than 80% efficiency and sanitary landfill
AwarenessNominated swachchagrahis to spread awarenessIndividuals took responsibility on themselvesNominated swachchagrahis to spread awarenessPainted wallsSwachchagrahis spread awareness
Erect hoardings in every wardSet up Bhopal i-clean team to maintain cleanlinessPut up "Asli Tarakki" hoardings-Put up "Asli Tarakki" hoardings
Graffiti on wall for awareness----
Composed melodious jingles to encourage mass participation which plays in the garbage collection trucks as they traverse the city----
Volunteers from the urban local body visit houses in different localities to educate segregation of waste----

Source: Swachh Survekshan report 2017

(सलदनहा सहायक संपादक हैं, इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं। राव इंडियास्पेंड में इंटर्न हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 17 मई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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