रिजर्व बैंक क्यों घटा रहा है 2018 के लिए भारत के विकास दर को 6.7फीसदी तक
नोटबंदी के कुछ दिनों बाद, मध्य मुंबई में बैंक के बाहर इंतजार करते लोग। नोटबंदी के दौरान मूल्य के आधार पर भारत की 86 फीसदी मुद्रा को वापस ले लिया गया था।)
वर्ष 2017 मानसून या खरीफ-फसल में वृद्धि के बाद कृषि उत्पादों की कीमतों में कमी , एक नए अव्यवस्थित देशव्यापी कर का कार्यान्वयन और नवंबर 2016 में भारतीय मूल्य के अनुसार 86 फीसदी मुद्राओं की वापसी के प्रभाव के साथ 2017-18 के लिए भारत की वास्तविक विकास दर 6.7 फीसदी है। यह आंकड़े अगस्त 2017 में 7.3 फीसदी थे।
अक्टूबर 2017 की भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट में कहा गया है, "2017-18 की पहली छमाही में गति का नुकसान और खरीफ अनाजों के उत्पादन का पहला अग्रिम अनुमान शुरुआती झटके हैं जो दृष्टिकोण के लिए एक नकारात्मक पक्ष प्रदान करता है। अभी तक जीएसटी (माल और सेवा कर) के कार्यान्वयन में प्रतिकूल असर पड़ा है, जो अल्पावधि में अनिश्चित क्षेत्र के निर्माण की संभावनाओं को दर्शाता है। "
वर्ष 2017 में मानसून की फसल 135 मिलियन टन थी, जो 23 फीसदी ज्यादा है और 2010 के बाद से सबसे बड़ी उपज है। जब आरबीआई ने अपनी विकास पूर्वानुमान को घटा दिया, तो नोटबंदी और जीएसटी की शुरुआत का हवाला देते हुए, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने अनुवर्ती विकास दर अनुमानित 6.7 फीसदी और 7 फीसदी तक घटाया है।
नोटबंदी के प्रभाव ( नवंबर 2016 में मूल्य के अनुसार भारत की 86 फीसदी मुद्राएं वापस ) के कारण बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान हुआ और आर्थिक, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में, और मुख्य रूप से छोटे व्यापारियों और किसानों (यहां और यहां पढ़ें) के निराशा का करण रहा है। काले धन (या बेहिसाब आय) नोटबंदी के एक मुख्य उदेश्य था, जो बाद में बदलता रहा, जैसा कि इंडियास्पेंड ने दिसंबर 2016 की रिपोर्ट में बताया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, काले धन के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। जबकि जीएसटी ने एक समान बाजार में भारत को एकीकृत किया, कार्यान्वयन में कारोबार धीमा हुआ है और व्यापारियों पर असर पड़ा है।
नोटबंदी : सफलता या विफलता? बहस जारी है...
नोटबंदी के तीन उद्देश्य थे: काला धन और भ्रष्टाचार को रोकना और आतंकवादे लिए इक्ट्ठा करने वाले धन पर रोक लगाना, जैसा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को अपने संबोधन में कहा है।
आरबीआई की सालाना रिपोर्ट 2016-17 के अनुसार, वापस लिए गए 15.44 लाख करोड़ रुपए में से 30 जून, 2017 तक करीब 99 फीसदी या 15.28 लाख करोड़ रुपए वापस आ गए हैं। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 5 सितंबर 2017 में बताया है।.
इससे पता चलता है कि केवल 01 फीसदी मुद्रा केंद्रीय बैंक में वापस नहीं आया था।
हालांकि, नोटबंदी के आलोचकों का कहना है कि सरकार काला धन वापस लाने में विफल रही है, लेकिन समर्थकों का कहना है कि वापस आने वाले मुद्राओं के एक ही पैरामीटर पर इस कदम का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है।
नोटबंदी का प्रभाव किसानों और छोटे व्यापारियों पर
नवंबर 2017 तक, किसानों को चेक के लिए कम से कम दो हफ्तों तक प्रतीक्षा करना पड़ा है, जिससे उन पर कर्ज का बोझ और बढ़ गया है। इसने कृषि के संकट को गहरा कर दिया, क्योंकि अधिकांश किसान ऋण नहीं चुका सकते हैं।
वर्ष 2017 में केवल 9 फीसदी ऋण चुकाए गए थे, जबकि 2016 में ये आंकड़े 70 फीसदी थे। नकद भंडार नीचे है और खराब ऋण ऊपर हैं, जैसा कि हमने 11 नवंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है। छोटे दुकानदार अब भी नोटबंदी से घाटे का सामना कर रहे थे; जीएसटी ने सामानों को महंगा बना दिया है इसलिए उनके मुनाफे को कम कर दिया है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने इंडियास्पेंड ने 10 नवंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
एक साल बाद (27 अक्टूबर, 2017),16.35 लाख करोड़ रुपए के मूल्य के नोट संचलन में थे, या कहा जाए तो 4 नवंबर, 2016 को नोटबंदी से पहले 17.97 लाख करोड़ रुपए का करीब 91 फीसदी संचालन में था।
काले धन पर जारी है कार्यवाही
19 दिसंबर 2017 को राज्य सभा को दिए गए इस जवाब के अनुसार, आयकर विभाग ने नवंबर 2016 से मार्च 2017 के बीच लगभग 900 समूहों की 900 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति और 7,961 करोड़ रुपए की अघोषित आय को जब्त कर लिया है। इसी अवधि के दौरान, 6,745 करोड़ रुपये की अज्ञात आय का पता लगाने के लिए कम से कम 8,239 सर्वेक्षण आयोजित किए गए थे। इनमें नकदी / ज्वेलरी या परिसंपत्तियों की जब्ती शामिल नहीं है जैसा कि "जांच" में किया जाता है।
वर्ष 2016-17 में आयकर विभाग द्वारा 1,152 समूहों की जांच की गई थी, जिसमें 1,400 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है। यह आंकड़े 2015-16 के 713 करोड़ रुपए से 96 फीसदी ज्यादा है। इन जांचों में स्वीकार किए गए अनगिनत आय 2015-16 में 11,066 करोड़ रुपए से42 फीसदी बढ़ कर 2016-17 में 15,660 करोड़ रुपए तक हुआ है।
टैक्स विभाग द्वारा आयोजित जांच, वर्ष 2013-17
अप्रैल और अक्टूबर 2017 के बीच, कर विभाग ने 275 समूहों की जांच की है, 573 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई और कर निर्धारिती ने अनाधिकृत आय में 7,800 करोड़ रुपए का खुलासा किया है। 2,485 करोड़ रुपये की अघोषित आय की पहचान 3,188 सर्वेक्षणों के माध्यम से की गई है।
वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने 22 दिसंबर, 2017 को लोकसभा में दिए एक उत्तर में कहा, "काला धन के कुल मूल्य का कोई आधिकारिक आकलन नहीं है।"
नोटबंदी के बाद, धन शोधन निवारण की रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत 37 मामले दर्ज किए गए थे, जैसा कि 19 दिसंबर, 2017 को राज्य सभा में दिए गए एक उत्तर से पता चलता है। जांच के तहत अब भी एक मामले में, भारत के बाहर 100 करोड़ रुपए की धनराशि का भुगतान किया गया था।
नोटबंदी के बाद धन शोधन निवारण की रोकथाम अधिनियम,-2002 के तहत दर्ज मामले
Source: Rajya Sabha
1 नवंबर 2016 , जब से संशोधित बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 प्रभावी हुआ, तब से 20 जून, 2017 तक 413 बेनामी लेनदेन की पहचान की गई है, जैसा कि FactChecker ने 19 सितंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
15 नवंबर, 2017 को लोकसभा को दिए इस उत्तर के अनुसार 30 नवंबर, 2017 को 224,733 सेल कंपनियों के पंजीकरण रद्द कर दिए गए हैं।
विदेशों में जमा हुए काले धन को ट्रैक करने के लिए, भारत ने स्विट्जरलैंड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो 1 जनवरी 2018 से टैक्स डेटा स्वत: साझा करने की अनुमति देगा। इस संबंध में, मिंट ने 21 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।
एक समान बाजार में देश को बदल देने वाले जीएसटी से कारोबार प्रभावित
जीएसटी 30 जून, 2017 को एक एकीकृत कराधान प्रणाली के रूप में लॉन्च किया गया था, जो पूरे राज्य में कई करों को समाप्त कर देगा, और पूरे देश में व्यवसायों के लिए एक स्तर का मैदान तैयार करेगा। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क के अनुसार 9.9 मिलियन करदाता जीएसटी के तहत 25 दिसंबर, 2017 तक पंजीकरण कर चुके हैं, जिनमें से 1.6 मिलियन रचनात्मक डीलरों को हर तिमाही में रिटर्न दर्ज करना आवश्यक हैं।
वित्त मंत्रालय से 26 दिसंबर, 2017 को जारी इस रिलीज के अनुसार, 25 दिसंबर, 2017 तक नवंबर के लिए, 80,808 करोड़ रुपए के संग्रह के साथ 5.3 मिलियन रिटर्न दर्ज किए गए हैं।
उच्चतम जीएसटी कर संग्रह के साथ शीर्ष पांच राज्य
Top Five States With Highest GST Tax Collections | |||||
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State | Central Goods and Services Tax | Integrated Goods and Services Tax | State Goods and Services Tax | Cess (levied for right to education and others) | Total |
Maharashtra | 13654 | 17183 | 18701 | 3702 | 53240 |
Karnataka | 5197 | 8520 | 7736 | 3110 | 24563 |
Tamil Nadu | 5739 | 7605 | 8739 | 2062 | 24145 |
Gujarat | 5464 | 9020 | 7375 | 1150 | 23009 |
Haryana | 2890 | 10878 | 4627 | 1449 | 19844 |
Collection through imports | 90038 | 2604 | 92642 | ||
Grand Total | 59,048 | 190,519 | 87,888 | 30,224 | 367,679 |
Source: Lok Sabha; Figures in Rs crore; Data upto November 30, 2017.
भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा जीएसटी संग्रह ( (14 फीसदी) - 53,240 करोड़ रुपए ) की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
जीएसटी ने विशेष रूप से सूरत में कपड़ा व्यापारियों पर प्रभाव डाला, जिसने जो चार करोड़ मीटर ग्रे कपड़ों से दैनिक उत्पादन घटकर तीन करोड़ मीटर तक पहुंचा दिया है। इस संबंध में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने 30 सितंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
Shiekh Irfan, 35, owns a mobile recharge and photocopy shop in Rander, Surat, he says GST has destroyed the livelihood of the poor, "Business is down 50% since GST started. I had to let go three employees who worked in my shop" 2/n pic.twitter.com/dwsX9kiLKo
— swagata yadavar (@swagata_y) November 30, 2017
In the industrial area of Surat, many textile looms were shut after GST's roll out, others are open only for a few hours. Amit Kava who works in plastic waste says business is down 30% down since GST. "GST is good but not everyone in the chain is following it yet" 6/n
— swagata yadavar (@swagata_y) November 30, 2017
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल स्टडीज की प्रोफेसर, गीता गोपीनाथ ने 22 दिसंबर, 2017 को ‘ द मिंट’ ने एक साक्षात्कार में कहा है, " नोटबंदी के मुकाबले जीएसटी में काले धन को ट्रैक करने और रोकने की बेहतर क्षमता है। "
उन्होंने बातचीत में आगे कहा है कि, "हो सकता है कि अगर उन्होंने प्रदर्शन नहीं किया होता, तो सरकार जीएसटी कार्यान्वयन के साथ सभी समस्याओं को दूर करने के लिए अधिक समय लेती।"
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 29 दिसंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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