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यह बताने की शायद ज़रुरत नहीं कि विश्व में सबसे खराब सड़कों की स्थिति भारत की ही है। साल 2014 में देश में यातायत दुर्घटनाओं से होने वाली अप्राकृतिक मौत की संख्या 53 फीसदी दर्ज की गई है।

लेकिन एक महत्वपूर्ण बात जो गौर करने लायक है वो यह कि भारत में अप्राकृतिक मौत का दूसरा मुख्य कारण पानी में डूबना है। आंकड़ों के मुताबिक देश में 9 फीसदी मौत पानी में डूबने से होती है।

साल 2010 से 2014 के दौरान राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों का पूरा विश्लेषण हमारी इंडियास्पेंड की टीम ने किया है। हमारी टीम के विश्लेषण के अनुसार हर दिन करीब 80 लोग यानि हर साल 29,000 लोगों की मौत पानी में डूबने की वजह से होती है।

मिडिया में दिखाई गई घटनाएं इन आकंड़ों की पुष्टी करते हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार डूबने के अलावा अप्राकृतिक मौत के अन्य मुख्य कारण आग लगना ( 6 फीसदी ), उंचाई से गिरना 5 फीसदी एवं बिजली करंट लगना ( 3 फीसदी ) है। यह आंकड़े पुलिस फोर्स द्वारा मिलने के बादब्यूरो द्वारा विश्लेषित करती है।

2010-2014 में डूबने से होने वाली मौत की संख्या में वृद्धि

Source: NCRB

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डूबने पर ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व भर में करीब 1,008 लोगों की मौत पानी में डूबने की वजह से होती है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार डूब कर मरने जैसी गंभीर समस्या को नज़रअंदाज़ किया जाता है और कैसे इस समस्या से निपटारा पाने के लिए सरकार एवं स्थानीय निकायों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

विश्व स्तर पर अप्राकृतिक मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण डूब कर मरने को माना गया है। दुनिया भर में होने वाली अप्राकृतिक मौतों में से 7 फीसदी मौत डूबने के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि “पानी में डुबकी लेने बाद सांस लेने में बाधा हो एवं सांस न ले पाने के परिणाम स्वरुप जान चली जाए या अस्वस्थ हो जाएं, उस प्रक्रिया को डूबना कहते हैं”।

डूबने से बचने वालों में 55 फीसदी की वृद्धि

डूब कर मरने वालों के अलावा ऐसे लोगों की संख्या में भी वृद्धि हुई है जो डूबने से बचाए गए हैं। आकंड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में डूबने से बचने वालों की संख्या में 55 फीसदी की वृद्धि हुई है। साल 2010 में जहां यह आंकड़े 738 दर्ज किए गए थे वहीं साल 2014 में यह आंकड़े 1,144 दर्ज किए गए हैं।

डूब कर मरने वालों में ज़्यादातर लोग 18 से 45 वर्ष की उम्र के बीच के देखे गए हैं।साल 2014 में डूब कर मरने वालों में से इसी उम्र के करीब 53 फीसदी लोगों की मारे जाने रिपोर्ट दर्ज की गई है।

विश्व स्तर पर डूब कर मरने वालें में से आधे लोग 25 साल से कम उम्र के हैं।

पुरुष एवं युवाओं की डूबने से मौत, 2014

Source: NCRB

साल 2014 में 18 से 30 वर्ष की आयु के बीच डूब कर मरने वालों की संख्या 7,882 दर्ज की गई है जबकि 30 से 45 साल की आयु के बीच मरने वालों की संख्या 7,835 दर्ज की गई है।

14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए ज़्यादा खतरा

इसी हफ्ते बंगलुरु में एक चार के बच्चे की डूबने से मौत होने की खबर सामने आई है। चार साल का विश्यात देशपांडे अपनी सोसाईटी में बने स्विमिंग पूल के चारो ओर साईकिल चला रहा था। अचानक बैलेंस बिगड़ा और पूल में गिर पड़ा। किसी बड़े से साथ न होने से बच्चा पूल के पानी में डूब गया।

आकड़ों के मुताबिक 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के डूब कर मरने की संख्या 4,054 दर्ज की गई है। ज़हिर है कि छोटे बच्चों के लिए डूबने का खतरा सबसे अधिक है।

तमिलनाडु के वेल्लोर ज़िले के ग्रामीण समुदाय, कनियमबड़ी द्वारा किए गए एक अध्ययन अनुसार 1 से 12 वर्ष के बच्चों की 90 फीसदी मौत नाद, कुएं या नहरों में डूबने से होती है।

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यह फेसबुक पेज मूल रूप से बैंगलोर के निकट एक लोकप्रिय झरना में आए दिन होने वाली मौतों की प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए शुरू की गई है। यह पेज कर्नाटक मेंडूब कर मौत होने का सूचना केंद्र बन गया है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो अब 2014 की रिपोर्ट में डूबने के तहत एक नया वर्गीकरण, ‘जलाशय में आकस्मिक गिरना’, जोड़ा है। इससे पहले डूबने के तहत सिर्फ दो वर्गीकरण किए गए थे- ‘नाव का पलटना’ एवं ‘अन्य’।

डूबने के कारण

Source: NCRB

साल 2014 में कम से कम 11,884 लोगों की मौत जलाशयों में गिरने से हुई है जबकि 669 लोग गंभीर रुप से घायल हुए हैं। मरने वालों की संख्या देश भर में डूब कर होने वाली मौत का 40 फीसदी है।

डूब कर मरने वालों की संख्या – टॉप पांच राज्य

Source: NCRB

साल 2014 में महाराष्ट्र में डूब कर मरने वालों की संख्या सबसे अधिक, 4,822 रही। जबकि मध्यप्रदेश 4,299 आंकड़ों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। कर्नाटक में 2,162, गुजरात में 2,116 एवं तमिलनाडु में 1,899 मौतें डूब कर मरने से हुई हैं। देश भर में डूब कर होने वाली मौतों में से 51 फीसदी घटनाएं इन पांच राज्यों में हुई हैं।

आत्महत्या का प्रचलित रुप

आत्महत्या के पांच प्रचलित रुप में से डूबना भी एक है। आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक लोग फांसी लगा ( 42 फीसदी ) कर जान देते हैं। 26 फीसदी विषपान के ज़रिए, 7 फीसदी आत्मदहन कर एवं 6 फीसदी पानी में डूब कर जान देते हैं।

पिछले पांच सालों में 39,423 लोगों के डूब कर जाने देने के मामले दर्ज किए गए हैं।

डूब कर आत्महत्या के मामले

Source: NCRB; Note: Andhra Pradesh figures for 2014 are inclusive of Telangana.

साल 2014 में 1,276 के आंकड़ों के साथडूब कर आत्महत्या करने के मामले में भी महाराष्ट्र, सबसे आगे है।

डूबना, विश्व स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा

डूबने जैसी गंभीर समस्या को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्की विश्व स्तर पर नज़रअंदाज़ किया जाता है। डूबने पर ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 90 फीसदी जान डूबने के कारण जाती है।

बंग्लादेश में एक से चार वर्ष की आयु के बच्चों की 43 फीसदी मौत डूबने के कारण होती है। इस मामले में ऑस्ट्रेलिया भी पीछे नहीं है। यहां भी एक से तीन वर्ष के बीच के बच्चों की मौत का मुख्य कारण डूबना ही पाया गया है। अमरिका में एक से 14 वर्ष के बीच के बच्चों की अप्राकृतिक मौत की दूसरी मुख्य वजह डूबना ही दर्ज की गई है।

75 फीसदी लोगों की मौत बाढ़ के पानी में डूबने से होती है। ऐसे में यह पूरे विश्व के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

डूबने पर ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार कई देशों में जलाशयों के आस-पास शराब एवं मादक पदार्थों का सेवन करने से भी डूबने का खतरा बढ़ता है।

( मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 24 जुलाई 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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