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वर्ष 2016 से भारत में हिंसक घटनाओं में कमी और कानून प्रवर्तन में सुधार की वजह से भारत की शांति रैंकिंग में भी चार स्थानों का सुधार हुआ है। लेकिन न्यूयॉर्क स्थित शांति का विश्लेषण करने के लिए मैट्रिक्स विकसित करने वाली संस्था ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’ द्वारा जारी 2017 ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) के अनुसार पिछले एक दशक की तुलना में भारत में कम शांति है।

वर्ष 2017 में 163 देशों में से भारत 137 वें स्थान पर था। हम बता दें कि वर्ष 2016 में यह 141वें स्थान पर था। हालांकि, बाहरी संघर्ष के कारण, विशेष रूप से कश्मीर में वर्ष 2016 के मध्य से संघर्ष के कारण होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है, जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है।

पिछले एक दशक की तुलना में भारत कम शांतिपूर्ण है और यह हिंसा से घिरे दो मुख्य देश ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की तुलना में अधिक हिंसा से ग्रस्त है।

एक दशक पहले, भारत में 2.437 का जीपीआई अंक था। यह अंक जितना कम होता है, देश में उतनी ज्यादा शांति मानी जाती है। आइसलैंड, सबसे शांतिपूर्ण देश रहा है। वर्ष 2017 में आइसलैंड का जीपीआई 1.111 रहा है। 2017 में भारत का जीपीआई स्कोर 5 में से 2.541 रहा है। हम बता दें कि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 2.565 रहा था।

शांति सूचकांक समाज में सुरक्षा और सुरक्षा के स्तर से संबंधित 23 संकेतकों पर आधारित है। इसमें घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष की सीमा और सैन्यीकरण की स्थिति भी शामिल है।

वर्ष 2016 से ‘शांति’ में औसत 0.28 फीसदी सुधार के साथ वर्ष 2017 में दुनिया में थोड़ी सी शांति बढ़ गई है।

वैश्विक शांति सूचकांक

Source: Global Peace Index 2017

ब्रिक्स देशों में भारत का स्थान ब्राजील (116), चीन (123) और दक्षिण अफ्रीका (123) से नीचे , लेकिन रूस (151) से ऊपर है।

अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों में से, भारत का स्थान भूटान (13), श्रीलंका (80) बांग्लादेश (84) और नेपाल (93) से नीचे है, लेकिन पाकिस्तान (152) और अफगानिस्तान (162) से ऊपर है।

हिंसा की आर्थिक लागत

वर्ष 2016 की खरीद शक्ति समता (पीपीपी) की दर पर, भारत में हिंसा की आर्थिक लागत 742 बिलियन डॉलर (47.5 लाख करोड़ रुपए) थी। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 8.6 फीसदी और प्रति व्यक्ति 566 डॉलर (36,500 रुपए) है।

भारत में हिंसा की प्रति व्यक्ति आर्थिक लागत चीन ( 517 डॉलर) की तुलना में 8.7 फीसदी अधिक है। चीन ने वर्ष 2016 में हिंसा के कारण 712 बिलियन डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 फीसदी गवांया है।

वर्ष 2016 में,हिंसा का वैश्विक आर्थिक प्रभाव 14.3 ट्रिलियन डॉलर था। यह आंकड़ा जीडीपी का 12.6 फीसदी या प्रति व्यक्ति 1,953 डॉलर ( 125,000 रु ) के बराबर है।

जीपीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, "शांति निर्माण में निवेश किया गया हर एक डॉलर, सशस्त्र संघर्ष की कीमत में 16 डॉलर की कमी कर सकती है।"

ब्रिक्स देशों में, भारत की प्रति व्यक्ति आर्थिक हिंसा की लागत दक्षिण अफ़्रीका के पांचवें (2,582 डॉलर), रूस का सातवें (3,608 डॉलर) और ब्राजील (1, 9 52 डॉलर) का चौथा हिस्सा है।

दक्षिण एशियाई देशों में, भारत की प्रति व्यक्ति आर्थिक हिंसा की लागत पाकिस्तान (634 डॉलर) से 12 फीसदी कम, श्रीलंका (823 डॉलर) से 45 फीसदी कम और अफगानिस्तान से (949 डॉलर) 68 फीसदी कम है।

हिंसा की आर्थिक लागत, (2016 खरीद शक्ति समता)

Source: Global Peace Index 2017

जीडीपी के प्रतिशत के रूप में हिंसा की आर्थिक लागत के आधार पर 163 देशों में से भारत 70 वें स्थान परे है। गृह-युद्ध-प्रभावित सीरिया ने अपने जीडीपी का 67 फीसदी हिंसा में गवां दिया है। सीरिया दुनिया के सबसे हिंसक राष्ट्र के स्थान पर है। दूसरे और तीसरे स्थान पर इराक और अफगानिस्तान हैं, जिन्होंने जीडीपी का 58 फीसदी और 52 फीसदी हिंसा में गवांया है। स्विटजरलैंड 163वें स्थान पर है।

दस साल में आतंकवाद से पाकिस्तान और दुनिया में चीजें बद्तर हुई हैं

आतंकवाद के प्रभाव सूचकांक में भारत के स्कोर में 0.006 अंकों की मामूली वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा वर्ष 2008 में 4.013 से बढ़कर वर्ष 2017 में 4.007 हुआ है।

आतंकवाद प्रभाव सूचकांक

Source: Global Peace Index

आतंकवाद प्रभावित सूचकांक की गणना पिछले पांच वर्षों में आतंकवाद की वजह से हुई मृत्यु, चोट और संपत्ति के नुकसान की संख्या के औसत पर आधारित है।

पाकिस्तान में आतंकवाद के प्रभाव में 0.279 अंक की बढ़ोतरी हुई है। ये आंकड़े 2008 के 4.094 से बढ़कर वर्ष 2017 में 4.368 हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, “60 फीसदी देशों की बिगड़ती संख्या के साथ, पिछले दशक में आतंकवाद के प्रभाव में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।”

22 से अधिक देशों में, आतंकवाद के प्रभाव सूचकांक के स्कोर 100 फीसदी से अधिक तक बिगड़ गए हैं, जबकि अन्य 18 देशों में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

दुनिया भर में आतंकवाद के कारण होने वाली मृत्यु में करीब तीन गुना वृद्धि हुई है। यह आंकड़े 2007 में 11,000 से बढ़कर 2015 में 29,000 हुए हैं।

रिपोर्ट कहती है कि, “तुर्की, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और बेल्जियम की संख्या में होने वाली सबसे बड़ी वृद्धि के साथ, ओईसीडी देशों में आतंकवाद से होने वाली मौतों में 2007 और 2016 के बीच 900 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हुई है। ”

हाल ही में विशेष रुप से यूरोप घातक हमलों का शिकार हुआ है।

(सेठी मुंबई स्थित स्वतंत्र लेखक और रक्षा विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 05 जुलाई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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