Indian police chase away activists from JKLF during a curfew in Srinagar

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में भारतीय सेना द्वारा किए गए 'सर्जिकल स्ट्राइक’ के एक वर्ष बाद आंतक-संबंधित मौतों में 31 फीसदी वृद्धि हुई है। यह जानकारी नई दिल्ली स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था ‘इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट’ द्वारा चलाए गए दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (एसएटीपी) के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है।

वर्ष 2015-16 में आंतकवाद संबंधित मौतें 246 से बढ़ कर वर्ष 2016-17 (24सितंबर, 2017 तक) में 323 हुआ है और यह संकेत देता है कि सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल के बाद भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले और घुसपैठ जारी हैं।

यह तब भी जारी है जब भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने संकेत दिया था कि “यदि आवश्यक हुआ तो और भी सर्जिकल स्ट्राइक होगें।”

25 सितंबर, 2017 को ‘द मिंट’ की एक रिपोर्ट में रावत को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि, “सर्जिकल स्ट्राइक एक संदेश था, जो हम उन्हें देना चाहते थे और वे अब समझ चुके हैं कि हम क्या चाहते हैं।”

उन्होंने कहा था कि आतंकवादी भारत में घुसपैठ कर रहे हैं, क्योंकि उनके शिविर पीओके में चालू हैं।

रावत ने यह भी कहा था कि, "हम भी तैयार हैं। हम उन्हें (घुसपैठियों को) घेरते रहेंगे और जमीन से नीचे ढाई फीट तक भेजते रहेंगे। "

जम्मू-कश्मीर में आंतकवाद से जुड़ी मौतें

Source: South Asia Terrorism Portal

Note: * Data for 2016-17 until September 24, 2017

‘एसएटीपी’ मीडिया रिपोर्टों से आतंकवाद के कारण हुई मौतों पर डेटा संकलित करता है। डेटा अस्थायी है। सुरक्षा कर्मियों द्वारा मारे गए आतंकवादियों की संख्या में 24 फीसदी वृद्धि हुई है। ये आंकड़े वर्ष 2015-16 में 157 से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 194 हुए हैं।

‘एसएटीपी’ द्वारा संकलित आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक, आतंकवादी हिंसा में मारे जाने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में 2.5 फीसदी की गिरावट हुई है। ये आंकड़े वर्ष 2015-16 में 79 थे जो अब 77 हुए हैं। आतंकवादी हिंसा के कारण मारे जाने वाले आम नागरिकों की संख्या में पांच गुना वृद्धि हुई है। ये आंकड़े वर्ष 2016-17 में 52 हुए हैं जबकि वर्ष 2015-16 में यह संख्या 10 थी।

सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु में मामूली वृद्धि की तुलना में आतंकवादी हताहतों की संख्या में वृद्धि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सशस्त्र बलों के आतंकवाद-विरोधी अभियानों के बढ़ते प्रभाव के एक संकेतक के रूप में देखा जा सकता है।

25 सितंबर, 2017 को भारतीय सेना ने जम्मू और कश्मीर के उरी में में तीन आतंकवादियो को मार गिराया था। सेना ने एक बड़े आतंकवादी हमले को विफल कर दिया, जो कि 18 सितंबर, 2016 को सेना बेस पर हुए उसी हमले की तरह घातक हो सकता था, जिसमें 19 सैनिक मारे गए थे और 17 घायल हुए थे।

विशेष बल द्वारा पाकिस्तान में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक को पिछले साल उरी में हुए हमले को बदला लेने के रुप में देखा जा रहा है। 29 सितंबर, 2016 को, भारतीय सेना ने आंतक के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को पूरा करने के लिए भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पीओके में प्रवेश किया था, जैसा कि मिलिट्री ऑपरेशन के डायरेक्टर जेनरल लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने घोषणा की थी।

सिंह ने बताया था कि, "ऑपरेशन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि ये आतंकवादी हमारे देश के नागरिकों के जीवन को खतरे में डालने में सफल न हो पाएं। आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान, आतंकवादी काफी संख्या में मारे गए हैं। "

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य राजनीतिक नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भारतीय सेना की सराहना की थी। मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक की तुलना इजरायल से की थी, जो कि नियमित रूप से आतंकवादियों और अमित्र देशों के खिलाफ सैन्य हमलों का संचालन करने के लिए जाना जाता है।भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने सर्जिकल स्ट्राइक को आतंकवाद के खिलाफ आमने-सामने की लड़ाई बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सेना की सराहना की थी और कहा था कि भारत अब सुरक्षित महसूस करेगा।

(सेठी मुंबई स्थित स्वतंत्र लेखक और रक्षा विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 29 सितंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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