सौर नियमों पर भारत, अमरिका की बहस, बाज़ार पर चीन का एकाधिकार
भारत के बढ़ते सौर पैनल बाजार से लगभग बाहर हुए अमरिका को घरेलू उत्पादन आवश्यकताओं पर नियम के मामले में जीत मिली है लेकिन भारतीय कंपनियां भारत एवं अमरिकी उत्पादों की तुलना में चीनी उत्पादों का चयन कर रही हैं।
वर्ष 2011 से, भारत के लिए अमरिका के सौर पैनल निर्यात – जिसने जनवरी में समाप्त हुए 22 महीनों में अपनी क्षमता दोगुनी की है – में 83 फीसदी की गिरावट हुई है, जबकि इसी अवधि के दौरान चीनी निर्यात में 90 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह डाटा भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आए हैं।
वर्ष 2011 से, भारत के लिए अमरिका के सौर पैनल निर्यात – जिसने जनवरी में समाप्त हुए 22 महीनों में अपनी क्षमता दोगुनी की है – में 83 फीसदी की गिरावट हुई है, जबकि इसी अवधि के दौरान चीनी निर्यात में 90 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह डाटा भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आए हैं।
सरकारी सौर - बिजली परियोजनाओं के लिए, घरेलू सामग्री आवश्यकताओं (डीसीआर ) 2011 में लगाया गया था।
चीनी सौर पैनल निर्यात 2011-12 में 577 मिलियन डॉलर (5770 लाख डॉलर) से बढ़ कर 2015-16 (अप्रैल-दिसंबर) में 1,094 मिलियन डॉलर (10940 लाख डॉलर) हुआ है। भारत के लिए चीन सौर पैनलों (सौर कोशिकाओं/फोटोवोल्टिक कोशिकाओं, चाहे इकट्ठे या मॉड्यूल/पैनल रूप में) का सबसे बड़ा निर्यातक है। पिछले पांच वर्षों में, भारत द्वारा 5 बिलियन डॉलर के सौर पैनल के आयात में से चीन की हिस्सेदारी 65 फीसदी या 3.2 बिलियन डॉलर है।
डीसीआर के बावजूद, दुनिया भर से सौर पैनलों के भारत के आयात में 60 फीसदी की वृद्धि हुई है, 2014-15 में 821 मिलियन डॉलर से 2015-16 (अप्रैल- दिसंबर) में 1.3 बिलियन डॉलर हुआ है। यह बताया जा रहा है कि भारत इस निर्णय का विरोध करेगा।
2015-16 (अप्रैल- दिसंबर) के आंकड़ों के आधार पर सौर पैनलों का भारत में आयात के मामले में अमरिका पांचवें स्थान पर है। पिछले पांच वर्षों के दौरान, भारत ने अमरिका से 298 मिलियन डॉलर के कीमत की सौर पैनलों का आयात किया है। अमेरिका से सौर पैनलों के भारत के आयात में 83 फीसदी की गिरावट हुई है, वर्ष 2011-12 में 120 मिलियन डॉलर से 2015-16 (अप्रैल- दिसंबर) 21 मिलियन डॉलर हुआ है।
घरेलू स्तर पर उत्पादन की तुलना में, प्रत्येक चीनी पैनल 5 से 6 रुपए तक सस्ता है। इसके अलावा, द इकोनोमिक टाइम्स के इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय स्तर पर बने पैनल और कोशिकाओं के साथ कुछ गुणवत्ता के मुद्दे भी हैं। जबकि चीन से एक खेप वितरित होने में 30-45 दिनों का समय लगता है, घरेलू स्तर पर उत्पादित सौर पैनलों के लिए कुछ ग्राहक ही हैं।
भारत के सौर पैनल आयात, टॉप पांच देश
क्यों भारत के सौर बाज़ार में हिस्सा चाहता है अमरिका
भारत का सौर - ऊर्जा बाजार तेजी से बढ़ रहा है, अमरिका ने बाज़ार तक पहुंच के लिए "आयातित उत्पादों के खिलाफ भेदभाव " की शिकायत की है।
उद्हारण के लिए, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 22 महीनों में, भारत में स्थापित सौर - बिजली क्षमता 100 फीसदी बढ़ी है, मार्च 2014 में 2.6 गीगावॉट से से बढ़ कर जनवरी 2016 में 5.2 गीगावॉट हुआ है। इसी तरह, इसी अवधि के दौरान स्थापित अक्षय क्षमता में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है।
जनवरी 2016 में, सौर ऊर्जा ने 5 गीगावॉट का मील का पत्थर पार कर लिया है, और 2021-22 तक सरकार के 100 गीगावॉट पैदा करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीद है। यदि 2022 सौर लक्ष्य पूरा किया जाता है , तो यह भारत का दूसरा सबसे बड़ी ऊर्जा स्रोत बन जाएगा, इस संबंध में इंडियास्पेंड ने पहले भी बताया है।
दरों में गिरावट होने से कई उपभोक्ता, भारत की बिजली ग्रिड को छोड़ सीधे सौर की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान, सौर ऊर्जा की कीमत में आधी गिरवाट हुई है, 10-12 रुपये प्रति यूनिट से 2015 में 4.63 रुपये प्रति यूनिट तक, जैसा की इंडियास्पेंड ने पहले भी बताया है।
सरकार अल्ट्रा मेगा सौर पार्क के माध्यम से 20 गीगावॉट प्राप्त करने के लिए योजना बना रही है , और 374 करोड़ रुपये (58 मिलियन डॉलर) की लागत से 21 राज्यों में 33 सोलर पार्कों की मंजूरी दे दी है।
सरकार ने, जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के बैच – I , चरण II के तहत 2013 में सौर पीवी परियोजनाओं की 375 मेगावाट एवं 2014 में, बैच – II, चरण II के तहत 500 मेगावाट की नीलामी की है, जिन्हें डीसीआर के अनुसार घरेलू मॉड्यूल का उपयोग करना चाहिए।
अक्षय ऊर्जा: स्थापित क्षमता (जीडब्ल्यू में)
Source: Central Electricity Authority of India/Ministry of New and Renewable Energy
भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 289 गीगावॉट है जिसमें से नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 14 फीसदी है। 25 गीगावॉट स्थापित क्षमता के साथ पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 9 फीसदी है, जबकि सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 2 फीसदी है। भारत की स्थापित क्षमता में कोयले की 61 फीसदी हिस्सेदारी के साथ 70 फीसदी हिस्सेदारी तापीय ऊर्जा की है।
सीएनएन की इस रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा प्रवृति के आधार पर भारत की सौर ऊर्जा कीमत अब 15 फीसदी कोयले के अन्तर्गत है, जिसमें 2020 तक घरेलू कोयले की तुलना 10 फीसदी की और गिरावट होगी।
(मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 31 मार्च 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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