स्टंटिंग की उच्च दर वाले ज्यादातर राज्य देश के गरीब राज्यों में शुमार
हाल ही की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टंटिंग की उच्च दर वाले देशों के समृद्ध होने की संभावना कम रहती है। स्टंटिंग की उच्च दर के साथ 10 में से छह भारतीय राज्य, प्रति व्यक्ति आय के अनुसार देश के 10 गरीब राज्यों में से हैं। स्टंटिंग की न्यूनतम दर के साथ 10 में से केवल चार राज्य, भारत के 10 समृद्ध राज्यों में से हैं। यह जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य और आर्थिक आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है।
‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ द्वारा सितंबर, 2017 में प्रकाशित एक रिपोर्ट, ‘स्टोरीज बिहाइंड द डेटा’ के अनुसार, " समग्र संज्ञानात्मक और शारीरिक न्यूनतम विकास के लिए स्टंटिंग एक प्रॉक्सी है। " स्टंटेंटेड बच्चे अपने जीवन के बाकी समय कम स्वस्थ होंगे, और स्टंटिंग की उच्च दर वाले देश की समृद्धि कम होगी।"
स्टंटिंग 0-59 महीने के आयु वर्ग के बच्चों का प्रतिशत है, जिनका कद विश्व स्वास्थ्य संगठन के बाल विकास मानकों के औसत से नीचे है। यह क्रोनिक पोषण को दर्शाता है।
भारत में कुपोषण के कारण स्टंड बच्चों (उम्र के अनुसार कम कद) की आबादी सबसे ज्यादा है। इस संबंध में यह आंकड़े 48.2 मिलियन हैं। ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2015-16 में, पांच वर्ष से कम उम्र के 38.4 फीसदी बच्चे स्टंड थे।
‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ के पोषण विंग के भारत कार्यालय के अगुआ आलोक रंजन ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए कहा, "बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिन (गर्भावस्था के शुरू होने से जन्म होने के दो साल बाद तक ) बेहद महत्वपूर्ण हैं।"
उन्होंने आगे बताया कि, "इस अवधि के भीतर पूर्ण संज्ञानात्मक क्षमता, एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली और भविष्य में, एक उत्पादक कार्य-जीवन प्राप्त करने के लिए सक्षम होने के लिए पर्याप्त पोषण मिलना आवश्यक है। स्टंटिंग के प्रभाव मोटे तौर पर अपरिवर्तनीय हैं, और इसलिए इसे प्रत्येक बच्चे के लिए रोका जाना चाहिए। "
बचपन के स्टंटिंग के कारण वयस्क ऊंचाई में 1 फीसदी का नुकसान आर्थिक उत्पादकता में 1.4 फीसदी की हानि के साथ जुड़ा हुआ है और गैर-स्टंड व्यस्कों की तुलना में स्टंड व्यस्क 20 फीसदी कम कमाते हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने जुलाई, 2016 की रिपोर्ट में बताया है।
भारत के सबसे गरीब राज्यों में शामिल बिहार और उत्तर प्रदेश देश में स्टंटिंग के सबसे उच्च दर वाले राज्य भी
वर्ष 2016-16 में, बिहार और उत्तर प्रदेश में भारत की सबसे ऊंची स्टंटिंग दर थी। ये दोनों राज्य देश के सबसे गरीब राज्य रहे हैं, जैसा कि वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों में बताया गया है।
उच्च स्टंटिंग दर वाले राज्य
Source: Economic Survey 2016-17, National Family Health Survey 2015-16.
Note: Per capita income for 2015-16 at current prices (2011-12).
उच्चतम स्टंटिंग दरों के साथ छह राज्य ( बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ) ‘एम्पॉवर्ड एक्शन ग्रुप’ का हिस्सा हैं, जो सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। ‘एम्पॉवर्ड एक्शन ग्रुप’ आठ देशों का समूह है जिसमें ओडिशा और उत्तराखंड भी शामिल हैं।
गुजरात, जहां भारत की सातवीं सबसे ज्यादा स्टंटिंग दर (38.5 फीसदी) है, प्रति व्यक्ति आय के आधार पर देश का दसवां सबसे समृद्ध राज्य है। भारत के 10 सबसे समृद्ध राज्यों में से चार में देश की सबसे कम स्टंटिंग दरें हैं।
भारत के 10 सबसे समृद्ध राज्यों में से चार सबसे कम स्टंटिंग दर वाले 10 राज्यों में शामिल
भारत के 10 सबसे समृद्ध राज्यों में से चार ( गोवा, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना ) का स्थान सबसे कम स्टंटिंग दर वाले 10 राज्यों में शामिल हैं।
केरल, जहां भारत का सबसे कम स्टंटिंग दर (19.7 फीसदी) है, देश का पांचवां सबसे समृद्ध राज्य है। इसके बाद गोवा (20 फीसदी) देश का दूसरा सबसे अमीर राज्य है।
न्यूनतम स्टंटिंग दर वाले राज्य
Source: Economic Survey 2016-17, National Family Health Survey 2015-16.
Note: Per capita income for 2015-16 at current prices (2011-12). Himachal Pradesh figures are for 2014-15.
सही पोषण और लड़कियों की शिक्षा से स्टंटिंग कम करने में मिल सकती है मदद
आलोक रंजन कहते हैं, "जबकि आर्थिक विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वहीं अन्य महत्वपूर्ण कारकों को भी संबोधित करने की ज़रूरत है, ताकि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग कम हो सके। उदाहरण के लिए, मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं के पर्याप्त स्तर सुनिश्चित करना, लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना, लड़कियों को स्कूल भेजना ताकि कम उम्र में विवाह होना रोका जा सके और जिससे जल्दी गर्भधारण होने पर रोक लगे, परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता कवरेज; पानी और स्वच्छता सुविधाओं का पहुंच और उपयोग सुनिश्चित करना, और खाद्य प्रणालियों को मजबूत करना जरुरी है। "
‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा इस 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक, शिशु और युवा बच्चों के भोजन प्रथाओं, विशेष रूप से अनौपचारिक स्तनपान, स्टंटिंग में योगदान देते हैं।
वर्ष 2015-16 में, छः महीने से कम उम्र के 55 फीसदी भारतीय बच्चों को विशेष रूप से स्तनपान कराया गया था, जैसा कि एनएफएचएस 2015-16 के आंकड़ों में बताया गया है।
सबसे कम स्टंटिंग दर के साथ टॉप पांच राज्यों में, त्रिपुरा में सबसे अधिक स्तनपान दर थी। त्रिपुरा के लिए छह महीने से कम उम्र के 71 फीसदी बच्चों को विशेष रूप से स्तनपान का आंकड़ा है। कर्नाटक, जो अमीर राज्यों में से एक है, छह महीने से कम उम्र के बच्चों के प्रतिशत में गिरावट देखी गई। कर्नाटक के लिए यह आंकड़े 2005-06 में 58.6 फीसदी था जो गिरकर 2015-16 में 54.2 फीसदी हुआ है।
उत्तर प्रदेश में स्तनपान की दर 42 फीसदी थी। अनन्य स्तनपान की न्यूनतम दर के साथ देश भर में 10 जिलों में से सात उत्तर प्रदेश में हैं, जैसा कि जुलाई 2017 पोषण रिपोर्ट में बताया गया है। यह अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान की अगुवाई वाली एक पहल है।
उत्तर प्रदेश के बच्चों में स्टंटिंग का एक कारण इस राज्य का साफ-सफाई में पीछे रह जाना है। इस बारे में इंडियास्पेंड ने अप्रैल, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
(नायर इंडियास्पेंड के साथ इंटर्न हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 6 अक्टूबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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