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पुडुचेरी: प्रतिदिन सुबह 8.से 9.00 बजे के बीच, पुडुचेरी के कोसापालायम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के आउट-मरीज डिपार्टमेंट (ओपीडी) में रोजाना इन्सुलिन शॉट्स प्राप्त करने के लिए 150 मधुमेह रोगी आते हैं। यह भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में से दुर्लभ उदाहरण हैं, क्योंकि इसमें अच्छी सामुदायिक-व्यापी बीमारी प्रबंधन और दवाइयों की लगातार आपूर्ति की जरूरत होती है। पुडुचेरी की स्वास्थ्य प्रणाली में यह विशिष्ट रूप से सामने आती है।

केंद्रशासित प्रदेश, पुडुचेरी का प्रदर्शन अधिकांश स्वास्थ्य संकेतकों पर भारत के प्रदर्शन से बेहतर है। यहां शिशु मृत्यु दर प्रति 1,000 जन्मों पर 16 के साथ वियतनाम देश के समान है, जबकि भारत का औसत 41 है जो कि इथियोपिया के समान है। स्वास्थ्य संस्थानों में करीब 99.9 फीसदी का जन्म होता है और 91.3 फीसदी बच्चों को प्रतिरक्षित किया जाता है, जबकि भारत के लिए संस्थागत जन्म का औसत 78.4 फीसदी और बाल प्रतिरक्षण के लिए आंकड़े 62 फीसदी हैं।

पुडुचेरी की सफलता का श्रेय इसकी छोटी आबादी को जाता है। इसकी 1.24 मिलियन लोग राज्य को 2,5 9 8 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) की जनसंख्या का घनत्व देते हैं। इसके विपरीत, दिल्ली में 16.8 मिलियन लोग या जनसंख्या का घनत्व 11,297 / वर्ग किमी है।

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पुडुचेरी के मेट्टूप्लायाम पीएचसी ओपीडी में एक मरीज को सलाह देते वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी एनबुसेंन्ट जी

हालांकि, अधिक श्रेय इस तथ्य पर जाता है कि पुडुचेरी के प्रशासन ने अन्य कदमों के अलावा, अन्य समृद्ध राज्यों की तुलना में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा पर अधिक खर्च किया है, साथ ही पर्याप्त मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और अपने स्वास्थ्य प्रशासन में कोई भी पद खाली नहीं छोड़ा है।

यह देखने के लिए कि पुडुचेरी किस प्रकार देश के अन्य हिस्सों को सीख दे सकता है, इंडियास्पेंड ने पुडुचेरी का दौरा किया है।

अधिक खर्च

1 जुलाई, 1963 को स्थापित, पुडुचेरी ( पूर्व में पांडिचेरी) एक केंद्रीय शासित प्रदेश है । पुडुचेरी और दिल्ली दो केंद्र शासित प्रदेश हैं, जो एक विशेष निर्वाचित विधानसभा और मंत्रियों के कैबिनेट के लिए विशेष संवैधानिक संशोधन के हकदार हैं, जो इसे आंशिक राज्य की शक्तियां देता है। विशेष प्रावधान में प्रशासन को कुछ मामलों पर कानून बनाने की अनुमति देता है।

पुडुचेरी में चार छोटे असंबद्ध जिले हैं। इनमें पांडिचेरी, बंगाल की खाड़ी में कराईकल और यनाम और अरब सागर पर माहे शामिल हैं। इसमें कुल क्षेत्रफल 492 वर्ग किमी और कुल जनसंख्या 1.24 मिलियन है।

स्वास्थ्य देखभाल पर पुडुचेरी का ध्यान अपने बजट के खर्च से स्पष्ट है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल 2017 के अनुसार, केंद्रीय शासित प्रदेश अपने स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.8 फीसदी खर्च करता है जबकि दिल्ली 0.86 फीसदी और अन्य बड़े राज्य 0.74 फीसदी खर्च करता है। इसकी प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च 28 फीसदी है, जो दिल्ली से ज्यादा है और प्रमुख राज्यों से 98 फीसदी ज्यादा है ( पांडिचेरी में 2,778 रुपये है जबकि दिल्ली में 2,088 रुपये और प्रमुख राज्यों में 940 रुपये है। )

राज्यों में स्वास्थ्य खर्च

States’ Health Spending
States/GroupsHealth Spending as % GDPPer capita health spending (Rs.)
UTs2.032532
Major States0.74940
Puducherry1.852778
Delhi0.862088

Source: 2017 National Health Profile

(Note: Major States include: Andhra Pradesh, Delhi, Telangana, Goa, Gujarat, Haryana, Maharashtra, Karnataka, Tamil Nadu, Kerala, Punjab, Jammu & Kashmir and West Bengal

UTs include: Andaman and Nicobar islands, Daman and Diu, Dadra and Nagar Haveli, Puducherry, Lakshadweep and Chandigarh)

अधिक खर्च आमतौर पर बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के साथ जुड़ा हुआ है - औसतन, सभी केंद्र शासित प्रदेशों ने स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2.03 फीसदी खर्च किया है, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में 3.12 फीसदी खर्च होता है, और उनमें से ज्यादातर अच्छे स्वास्थ्य की सूचना देते हैं।

स्वास्थ्य सूचकां- पुडुचेरी बनाम दिल्ली, भारत

Health Indicators, Puducherry V. Delhi, India
IndicatorPuducherryDelhiIndia
Infant Mortality Rate (per 1,000 live births)163541
Under-5 Mortality Rate (per 1,000 live births)164750
Institutional Births (%)99.984.478.9
Stunting in Children under Five (%)23.732.338.4
Wasting in Children under Five (%)23.617.121
Underweight Children under Five (%)222735.7
Anaemia in Women (15-49 Years) (%)52.452.553
Women with 10 Years or More of Schooling (%)60.355.435.7
Mothers who had 4 Ante-Natal Check visits (%)87.768.651.2
Children Fully Immunised (%)91.366.462

Source: NFHS-4 India, Delhi, Pondicherry

पांडुचेरी की सफलता, हालांकि, निरंतरता के कारण भी है। यह 30-40 सालों से स्वास्थ्य सेवा में निवेश कर रहा है, जैसा कि भारत के गैर-लाभकारी संस्था ‘पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ के अर्थशास्त्री साखतीवेल सेल्वराज ने इंडियास्पेंड को बताया है। इसमें एक बेहतर प्रशासन प्रणाली है, एक अधिक शिक्षित आबादी है, जो बेहतर सेवाओं की मांग करती है। साथ ही एक कुशल सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी है।

नतीजतन, इसने अपने बड़े पड़ोसी, तमिलनाडु राज्य के लिए एक मॉडल के रूप में काम किया है, जिसने पुडुचेरी की केन्द्रीकृत दवा खरीद और एक समर्पित सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर की अवधारणाओं का अनुकरण किया है, जैसा कि सेल्वराज बताते हैं।

बुनियादी ढांचा और स्टाफ

पुडुचेरी के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा अच्छी तरह से काम कर रहा है। 1.24 मिलियन की आबादी के लिए, इसमें एक सरकारी मेडिकल कॉलेज, सात निजी मेडिकल कॉलेज और एक केंद्र सरकार की ओर से संचालित ‘जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्टग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च’ (जेपीएमईआर) शामिल है।

कुल मिलाकर, यह संस्थान अंडर ग्रेजुएट मेडिसिन कोर्स (एमबीबीएस या बैचलर ऑफ मेडीसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी) में 1000 सीटें और अंडर ग्रेजुएट नर्सिंग पाठ्यक्रमों में 720 सीटों की पेशकश करते है, जो कि इस जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, जैसा कि इस सरकारी रिपोर्ट में बताया गया है।

सराकर द्वारा संचालित ‘इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख कविता वासुदेवन कहती हैं, "मेडिकल छात्रों को हमारे कॉलेज में ट्यूशन का भुगतान नहीं करना पड़ता है। ज्यादातर लोग सार्वजनिक संस्थानों में देखभाल की तलाश करते हैं क्योंकि यहां तक ​​कि सर्जरी भी मुफ्त में की जाती है।”

जब इंडियास्पेंड ने पुडुचेरी शहर के कोसापालायम इलाके में पीएचसी का दौरा किया तो एक स्वास्थ्य सहायक, निशा उन स्कूलों की रिपोर्ट तैयार कर रही थीं जहां एनीमिया के लिए बच्चों के स्क्रीन के लिए उसने दौरा किया था। उसने बताया कि, " पुडुचेरी में सभी विद्यालयों को साप्ताहिक आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां देना होती है। पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को सिरप दी जाती है और मैं 19 स्कूलों का प्रभारी हूं। " सकूली बच्चों को परामर्श देना और दवाओं की लगातार आपूर्ति बनाए रखना उनका काम है। उनको हर महीने चार पानी के नमूनों को इकट्ठा करना पड़ता है और बैक्टीरिया के संदूषण की जांच करना होती है। साथ ही साथ वह मलेरिया और बुखार की निगरानी भी करती हैं। सैनिटरी निरीक्षण में डिप्लोमा के साथ, वह सात सालों से सरकार के साथ काम कर रही है।

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कोसापालायम पीएचसी में एनीमिया परीक्षण करती स्वास्थ्य सहायक निशा

वर्ष 2016 की ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी के मुताबिक पुडुचेरी में एएनएम और मेडिकल अफसरों की अधिशेष संख्याएं हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत जारी किए गए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक के अनुसार आवश्यक 24 चिकित्सा अधिकारियों के बजाय, मौजूदा स्थिति में 48 हैं। आवश्यकतानुसार 54 महिला स्वास्थ्य श्रमिकों की जगह, 109 हैं। इसके अलावा, ज्यादातर राज्यों के विपरीत, विशेषज्ञों या पुरुष स्वास्थ्य सहायकों के लिए कोई रिक्तियां नहीं हैं।

पुडुचेरी में स्वास्थ्य केंद्रों में रिक्त पद

Vacancies In Health Centres In Puducherry
PostsRequiredSanctionedIn PositionVacant
Health Workers (Female)/ Auxiliary Nurse Midwife78188189*
Health Assistant2413121
Doctors at Primary Health Centres243846*
Total Specialists at Community Health Centres (CHCs)12550
Pharmacists at PHCs, CHCs2742375
Laboratory Technicians271038*
Nursing Staff45127137*

* Surplus

Source: Rural Health Statistics, 2016

तथ्य यह है कि सरकार अनुबंधित श्रमिकों की तुलना में अधिक स्थायी कर्मचारियों की भर्ती कर रही है, यह भी समझा जा सकता है कि कुछ सीटें रिक्त क्यों हैं। एएनएम की भर्ती में, 70.2 फीसदी नियमित नियुक्तियां थीं, जबकि 29.7 फीसदी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत अनुबंध की नियुक्ति के तहत थे, जो कि अप्रैल 2005 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए एक प्रमुख स्वास्थ्य कार्यक्रम थे।

2013 के स्वास्थ्य कार्यबल रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश स्टाफ नर्स (96.4 फीसदी) नियमित कर्मचारी थे, और फार्मासिस्ट (95.25 फीसदी) के रुप में कार्यरत थी।

रोगी-केंद्रित देखभाल

जब इंडियास्पेंड ने पुडुचेरी शहर में मेट्टुपलायम इलाके में पीएचसी का दौरा किया, तो वह साफ और स्वच्छ था । वहां एक अच्छी तरह से सजा-संवरा जड़ी बूटी उद्यान था। इसके वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, अन्बुसेथिल जी ने बायोमेडिकल कचरे से निपटने के लिए सख्त प्रोटोकॉल समझाया और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कयाकल्प पुरस्कारों के लिए आवेदन करने की योजनाओं के बारे में बताया, जो असाधारण स्वच्छता से जुड़ा अलंकरण है।

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मेट्टूप्लायम पीएचसी, पुडुचेरी में ओपीडी में इंतजार कर रहे गर्भवती महिलाओं के बीच वितरित स्नैक्स

केंद्र 40,000 की जनसंख्या की सेवा करता है और और प्रत्येक दिन लगभग 300 ओपीडी रोगियों को देखता है, फिर भी व्यवस्था में कोई खामी नहीं दिखती। गंभीर रूप से बीमार रोगियों, युवा बच्चों और गर्भवती महिलाओं के साथ मां को प्राथमिकता दी जाती है। डॉक्टर को देखने से पहले रोगी के रक्तचाप और वजन जैसे महत्वपूर्ण लक्षणों को रिकॉर्ड करने के लिए स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है।

गर्भवती महिलाओं के मामले में देखभाल और आगे है। उन्हें जन्म के पूर्व में परामर्श के अलावा, जब वे चिकित्सक को देखने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही होती है तो उन्हें नाश्ता भी मिलता है। गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में, महिलाओं को डिलीवरी किट बनाने और सैनिटरी नैपकिन, तौलिए, कपड़े का एक सेट इत्यादि के साथ-साथ तैयार करने के लिए कैसे सिखाया जाता है, ताकि अस्पताल में कोई अंतिम क्षण परेशानी न हो।

अस्पताल इतने सुलभ होने हैं कि पीएचसी डिलीवरी का संचालन नहीं करते, जैसा कि एन्बुसेंथिल कहती हैं।

इंडियास्पेंड ने कुरुंबपेथ उप-केंद्र का दौरा किया जो मेट्टूप्लायम पीएचसी के अंतर्गत आता है। एएनएम गीता एम और हेमलोसानी सेल्वन ने कहा कि 9,962 आबादी वाले 2,612 घरों की सेवा के लिए वे लोग वहां हैं। वे हर रोज मिलते हैं, रजिस्टर करते हैं और गर्भवती महिलाओं को सलाह देते हैं। गीता कहती हैं, "बहुत से प्रवासी यहां बस गए हैं, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हम उन तक जाएं और उनकी गर्भावस्था को पंजीकृत करें।"

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जन्म पूर्व जन्मजात देखभाल रजिस्टर के साथ कुरुमपथ उप केंद्र में गीता एम और हेमलोजनी सेल्वन

क्या समृद्ध महिलाएं अपनी गर्भावस्था को पंजीकृत कराती हैं? उन्होंने कहा, "हां, हमें हर घर से गर्भावस्था का पंजीकरण करना है, लेकिन वे हमारे लिए जन्म से पहले की देखभाल नहीं भी करा सकती हैं, उनके लिए यह विकल्प है।" उन्होंने जोर देकर बताया कि कई मामलों में, एएनएम द्वारा आयोजित परामर्श निजी केंद्रों से बेहतर हैं।

एंबुसेंथिल कहते हैं, "इन महिलाओं को प्रत्येक मामले की जानकारी है और स्तनपान कराने जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रसव के तीन महीनों के बाद नई मां के बीच प्रेरक भूमिका निभानी है। यह कुछ ऐसा है कि जब मेरी पत्नी ने निजी क्षेत्र में बच्चे को जन्म दिया तो उन्हें यह सब प्राप्त नहीं हुआ है।"

जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों पर भी ध्यान

मातृ एवं बाल स्वास्थ्य और संचारी रोगों के प्रबंधन के लिए कुशल प्रणाली स्थापित करने के बाद, पुडुचेरी अब गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो आमतौर पर जीवनशैली से जुड़ा होता है।

पुडुचेरी में जीवनशैली बीमरियां जैसे कि मधुमेह, मोटापा और हाइपरटेंशन के मामलों में वृद्धि देखी गई है - इसकी 36.7 फीसदी महिलाएं, 37.1 फीसदी पुरुष मोटापे का शिकार हैं, 7.3 फीसदी महिलाएं और 7.5 फीसदी पुरुषों में उच्च रक्त ग्लुकोज स्तर बढ़ा हुआ है, जो कि मधुमेह का संकेत है। और 6.9 फीसदी महिलाएं और 11.7 फीसदी पुरुष में उच्च रक्तचाप पाया गया है, जैसा कि नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ( 2015-16 ) में बताया गया है।

अधिकांश पीएचसी, जैसे कि कोसापलियम में, मंगलवार को एनसीडी क्लिनिक चलाते हैं, जहां मधुमेह, कैंसर और हाइपरटेंशन के मरीजों का जांच किया जाता है। मरीजों को दो हफ्तों के लिए मुफ्त दवाएं दी जाती हैं और आगे जांच के लिए बुलाया जाता है।

पुडुचेरी के कोसापलियम पीएचसी में एनसीडी क्लिनिक के बारे में बताते हुए मेडिकल ऑफिसर अश्वनि टी

Tकोसापालियम में पीएचसी कुछ पीएचसी में से हैं जो दो शिफ्ट में काम करते हैं – सुबह आठ से दोपहर दो बजे और दोपहर दो बजे से रात के आठ बजे तक। मेडिकल ऑफिसर अश्वनि टी बताते हैं, “हम हर दिन ओपीडी में 250 से 300 रोगियों को देखा जाता है। ” दो शिफ्टों में स्वास्थ्य स्टाफ की उपलब्धता , मुफ्त दवाइयां और बेहतर जागरुकता के कारण ज्यादा से ज्यादा रोगियों को देखा जाता है।

पीएचसी में दो डॉक्टर, चार नर्स, तीन स्वास्थ्य सहायक, एक इंस्पक्टर, आठ सहायक नर्स, एक लैब टेकनिशियन, दो फार्मासिस्ट और एक टीबी हेल्थ विजिटर होते हैं।

अश्वनि कहते हैं, “यहां, पुडुचेरी में लोग बहुत जागरुक हैं। वो पीएचसी में खुद आते हैं और इलाज की मांग करते हैं। ” यहां तक कि पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से भी लोग इलाज के लिए पुडुचेरी के पीएचसी आते हैं।

(यदवार प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 6 अप्रैल 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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