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नए साल की पूर्व संध्या पर हुई छेड़छाड़ की घटनाओं के विरोध में 10 जनवरी, 2017 को बेंगलुरु में नागरिकों ने प्रदर्शन किया था।

बेंगलुरु: वर्ष 2015 में बेंगलुरु में महिलाओं के खिलाफ दर्ज होने वाली 70 फीसदी अपराधों में दो तरह की प्रकृति देखी गई। एक तो पति या ससुराल के किसी सदस्य द्वारा क्रूरता और दूसरा छेड़छाड़। वर्ष 2015 में, शहर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,157 मामले दर्ज किए गए थे। अगर देखा जाए तो औसतन हर दिन आठ मामले दर्ज हुए।

सूचना के अधिकार के तहत मिले वर्ष 2015 के पुलिस आंकड़ों पर 101reporters.com और इंडियास्पेंड द्वारा हाल ही में एक विश्लेषण किया गया। विश्लेषण पर आधारित तीन लेखों की श्रृंखला का यह दूसरा लेख है। इस आलेख में हम देखेंगे कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की प्रकृति का फोकस क्या है और दिन में कब अपराध को अंजाम दिया जा रहा है?

इस तरह के विश्लेषणात्मक और डेटा मानचित्र पर आधारित आलेखों से पुलिस को उच्च अपराध वाले क्षेत्रों और संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलेगी। साथ ही राज्य प्रशासन अपने सीमित संसाधनों को बेहतर तरीके से उपयोग कर पाएगी।

अपराध का मानचित्र

बलात्कार, बलात्कार का प्रयास, अपहरण, दहेज से संबंधित हत्या या उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न, व्यभिचार, घरेलू हिंसा, आत्महत्या के लिए उकसाना, महिलाओं की तस्करी आदि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।

वर्ष 2015 में बेंगलुरु में दर्ज किए गए ज्यादातर मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विवादास्पद धारा 498 ए के तहत थे, जो पति या ससुराल के किसी सदस्य द्वारा क्रूरता से संबंधित हैं। विवादास्पद इसलिए, क्योंकि यह अक्सर आरोप लगाया जाता है कि महिलाएं इस धारा का दुरुपयोग अपने पति और ससुराल वालों को ब्लैकमेल करने के लिए करते हैं। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2015 में कुल दायर मामलों में से 1,341, या 42 फीसदी मामले इस धारा के तहत दर्ज किए गए ।

दूसरी सबसे आम शिकायत छेड़छाड़ की थी। कुल दर्ज किए गए मामलों में से 976 या 30.9 फीसदी मामले छेड़छाड़ के थे।

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2015 में हर दिन औसतन महिलओं के खिलाफ आठ से ज्यादा अपराध के मामले दर्ज हुए हैं। हम बता दें कि अपर्याप्त आंकड़ों के कारण 111 पुलिस स्टेशनों में से 16 पुलिस स्टेशनों के आंकड़े शामिल नहीं किए गए हैं। स्थान के आधार पर इन अपराधों को मैप करने के लिए हमने बैंगलोर को 626 क्षेत्रों में विभाजित किया है।

जयनगर, बेंगलुरु का एक समृद्ध और पुराने इलाकों में से है। इस इलाके में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। जयनगर में इस तरह के करीब 120 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं अलसूर का इलाका दूसरे नंबर पर है, जहां 108 मामले दर्ज हुए। बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित पेएन्या औद्योगिक क्षेत्र में इस तरह के 66 मामले दर्ज हुए।

शहर के प्रतिष्ठित आवासीय क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्च घटनाएं दर्ज की गई हैं लेकिन के.आर. मार्केट और यशवंथपुर जैसे व्यस्त क्षेत्रों में एक भी मामले दर्ज नहीं हुए।

दिन में बलात्कार के मामले ज्यादा

महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले रात में अधिक देखे गए । कथित तौर पर सुबह 6 बजे से शाम के 6 बजे के बीच अगर महिलाओं के खिलाफ अपराध के 100 मामले हुए तो सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे को बीच 127 मामले पाए गए । दूसरे शब्दों में 56 फीसदी दर्ज मामले दिन के उजाले हुए।

अपराध का समय और इलाकों के अनुसार विवरणों का उपयोग करते हुए, बेंगलुरु स्थित 101Reporters ने एक मैप तैयार किया है, जो दिखाता है कि वर्ष 2015 में शहर के किसी विशेष इलाके महिलाओं के लिए कैसे सुरक्षित या असुरक्षित थे।

हालांकि, रात के मुकाबले दिन में बलात्कार की घटनाएं ज्यादा हुई हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो 270 बलात्कार की शिकायतों में से 144 घटनाएं सुबह 6 बजे से शाम के 6 बजे के बीच हुईं । रात के मुकाबले दिन में 14 फीसदी घटनाएं अधिक हुई हैं।.

ये आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2015 में शहर के दक्षिण में स्थित आवासीय क्षेत्र पीनिया और सुब्रमण्यपुरा में सबसे ज्यादा बलात्कार में मामले दर्ज हुए हैं। बता दें कि पीनीया में 14 और सुब्रमण्यपुरा में 12 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं। बीटीएम लेआउट और मन्यता टेक पार्क जैसे क्षेत्रों में एक भी मामले दर्ज नहीं हुए।

तुलनात्मक रुप से, इंदिरानगर और कोरमंगला जैसे समृद्ध इलाकों में पांच-पांच बलात्कार की शिकायतें दर्ज की गई हैं। वहीं जयनगर में चार मामले दर्ज हैं। शहर के इन क्षेत्रों में आवासीय घर और वाणिज्यिक संस्थान सबसे ज्यादा हैं। बड़े बंगलों के अलावा, इंदिरानगर और कोरमंगला पॉश ब्रांड आउटलेट और पब के लिए जाना जाता है।

पीनिया पुलिस स्टेशन पर तैनात इंस्पेक्टर आय्यान्ना रेड्डी बी ने कहा कि केवल कुछ बलात्कार की शिकायतें वास्तविक साबित हुईं और ज्यादातर मामले झूठे पाए गए। प्रेम संबंध सफल न होने पर इस तरह की शिकायत करने वालों की संख्या ज्यादा देखी गई है।

सजा की दर कम

महिलाओं के खिलाफ अपराध, विशेष रूप से बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले में, दोषी ठहराए जाने या सजा मिलने की दर कम है। यह बात कर्नाटक के महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक रुपक कुमार दत्ता ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए स्वीकार की है। दत्ता कहते हैं कि इसका मुख्य कारण अदालत की कार्यवाही में देरी है।

दत्ता ने बताया, “ वर्ष 2012 में कर्नाटक में बलात्कार के 709 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें से मात्र46 लोगों को दोषी ठहराया गया। और इसी वर्ष सभी छेड़छाड़ के 3,215 मामलों में से 2 फीसदी से भी कम लोगों को सजा दी गई है। 1,099 यानी एक तिहाई मामलों में या तो आरोपी को बरी कर दिया गया या मामला बर्खास्त कर दिया गया।

हालांकि, शिकायतकर्ता अक्सर पुलिस पर पूर्वाग्रह और जुल्म का आरोप लगाते हैं। 22 वर्षीय पीड़ित नाजिया बेगम ( बदला हुआ नाम ) ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए बताया कि उसके पड़ोसी ने उसके साथ बलात्कार किया और मेडिकल टेस्ट में इसकी पुष्टि भी हुई थी। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया था। फिर एक महीने जेल के बाद उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।

पीनिया पुलिस स्टेशन द्वारा असहयोग की बात बताते हुए नाजिया कहती हैं, “हर बार जब मैं घर से बाहर निकलती हूं, वह मुझे धमकी देने के लिए वहां जाता है। मेरी जैसी कई और महिलाएं होंगी। इसे रोकने का एकमात्र समाधान अभियुक्त के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है। ”

‘लेजिस्लेटिव काउन्सल’ की सदस्य और ‘लेजिस्लेचर सब्कमिटी ऑन प्रिवेन्शन ऑफ वाइअलन्स एंड सेक्शूअल अब्यूज ऑफ वुमन एंड चिल्ड्रन’ की चेअर पर्सन वी.एस उगरप्पा ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए कहा, “ हमलोगों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध पर जमीनी काम किया है। हमने यह पाया है कि कर्नाटक में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में सजा दर सिर्फ 3 फीसदी है।” उन्होंने कहा कि कर्नाटक के सभी जिलों में शहरी बेंगलुरु सबसे ज्यादा असुरक्षित है।

कर्नाटक के राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चला है कि कर्नाटक में 2015 में महिलाओं के खिलाफ हुए सभी अपराधों में से लगभग 24 फीसदी सिर्फ बेंगलुरु में हुआ है।

उगरप्पा कहती हैं, " कार्यवाही में होने वाली देरी से महिलाओं का न्यायिक प्रणाली में विश्वास कम हो रहा है। शहर में महिलाओं के खिलाफ लगातार अपराध बढ़ रहा है, क्योंकि अपराधियों को कानून का डर नहीं रहा। "

उगरप्पा का आरोप है कि पुलिस मामलों की जांच में पूरा समय नहीं देती है,जिससे अपराधियों को शह मिलता है। उन्होंने जांच अधिकारियों के लिए अधिक जवाबदेही तय करने की मांग की है।

(मणि स्वतंत्र लेखक हैं और बेंगलुरु में रहती हैं। मणि 101reporters.com की सदस्य भी हैं। 101Reporters.com जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों का राष्ट्रीय नेटवर्क है। 101Reporters.com के प्रमुख सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमोल ढेकेने ने रिपोर्ट के लिए मैप तैयार किया है।)

वर्ष 2015 में बेंगलुरु में होने वाले अपराध आंकड़ों के विश्लेषण पर तीन लेखों की श्रृंखला का यह दूसरा भाग है। पहला भाग आप यहां पढ़ सकते हैं। तीसरा और अंतिम भाग कल प्रकाशित होगा।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 21 जून 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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