ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी के 'सुपरस्प्रेडर' पंचायत चुनाव, 700 शिक्षकों की कोरोना से मौत
उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ का दावा है कि पंचायत चुनाव में लगी ड्यूटी की वजह से 706 शिक्षकों की कोरोना से मृत्यु हुई है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले 43 साल के बीपी कुशवाह की पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी थी। 15 अप्रैल को मतदान कराने के बाद कुशवाह घर लौट आए। परिजनों के मुताबिक, चुनाव ड्यूटी से लौटने के कुछ दिन बाद से उनकी तबीयत खराब होने लगी। मेडिकल स्टोर से दवाइयां लेते हुए कुछ दिन गुजरे थे कि 27 अप्रैल को तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। घर वाले उन्हें लेकर अस्पताल भागे लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगने के बाद कोरोना से मौत का यह इकलौता मामला नहीं है। 'उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ' ने 29 अप्रैल को एक सूची जारी की जिसके मुताबिक, पंचायत चुनाव में शामिल 706 शिक्षक और कर्मचारियों की कोरोना से मौत हुई है। इसमें लखनऊ में 20, लखीमपुर खीरी में 19, रायबरेली में 26, सीतापुर में 17 और इसी तरह अलग-अलग जिलों के शिक्षक/कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। शिक्षक संघ ने यह मांग भी रखी है कि 2 मई को होने वाली मतगणना को टाल दिया जाए।
"मेरे भाई की हत्या हुई है!" बेहद गुस्से में कुशवाह के बड़े भाई जितेंद्र कुशवाह (55) कहते हैं। "सबको पता था कि कोरोना है, लेकिन चुनाव में ड्यूटी लगा दी और भेज दिया मरने को। इंसान का हाल भेड़-बकरी सा बना दिया है। न जांच हो पाई, न हम अस्पताल में एडमिट करा पाए, रास्ते में ही दम तोड़ दिया। बाद में पोस्टमॉर्टम के लिए कहा कि कोविड में पोस्टमॉर्टम नहीं होता। हम कुछ नहीं कर पाए," उन्होंने बताया।
कुशवाह अपने पीछे 14 साल की बेटी, 12 साल के बेटे और पत्नी को छोड़ गए हैं। परिवार की चिंता है कि इनका गुजर बसर कैसे होगा। परिवार सरकार से मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग भी कर रहा है। यह जोड़ते हुए कि, "सरकार हमारा आदमी नहीं लौटा सकती।"
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा इंडियास्पेंड से कहते हैं, "पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद जब प्रशिक्षण शुरू हुए तभी साफ हो गया था कि कोरोना के नियमों का पालन नहीं हो पायेगा। इसे देखते हुए मैंने 12 अप्रैल को निर्वाचन आयोग को खत लिखा कि चुनाव न कराए जाएं, लेकिन उसका संज्ञान नहीं लिया गया। इस बीच यह देखने को मिला कि जहां-जहां चुनाव हुए वहां शिक्षकों में संक्रमण ज्यादा फैल गया। इस बात से भी मैंने निर्वाचन आयोग को अवगत कराया और अब हमारी मांग है कि मतगणना टाल दी जाए।"
दिनेश शर्मा शिक्षकों की मौत के आंकड़ों पर कहते हैं, "एक अखबार में शिक्षकों की मौत से जुड़े आंकड़े छपे थे, करीब 135 शिक्षकों की मौत बताई गई। इसे देखते हुए हमने जिलों से शिक्षकों की मौत के आंकड़े मंगाए, जो अब तक (29 अप्रैल) 706 मिले हैं। इन आंकड़ों को हम मुख्यमंत्री और निर्वाचन आयोग को भेज रहे हैं। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि 706 तो केवल शिक्षक हैं, जबकि उनके परिवार में भी मौत हो रही है, जिसकी कोई गिनती नहीं है। इन हालातों में अब मतगणना में जहर बांटने की तैयारी है, इसलिए मेरा अनुरोध है कि मतगणना अभी ना कराई जाए।"
यूपी में तेजी से बढ़ रहा संक्रमण
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों की शुरुआत 26 मार्च को इसकी घोषणा के साथ हुई। मतदान चार चरणों (15,19,26 और 29 अप्रैल) के पंचायत चुनाव 15 अप्रैल से शुरू होकर 29 अप्रैल को सम्पन्न हुए जिसकी मतगणना 2 मई को होनी है।
अगर सरकार द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल के महीने में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। इंडियास्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 23 मार्च को रिपोर्ट किये गए सक्रिय मामले 3,844 थे, जो कि 23 अप्रैल को 2.7 लाख से ज्यादा हो गए। यानी एक महीने में रिपोर्ट किये गए सक्रिय मामलों की संख्या में 7018% की बढ़त हुई।
वहीं, 29 अप्रैल को राज्य में 35,156 नए मामले रिपोर्ट किए गए, जबकि इस दिन रिपोर्ट किये गए सक्रिय मामलों की संख्या 3 लाख से ज्यादा थी। उत्तर प्रदेश में कोरोना की शुरुआत (मार्च 2020) से लेकर 29 अप्रैल 2021 तक 12,238 लोगों की मौत कोरोना से रिपोर्ट की गई है।
शिक्षकों में संक्रमण का डर
यह आंकड़े उत्तर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण की तेज गति को बताने के लिए काफी हैं। ऐसे में शिक्षकों को ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने का डर है और साथ ही अपने साथियों की मौत की खबर सुनकर यह डर और भी बढ़ जाता है।
आगरा के रहने वाले एक शिक्षक नाम न लिखने की शर्त पर बताते हैं, "लोगों से कहा जा रहा है कि बाहर कम से कम निकलें और उसी वक्त हमारी ड्यूटी मतगणना में लगाई जा रही है। मुझे खुद से ज्यादा अपने परिवार का डर है। पिताजी की उम्र ज्यादा है और उन्हें कई बीमारियां भी हैं, अगर मुझसे होते हुए संक्रमण उन तक गया और मुझे या उन्हें कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?"
वहीं, अमेठी जिले के रहने वाले एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक नाम न लिखने की शर्त पर बताते हैं, "मेरी पत्नी कोरोना पॉजिटिव है, लेकिन मेरी ड्यूटी मतगणना में लगी है। मैंने अधिकारियों को यह बात बताई, लेकिन अभी तक ड्यूटी कटी नहीं है। हालांकि मैंने तय कर लिया है कि इस हाल में चुनाव ड्यूटी पर नहीं जाऊंगा। मेरी छोटी बच्ची है, मुझे उसका भी ख्याल रखना है, जो भी एक्शन लिया जाएगा सह लेंगे।" अमेठी के यह शिक्षक बताते हैं कि उनके जानने वाले तीन शिक्षकों की कोरोना से असमय मौत हो चुकी है। उनकी चुनाव में ड्यूटी लगी थी।
अमेठी के बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से 28 अप्रैल को जारी एक पत्र में भी यह साफ होता है कि जिले में पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगे 10 कर्मचारियों की मौत हुई है। इस संदर्भ में जिले के प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी शिव बहादुर मौर्य इंडियास्पेंड से कहते हैं, "कोरोना की वजह से मौत हो रही है और शिक्षकों की ड्यूटी लगी है तो उससे इन मौतों को जोड़ दिया जा रहा है। चुनाव ड्यूटी में लगे किसी भी कर्मचारी की कोरोना रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आती है तो उसकी ड्यूटी काट दी जा रही है।"
हालांकि, टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ड्यूटी कटने की बात पर शिक्षकों का कहना है कि कोरोना जांच की व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए थी। आगरा के एक शिक्षक ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया, "प्रशिक्षण से लेकर मतदान तक किसी की जांच नहीं हुई। प्रशिक्षण के दिन तो ब्लॉक पर जमकर भीड़ जुटी थी और कोई व्यवस्था नहीं थी। अगर किसी एक को भी कोरोना रहा होगा तो उसने कई लोगों को बांट दिया होगा। अब मतगणना से पहले भी जिनकी ड्यूटी लगी है उनकी कोरोना जांच कराने की कोई व्यवस्था नहीं है, न ही कोई नियम है कि इन्हें जांच कराना है।"
हाईकोर्ट में मामला
वहीं, शिक्षकों की मौत से जुड़ी खबरों के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल्स का पालना क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने आयोग से जवाब मांगा है कि अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा क्यों न चलाया जाए। साथ ही कोर्ट ने चुनाव में कोरोना गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया है। हालांकि आयोग को जवाब 3 मई को देना है और मतगणना 2 मई को खत्म हो जाएगी।
इस मामले का एक पहलू यह भी है कि हाईकोर्ट 27 अप्रैल को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को कहता है और इसके अगले दिन प्रदेश के अलग-अलग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना जांच के लिए खूब भीड़ जुटती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मतगणना के दिन प्रत्याशियों और मतगणना एजेंटों के पास कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट होना अनिवार्य है। आरटीपीसीआर या रैपिड एंटीजन निगेटिव रिपोर्ट के बिना किसी को मतगणना स्थल में जाने नहीं दिया जाएगा।
वहीं, हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने मतगणना के दिन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने संबंधित आदेश भी जारी किया है। इसमें मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना, मतगणना केंद्र पर भीड़ न इकट्ठा करने जैसी बातें कही गई हैं। साथ ही प्रत्याशियों और एजेंटों को 48 घण्टे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट या वैक्सिनेशन कोर्स पूर्ण होने संबंधी रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य है। अगर इनकी रिपोर्ट नेगेटिव नहीं होगी तो मतगणना स्थल पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
इसके विपरीत जिन शिक्षकों की ड्यूटी मतगणना में लगी है उनका कोरोना जांच कराने जैसा कोई नियम नहीं है। देवरिया जिले के एक शिक्षक ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा, "प्रत्याशी और एजेंट कोरोना जांच करा रहे हैं, लेकिन हमारी कोई जांच नहीं हो रही। मतगणना में ड्यूटी लगा दी है और अपने हाल पर छोड़ दिया है। कोई सुनवाई नहीं है।"
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