साल 2021-22 का बजट और आत्मनिर्भर भारत की तलाश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट स्पीच में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य पर खासा ज़ोर दिया लेकिन किस क्षेत्र में क्या नए कदम उठाये गए हैं और उनके लिए कितनी राशि आवंटित की गयी है ये जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार, एक फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत का राष्ट्रीय बजट पेश किया। कोरोना महामारी के बाद प्रस्तुत होने वाला ये पहला बजट था और इस ही वजह से इसे काफी संक्षिप्त भी रखा गया । इस बजट में कुछ नई योजनाओं के लिए राशि आवंटित की गयी वहीं कुछ पुरानी योजनाओं के आवंटन को संशोधित किया गया। हम आपको बताते हैं इस बजट के सबसे अहम बिंदु जिनका असर देशभर पर आने वाले वाले वित्तीय वर्ष में पड़ने वाला है।
स्वास्थ्य: प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना और मिशन पोषण 2.0
सरकार के अनुसार, स्वास्थ्य और सेहत के लिए बजट में 2,23,846 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो पिछले बजट के आवंटन 94,452 करोड़ रुपए से 137% ज्यादा है।
बजट में एक नयी योजना -- प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान किया गया। इस योजना के लिए 64,180 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गयी, ये राशि इस योजना को अगले 6 साल तक जारी रखने के लिए दी गयी है। ये योजना प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और इन स्वास्थ्य केंद्रों की क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित होगी। यह योजना सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का हिस्सा नहीं होगी ।
योजना के तहत जो मुख्य काम होने हैं उनकी सूची में शामिल है, 17,788 ग्रामीण और 11,024 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों को सहयोग प्रदान करना, देश के सभी जिलों में जन स्वास्थ्य लैब स्थापित करना और 11 राज्यों में 3,382 ब्लॉक जन स्वास्थ्य यूनिट स्थापित करना। साथ ही 12 केंद्रीय अस्पतालों में और 602 जिलों में क्रिटिकल केयर अस्पताल स्थापित करना और 15 इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर और 2 मोबाइल अस्पताल स्थापित करना। नई बीमारियों और वायरस पर शोध के लिए भी नए लैब बनाए जाएंगे।
सरकार के अनुसार पोषण से जुड़े प्रयास बेहतर करने के लिए पोषण अभियान और अनुपूरक पोषण सहायता कार्यक्रम को मिलाकर एक नया कार्यक्रम -- मिशन पोषण 2.0 बनाया गया है। योजना के तहत 112 आकांक्षी जिलों में कुपोषण के खिलाफ काम बेहतर करने के लिए बेहतर कदम उठाए जाएंगे।
कोविड-19 और अन्य वैक्सीन
साल 2021-22 में कोविड-19 के वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और वित्त मंत्री ने कहा की ज़रूरत पड़ने पर सरकार इसके लिए अधिक राशि आवंटित करने के लिए भी तैयार है।
न्यूमोकोकल वैक्सीन जो बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए लगाई जाती है, इस समय देश के सिर्फ 5 राज्यों में उपलब्ध है। इस बजट में इस वैक्सीन को देश के सभी राज्यों में ले जाना तय किया गया है। भारत में मरने वाले बच्चों में 13% की मृत्यु निमोनिया की वजह से होती है । साल 2018 में दुनिया भर में निमोनिया से मरने वाले पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की सूची में भारत दूसरे नम्बर पर था, जहां 1,27,000 मौतें हुई।
स्वच्छ भारत, साफ़ पानी, साफ़ हवा
घरेलु जल प्रदाय की सुविधा को देखते हुए शहरी जल जीवन मिशन शुरू किया जाएगा जिसका मक़सद 4,378 शहरी इलाकों के 3 करोड़ घरों में लगे नलों तक पानी पहुंचाने होगा। ये योजना अगले पांच सालों में पूरी की जाएगी और इसके लिए 2,87,000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गयी है।
शहरी स्वच्छ भारत मिशन (2.0) साल 2021 से 2026 तक चलाया जाएगा, इसके लिए 1,41,678 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत सरकार का मकसद कचरे का सही प्रबंधन, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट, निर्माण कार्य से निकलने वाले मलबे का प्रबंधन, एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक में कमी, फीकल स्लज मैनेजमेंट आदि है।
निरंतर बढ़ रही वायु प्रदूषण की समस्या से लड़ने के लिए 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरी इलाकों के लिए 2,217 करोड़ रुपए आवंटित किए गए है।
उज्ज्वला योजना का विस्तार
इस बजट में सरकार ने उज्ज्वला योजना को अतिरिक्त 1 करोड़ लाभार्थियों तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है । सरकार का कहना है की इस योजना से देश के 8 करोड़ परिवारों को लाभ पहुँचा है, लेकिन इंडियास्पेंड ने अपनी अप्रैल 2019 की रिपोर्ट में बताया की किस तरह से ये योजना पूरी तरह से सफल नहीं रही।
सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना जो साल 2016 में लायी गयी गई, इसके तहत सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे आने वाले सभी परिवारों को गैस सिलेंडर और इसे लगाने के लिए रेग्युलेटर और ट्यूब देने का वादा किया था। इसकी राशि, जो की 1600 रुपए तय की गयी थी, उनकी सब्सिडी की राशि में से काटी जाती है । इसके बाद लाभार्थियों को ये सिलेंडर 800-850 रुपए खर्च करके खरीदने होते हैं जो कि गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवारों के लिए एक बहुत बड़ी धनराशि है ।
प्रवासी मजदूरों के लिए योजनाएं
कोविड-19 महामारी के दौरान देश भर ने एक बड़ा संकट देखा जिस दौरान लाखों प्रवासी मजदूर हज़ारों किलोमीटर चल कर अपने घर पहुंचे, इस दौरान उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया जैसे नौकरी, स्वास्थ्य सेवाओं और राशन की कमी। प्रवासी और अन्य मजदूरों के लाभ के लिए सरकार ने इस बजट में कुछ चीजें जोड़ी हैं।
एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की योजना जिसके तहत लाभार्थी देश भर में कहीं भी सरकारी राशन दुकान से सस्ते दाम पर राशन ले सकते हैं, ये पहले से ही 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद है और सरकार का कहना है कि इससे 69 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं पर खबरों के अनुसार इस योजना से जुड़ी कई सारी चुनौतियां भी हैं।
साथ ही सभी प्रवासी मजदूरों और उनके काम की जानकारी एकत्रित करने के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा ताकि उनका डेटा इकट्ठा कर उनके लाभ के लिए स्वास्थ्य, आवास, बीमा आदि से जुड़ी योजनाएं बनायी जा सके। दिहाड़ी मजदूरों को भी सामाजिक सुरक्षा के लाभ दिए जाएंगे, सभी मजदूरों को न्यूनतम आय दी जाएगी साथ ही महिलाओं को सभी तरह के काम और सही सुरक्षा के साथ नाइट शिफ्ट में काम करने की छूट दी जाएगी।
खेती-किसानी से जुड़ी योजनाएं
सरकार का कहना है कि किसानों के लाभ के लिए एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया गया है जो कि लागत मूल्य से कम से कम डेढ़ गुना ज़्यादा है, साथ ही अनाज की सरकारी खरीद की मात्रा भी बढ़ा दी गयी है जिससे देश भर के किसानों की आय में काफ़ी वृद्धि हुई है।
गेहूं के किसानों को साल 2020 में 75,060 करोड़ रुपए दिए गए और लाभान्वित किसानों की संख्या इस दौरान बढ़ कर 43 लाख हो गई जो कि 2019 में 36 लाख थी। धान के किसानों को साल 2020 में अनुमानित 1,72,752 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया और लाभार्थियों की संख्या 2019 में एक करोड़ से बढ़कर 2020 में डेढ़ करोड़ हो गयी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इसी तरह का फ़ायदा दलहन और कपास के किसानों को भी हुआ।
किसानों को दिए जा रहे क़र्ज़ की राशि का सालाना लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपए तय किया गया है, जिसमें ख़ास ध्यान पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर होगा। नाबार्ड के तहत बनाए गए लघु सिंचाई फंड को 10,000 करोड़ रुपए का बनाने का प्रस्ताव रखा गया। ऑपरेशन ग्रीन स्कीम जो, प्याज़, आलू और टमाटर के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देता है इसके तहत अन्य 22 सब्जियां भी लायी जाएँगी। साथ ही ई-एनएएम यानी ऑनलाइन कृषि मंडी की सफलता देखते हुए ऐसी 1,000 मंडियां और बनाई जाएंगी।
प्राथमिक और उच्च शिक्षा
निर्मला सीतारमण ने कहा कि नयी शिक्षा नीति काफ़ी सफल रही है और 15,000 स्कूलों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जायेगा ताकि वो नयी शिक्षा नीति लागू कर सकें और ये स्कूल इलाकों के बाक़ी स्कूलों की भी मदद करेंगे । वित्त मंत्री ने अन्य प्राइवेट संस्थाओं के साथ मिलकर 100 नए सैनिक स्कूल खोलने का भी ऐलान किया ।
इस साल भारतीय उच्च शिक्षा कमीशन स्थापित किया जाएगा। साथ ही 9 शहरों में जहां केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे विश्वविद्यालय मौजूद हैं वहाँ संस्थान गठित किए जाएँगे जो उस शहर के सभी केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे शिक्षा संस्थान की निगरानी करेंगे।
(साधिका, इंडियास्पेंड के साथ प्रिन्सिपल कॉरेस्पॉंडेंट हैं।)हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। कृपया respond@indiaspend.org पर लिखें। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।