लखनऊ। दुर्गा प्रसाद (44) को उम्‍मीद नहीं कि इस बार भी उनकी आम की फसल अच्‍छी होगी। लखनऊ के मल‍िहाबाद क्षेत्र में दुर्गा प्रसाद के कई आम के बाग हैं। कहीं थोड़े बहुत आम आए हैं तो किसी बाग में एक भी आम देखने को नहीं मिलते।

दुर्गा कहते हैं, "प‍िछले तीन साल से नुकसान हो रहा है। इस बार मार्च में खूब मंजर और फल आए थे, लेकिन ना जाने क्‍या हुआ सब खत्‍म हो गए। ज‍िन बागों में आम बचे हैं, उन्‍हें कीटों से बचाने के ल‍िए डेढ़ लाख का कीटनाशक छिड़क चुका हूं, लेकिन लगता नहीं कि लागत भी न‍िकल पाएगी। कीटों ने सब खराब कर रखा है।"

उत्‍तर प्रदेश (यूपी) भारत का सबसे बड़ा आम उत्‍पादक राज्‍य है। देश का करीब 23% आम का उत्‍पादन यूपी में होता है। यूपी की राजधानी लखनऊ का मल‍िहाबाद क्षेत्र अपने दशहरी आम के ल‍िए प्रसिद्ध है। हालांकि, प‍िछले तीन साल से यहां आम का उत्‍पादन बहुत ज्‍यादा प्रभाव‍ित हुआ है। इसे लेकर किसानों का कहना है कि गर्मी की वजह से कीटनाशक बेअसर हो रहे हैं। वहीं, वैज्ञान‍िक जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और हीट वेव को वजह बता रहे हैं।



हीट वेव और बदलते मौसम से आम को नुकसान

जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और हीट वेव का कृष‍ि और बागवानी पर क्‍या असर हुआ है, इसे लेकर हैदराबाद स्‍थ‍ित केंद्रीय बारानी अनुसंधान संस्‍थान ने हाल ही में एक र‍िपोर्ट जारी की है। यह भारतीय कृष‍ि अनुसंधान परिषद (ICAR) का एक संस्‍थान है। मई 2022 में आई र‍िपोर्ट में बताया गया कि यूपी में इस साल (2022) मार्च के महीने में सामान्‍य से लगभग 5 ड‍िग्री सेल्‍स‍ियस ज्‍यादा तापमान होने से आम के मंजर (बौर) को नुकसान हुआ है। वहीं, परागण की क्रिया भी ठीक से नहीं हो पाई। इस कारण बहुतायत में झुमका रोग की समस्‍या देखने को मिली है। आम में झुमका रोग लगने पर यह मटर के दाने के बराबर होने के बाद गिर जाते हैं।

र‍िपोर्ट में बताया गया कि यूपी की तरह बिहार, मध्‍य प्रदेश और झारखंड के कई ज‍िलों में भी हीट वेव की वजह से मंजर गिरने के मामले आए हैं। मध्‍य प्रदेश के टीकमगढ़, झारखंड के गोड्डा और बिहार के दरभंगा ज‍िले में फल का आकार छोटा रह जाने के मामले भी देखे गए।

सबसे बड़े आम उत्‍पादक देश में घटा न‍िर्यात

इस रिपोर्ट से जाहिर है कि अनश्चि‍त मौसम और बढ़ते तापमान का असर व्‍यापक तौर पर आम के उत्‍पादन पर पड़ा है। कृषि‍ मंत्रालय का अनुमान भी यही बताता है कि इस साल आम का उत्‍पादन प‍िछले साल के मुकाबले कम हो सकता है। मंत्रालय के अग्रिम अनुमान के मुताबिक, इस साल (2021-22) 20,336 हजार मीट्रिक टन आम के उत्पादन का अनुमान है। प‍िछले साल (2020-21) 20,386 हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन हुआ था।

भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा आम उत्‍पादक देश हैं, दुन‍िया का करीब 50% आम का उत्‍पादन यहीं होता है। यहां से दुन‍िया के अलग-अलग देश को आम सप्‍लाई होते हैं। हालां‍क‍ि आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि साल 2020 के मुकाबले 2021 में आम के न‍िर्यात में करीब 57% की कमी आई है।

लोकसभा में 8 फरवरी 2022 को दिए गए आंकड़ों के मुताब‍िक, भारत 83 देशों में आम का निर्यात करता है। साल 2020 में 49658.68 मीट्र‍िक टन आम का न‍िर्यात हुआ था, जो कि साल 2021 में घट कर 21,033.58 मीट्रिक टन रह गया। भारत ने 2021 में सबसे ज्‍यादा आम संयुक्‍त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, कतर, ओमान और कुवैत को निर्यात किए।




साल 2022 में दिखी अप्रत्याशित गर्मी

भारत में इस साल गर्मी का प्रभाव बहुत ज़्यादा रहा। साल 2022 में देश के कई हिस्से हीट वेव से प्रभावित रहे। भारतीय मौसम विभाग के पिछले 12 साल के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2022 में कई मौसम केन्द्र ऐसे रहे जहां अत्यधिक तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, हमने जून में रिपोर्ट किया।

अप्रैल 2022 में अप्रत्याशित गर्मी ने इस बार कई मौसम केंद्रों पर अत्यधिक तापमान के अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए जिसमें डाल्टनगंज, इलाहाबाद, झांसी, लखनऊ, धर्मशाला, अलवर, जैसलमेर और पंचमढ़ी शामिल हैं।

अप्रैल 2022 का ही आंकड़ा देखें तो पाएंगे कि इस महीने में सबसे ज्यादा 146 बार हीट वेव और अत्यधिक हीट वेव का अनुभव किया गया। ये संख्या 2010 के बाद दूसरे नम्बर पर आती है। तब 404 बार हीट वेव और अत्यधिक हीट वेव की घोषणा की गई थी।

अप्रैल 2010 में ऐसे 11 मौसम केंद्र थे जहां कुल 23 बार तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। साल 2019 में 13 केंद्रों में ऐसा 37 बार गर्मी की सीमा टूटती दिखी तो 2022 में 25 केंद्रों में कुल 56 बार ऐसा होता दिखा। वो भी तब जब भारत में 2010 से अब तक देश में कुल 204 मौसम केद्रों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

आम के अच्‍छे उत्‍पादन के ल‍िए 27 ड‍िग्री सेल्‍स‍ियस के तापमान को बेहतर माना गया है। हालांकि, इस साल मार्च में ही लखनऊ का उच्‍चतम तापमान 33 ड‍िग्री सेल्‍स‍ियस के आसपास रहा। तापमान बढ़ने का असर मल‍िहाबाद के आम पर भी हुआ है।

मल‍िहाबाद में स्‍थ‍ित केंद्रीय उपोष्‍ण बागवानी संस्‍थान के प्रधान वैज्ञान‍िक डॉ. हर‍ि शंकर स‍िंह कहते हैं, "प‍िछले दो तीन साल से ऐसा देखा जा रहा है कि मौसम के अचानक पर‍िवर्तित होने, तापमान के घटने बढ़ने की वजह से आम के फूल और फल को नुकसान हो रहा है।" केंद्रीय उपोष्‍ण बागवानी संस्‍थान मल‍िहाबाद क्षेत्र में आम को लेकर काम करता है। यह (ICAR) का एक संस्‍थान है।

डॉ. हर‍ि शंकर स‍िंह कहते हैं, "प‍िछले साल (2021) जनवरी के महीने में अचानक तापमान बढ़ गया, ज‍िसकी वजह से आम के फूल जल्‍दी आ गए। इसके कुछ द‍िन बाद ही तापमान फिर गि‍र गया और जो फूल आए थे उन्‍हें नुकसान हुआ। वहीं, इस साल (2022) जनवरी-फरवरी के आसपास तापमान कम रहा, लेकिन जैसे ही मार्च में आम के फूल आए तापमान बहुत तेजी से बढ़ गया, ज‍िसकी वजह से परागण की क्रिया ठीक से नहीं हो पाई।"

ज्‍यादा तापमान की वजह से परागकण मर गए और ऐसे में छोटे-छोटे फल तो आए, लेकिन वो ज्‍यादा द‍िन तक रह नहीं पाए। परागण की क्र‍िया ठीक से न होने और आम में झुमका रोग लगने की समस्‍या मल‍िहाबाद और देश के अलग-अलग जगहों पर व्‍यापक तौर पर देखने को मिली है, डॉ. हर‍ि शंकर ने बताया।

कीटों की बढ़ती संख्‍या और बेअसर होते कीटनाशक

आम में रोग लगने, फूल और फलों के गिर जाने के अलावा कीटों की परेशानी भी साल दर साल बढ़ रही है। इसकी वजह से काफी नुकसान हो रहा है। मल‍िहाबाद क्षेत्र में थ्र‍िप्‍स, सेमी लूपर और बंच बोरर कीट से किसान काफी परेशान हैं। हबीबपुर गांव के तुलसीराम यादव (45) इस बार अपने बाग में आठ बार छ‍िड़काव करा चुके हैं। इसके बाद भी कीटों का प्रकोप कम नहीं हो रहा और तुलसीराम समझ नहीं पा रहे हैं कि कमी कहां है।

"दवा दुकान वाले कहते हैं कि गर्मी की वजह से कीटनाशक काम नहीं कर रहे। ऐसा थोड़े होता है। कीटनाशक है तो कीट मरने चाहिए। आठ बार छ‍िड़काव करा चुके, कोई खास असर नहीं हुआ। मुझे लगता है, बाजार में नकली कीटनाशक आ गए हैं," तुलसीराम कहते हैं।

कीटों की वजह से आम को बहुत नुकसान हो रहा है। तस्‍वीर में जो कीट है उसे किसान सुंडी कीड़ा कहते हैं। इसका बहुत ज्‍यादा प्रकोप है। फोटो: रणव‍िजय स‍िंह

मल‍िहाबाद में लगभग हर किसान कीटनाशक के बेअसर होने की बात कहता है। इसके पीछे तापमान के बढ़ने और नकली कीटनाशक की बात आम तौर पर कही जा रही है। इसके साथ ही किसान यह भी महसूस कर रहे कि प‍िछले कुछ साल से कीटों की संख्‍या ज्‍यादा हो गई है।

कीटों के बढ़ते प्रकोप पर डॉ. हर‍ि शंकर सिंह कहते हैं, "यह सच है कि गर्मी की वजह से कीटनाशक बेअसर हो रहे हैं। कुछ दवाइयां ऐसी होती हैं जो ज्‍यादा तापमान पर काम नहीं करतीं। कीटनाशक के बेअसर होने के अलावा तापमान बढ़ने की वजह से कीटों की संख्‍या में भी इजाफा हुआ है। दरअसल, तापमान कम होने पर कई कीट 40 द‍िन में अंडे से प्रौढ़ बनते हैं, लेकिन जब तापमान बढ़ता है तो यह साइकिल छोटी होकर 20 से 25 द‍िन तक आ जाती है, ऐसे में कम समय में कीटों की कई साइकिल बनती है। इसकी वजह से कीटों की संख्‍या बढ़ जाती है और नुकसान ज्‍यादा होता है।"

मल‍िहाबाद में थ्र‍िप्‍स कीट का बहुत ज्‍यादा प्रकोप है। थ्र‍िप्‍स आम के पत्‍ते के ट‍िशू में 200 तक अंडे देती है। प्रौढ़ थ्र‍िप्‍स 10 से 30 द‍िन तक ज‍िंदा रहते हैं। यह बहुत जल्‍दी अपनी संख्‍या को बढ़ाते हैं। मल‍िहाबाद में किसानों के बीच इस कीट को लेकर डर साफ देखने को मिलता है।

आम में नुकसान हो रहा, लागत नहीं न‍िकल रही

बदलते मौसम, बढ़ते तापमान और कीटों की वजह से आम को जो नुकसान हो रहा है, उसका असर किसानों पर देखने को मिलता है। किसानों का कहना है कि आम के बाग में ज‍ितनी लागत लग रही है, उसके हिसाब से आम नहीं हो रहे। प‍िछले साल कई किसानों की लागत तक नहीं न‍िकल पाई।

मल‍िहाबाद के मोहम्‍मद नगर के रहने वाले राम जीवन यादव (47) का 1 एकड़ में बाग है। उनके बाग में बहुत से आम पर दाग देखने को म‍िलते हैं। यह दाग कीटों की वजह से हैं। राम जीवन कहते हैं, "दाग वाले आम 4 से 5 रुपए किलो के हिसाब से बिकेंगे, अगर दाग न लगा होता तो यही आम 20 से 25 रुपए किलो ब‍िक जाता। इस नुकसान की कोई भरपाई भी नहीं है।"

आम के फूल आने से लेकर आम के तैयार होने तक रामजीवन आठ बार कीटनाशक का छ‍िड़काव कर चुके हैं। उनके मुताब‍िक, एक बार कीटनाशक के छ‍िड़काव में करीब 3 हजार रुपए लगे हैं। इस हिसाब से 24 हजार रुपए लग चुके हैं। रामजीवन को उम्‍मीद है कि यह लागत न‍िकल जाएगी, लेकिन उन्‍हें ज्‍यादा मुनाफा होते नहीं द‍िखता। प‍िछले साल तो लागत भी नहीं न‍िकल पाई थी।

मल‍िहाबाद के किसानों का कहना है कि पहले बाहर के व्‍यापारी भी ज्‍यादा आते थे, लेकिन प‍िछले कुछ साल से वो भी कम आ रहे हैं। ऐसे में आम को स्‍थानीय बाजार में बेचना पड़ रहा है, जहां उतनी अच्‍छी कीमत नहीं मिलती। मोहम्‍म्मद नगर के रहने वाले आम के कारोबारी बब्‍लू मौर्या (42) कहते हैं, "मल‍िहाबाद का आम व‍िदेशों तक जाता है, लेकिन प‍िछले कुछ साल से बड़े आम के व्‍यापारी कम आ रहे हैं। आम के बाजार में अब वो रौनक नहीं रही।"

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