लल‍ितपुर: उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के लल‍ितपुर के शंकर* ने मई 2021 में अपनी 15 साल की बेटी सपना* की शादी कर दी और अब वो "राहत" महसूस कर रहे थे। शंकर को अब बस अपनी दूसरी बेटी ज्‍योति* की शादी की "चिंता" थी, जो अभी 11 साल की थी।

*पहचान छुपाने के लिए नाम बदले गए हैं।

एक महीने बाद ज्‍योति को बड़ी बहन सपना के देवर की शादी में ले जाया गया, उस वक़्त उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि यहां से उसकी जिंदगी बदल जाएगी। उसी रात 11 साल की ज्‍योत‍ि की शादी सपना के 15 साल के देवर से करा दी गई। शादी को लेकर ज्‍योत‍ि को आखरी वक्‍त तक कुछ पता नहीं था।

शंकर इस बारे में बताते हुए कहते हैं, "उस रात मैं शराब के नशे में था और सो रहा था। इस बीच मेरी बेटी के ससुर आए और मेरे पैर पकड़कर रोने लगे। उन्‍होंने बताया कि उनके बेटे की शादी टूट गई है। वो मुझसे समाज में इज्‍जत बचाने की गुहार लगा रहे थे और कह रहे थे कि मैं अपनी छोटी बेटी की शादी उनके बेटे से कर दूं, यह देख मैंने भी हां कर दी।"

फिलहाल इस मामले में चाइल्‍ड लाइन की दखल के बाद दोनों ही लड़कियां (ज्‍योति और सपना) अपने प‍िता के घर पर हैं। इन परिवारों से यह समझौता कराया गया है कि जब तक लड़कियां बाल‍िग न हों इनकी व‍िदाई न की जाए।

सपना अभी 10वीं में पढ़ रही है और आगे भी पढ़ाई जारी रखना चाहती है। लेकिन सपना और ज्‍योति के माता-प‍िता के अनुसार ससुराल वाले वक्‍त-वक्‍त पर व‍िदाई का दबाव बना रहे हैं।

लल‍ितपुर का यह इकलौता मामला नहीं है। ज्‍योति और सपना की तरह यहां कई लड़कियों के बाल व‍िवाह होते हैं। नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे-5 के आंकड़ों के मुताबिक, लल‍ितपुर में 20 से 24 साल की 42.5% ऐसी महिलाएं हैं जिनकी शादी 18 साल से पहले हुई। यानी, लल‍ितपुर में हर तीन में से एक बाल वधू है। प्रदेश में यह आंकड़ा 15.8% है और देश में यह आंकड़ा 6.5% है।

यून‍िसेफ की बाल विवाह पर साल 2019 में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सबसे ज्‍यादा बाल वधू, करीब 3.6 करोड़, उत्तर प्रदेश में रहती हैं। एनएफएचएस-5 के मुताब‍िक प्रदेश के पांच जिले श्रावस्‍त‍ी (51.9%), लल‍ितपुर (42.5%), सिद्धार्थनगर (33.9%), गोंडा (25.4%) और महाराजगंज (24.1%) में बड़ी संख्‍या में बाल व‍िवाह होते हैं। यह ज‍िले भारत के उन 50 ज‍िलों में शामिल हैं जहां बाल व‍िवाह सबसे ज्‍यादा होते हैं।

लल‍ितपुर में क्‍यों होते हैं बाल व‍िवाह?

लल‍ितपुर में बाल व‍िवाह के मामलों के पीछे कई वजह देखने को मिलती है, जैसे - अशिक्षा, पिछड़ापन, जागरुकता का अभाव और रोजगार के ल‍िए पलायन।

ललितपुर चाइल्ड लाइन की प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर दीपाली पटैरिया इंड‍ियास्‍पेंड से कहती हैं, "इस क्षेत्र में बाल विवाह के मामले अनुसूचित जाति और जनजाति में ज्‍यादा पाए जाते हैं। खासतौर पर सहरिया आदिवासियों में बाल विवाह के मामले ज्‍यादा होते हैं। यह तबका गरीब है और मजदूरी के ल‍िए गांव से पलायन करने को मजबूर है। ऐसे में इनके सामने यह सवाल होता है कि उनके बाहर जाने पर बच्‍च‍ियों की देखभाल कौन करेगा। इसल‍िए बच्‍च‍ियों की जल्‍द से जल्‍द शादी कर दी जाती है ताकि वो अपने ससुराल चली जाएं।"

ललितपुर चाइल्ड लाइन की प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर दीपाली पटैरिया। फोटो: रणव‍िजय सिंह

दीपाली के मुताब‍िक इस क्षेत्र में समाज के दबे कुचले वर्गों में बाल व‍िवाह का चलन इसलिए भी है ताकि उच्च वर्ग और दबंग जातियों के शोषण से लड़कियों को बचाया जा सके।

दीपाली बताती हैं, "गांव में एक डर साफ देखने को मिलता है कि उनकी बच्‍च‍ियों के साथ कुछ गलत हो जाएगा। ऐसे में उन्‍हें जल्‍द से जल्‍द शादी करनी होती है। उन्‍हें यह फर्क नहीं पड़ता कि उनकी उम्र कितनी है, बस शादी कर देनी है।"

दीपाली की बात से गांव के लोग भी सहमति जताते हैं। लल‍ितपुर के बालाबेहट गांव में करीब 60 घर सहरिया आदिवासियों के हैं। गांव के ही भागीरथ सहरिया (40) ने अपनी बेटी की शादी तीन साल पहले 17 साल की उम्र में कर दी थी। भागीरथ कहते हैं, "हमें काम के ल‍िए बाहर जाना होता है तो जवान बच्‍च‍ियों को घर पर कैसे छोड़कर जाएं। इसल‍िए हम जल्‍दी शादी करते हैं।"

बालाबेहट गांव की महिला धनसरानी सहर‍िया (42) का कहना है, "जमाना खराब चल रहा है इसल‍िए लड़कियों की शादी जल्‍दी कर देते हैं। हमारे समाज में 15-16 साल की उम्र में शादी करते हैं। बच्‍चियां अपने घर चली जाएं तो ज्‍यादा अच्‍छा है।"

रोजगार के ल‍िए पलायन और लड़कियों के साथ गलत होने के डर के अलावा बाल व‍िवाह के पीछे दहेज भी एक बड़ी वजह है। बाल व‍िवाह करने वाले अक्‍सर गरीब तबके से होते हैं। ऐसे में बच्‍चों की शादी के पीछे यह मकसद भी होता है कि शादी कम खर्च में हो जाएगी और दहेज भी कम लगेगा।

लल‍ितपुर में बाल व‍िवाह पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन जन साहस के जिला समन्वयक राजीव अह‍िरवार कहते हैं, "बड़ी उम्र में शादी करने पर लड़का कमाने लगता है और फिर उसकी दहेज की मांग ज्‍यादा होती है। इन समुदायों में गरीब लोग ज्‍यादा हैं, ऐसे में बच्‍च‍ियों की शादी जानबूझकर कम उम्र में की जाती है ताकि दहेज कम देना पड़े।" राजीव के मुताब‍िक लल‍ितपुर में सहरिया आदिवासियों की संख्‍या करीब 1.5 लाख है।

बाल व‍िवाह रोकने के ल‍िए क्‍या किया जा रहा?

लल‍ितपुर चाइल्‍ड लाइन ने प‍िछले तीन साल (2019-21) में 12 बाल व‍िवाह के मामलों में दखल दिया है। इसमें से दो में शादी हो चुकी थी, छह शादियों को रुकवाया गया और चार शादियों को रद्द कराया गया। बाल व‍िवाह रुकवाने में चाइल्‍ड लाइन को कई तरह की समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कई बार शादी की खबर देर से मिलती है तो कई बार स्‍थानीय प्रशासन का सपोर्ट उस हिसाब का नहीं मिल पाता। वहीं, ज‍िनके घर शादी होती है उनका और समाज का वि‍रोध भी झेलना पड़ता है।

लल‍ितपुर का ज‍िला प्रोबेशन अध‍िकारी कार्यालय। फोटो: रणव‍िजय सिंह

बाल व‍िवाह को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से क्‍या कदम उठाए जा रहे हैं, यह जानने के ल‍िए इंड‍ियास्‍पेंड की टीम जिला प्रोबेशन अधिकारी सुरेंद्र कुमार पटेल से मिली। सुरेंद्र पटेल के हिसाब से लल‍ितपुर में बाल व‍िवाह पर काफी कंट्रोल कर लिया गया है और जो डेटा है वो काफी पुराना है। सुरेंद्र कहते हैं, "सरकार बच्‍च‍ियों की पढ़ाई से लेकर शादी तक की कई योजनाएं चला रही है। साथ ही बाल व‍िवाह के मामलों में आपराध‍िक कार्यवाही की जाती है। इसकी वजह से प‍िछले दो साल में बाल व‍िवाह के मामले सामने नहीं आए हैं।" हमने जब उनसे बाल व‍िवाह को लेकर की गई कार्यवाही से संबंध‍ित डेटा मांगा तो वो इसे टालते नजर आए।

केंद्र सरकार ने प‍िछले द‍िनों 'बाल विवाह निषेध संशोधन बिल' संसद में पेश किया है। इसमें महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। शादी की उम्र 21 साल होने के बाद लल‍ितपुर प्रशासन को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और इसके ल‍िए क्‍या तैयारी की जा रही है? इस सवाल पर सुरेंद्र पटेल कहते हैं, "अभी ऐसा कोई आदेश नहीं आया है, जब ऐसा न‍ियम बनेगा तो उस हिसाब से काम करेंगे।"

कम उम्र में शादी और फिर बच्‍चों से स्‍वास्‍थ्‍य पर असर

बाल व‍िवाह की वजह से लड़कियों के स्वास्थ्य पर भी खराब असर पड़ता है। जल्‍दी शादी की वजह से ज्‍यादा बच्‍चे होते हैं और महिलाओं को एनीमिया की श‍िकायत रहती है। साथ ही बच्‍चे भी कमजोर पैदा होते हैं।

लल‍ितपुर के ज‍िला अस्‍पताल के किशोर स्‍वास्‍थ्‍य क्‍लीन‍िक की काउंसलर रश्‍मी श्रीवास्‍तव बताती हैं, "हमारे पास 17-18 साल की कई व‍िवाहित लड़कियां भी आती हैं, हम उन्‍हें अभी बच्‍चा न करने की सलाह देते हैं। वहीं, महीने में 3-4 ऐसी लड़कियां आती हैं जो 17-18 साल की उम्र में गर्भवती होती हैं। हम उनकी काउंसल‍िंग करते हैं कि अब दूसरे बच्‍चे में लंबा वक्‍त देना है।"

एनएफएचएस-5 के सर्वे के दौरान लल‍ितपुर में 15 से 19 साल की 9.4% महिलाएं या तो मां बन चुकी थीं या गर्भवती थीं। उत्‍तर प्रदेश में यह आंकड़ा 2.9% है और देश में यह आंकड़ा 6.8% है।

रश्‍मी श्रीवास्‍तव के मुताबिक गांवों में जागरूकता की बहुत कमी है और उस हिसाब के संसाधन भी नहीं कि लोगों को जागरूक किया जा सके। वो बताती हैं कि लल‍ितपुर ज‍िले में किशोर स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े सिर्फ दो काउंसलर हैं। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम
के तहत बने किशोर स्वास्थ्य क्लीनिकों पर 10 से 19 साल के किशोरों/किशोरियों को पोषण, यौन स्वास्थ्य और प्रजनन समेत छह मामलों में काउंसलिंग और क्लीनिकल सेवाएं दी जाती हैं। उत्तर प्रदेश में ऐसे 346 क्लीनिक हैं, ज‍िसमें से दो लल‍ितपुर में है।

लल‍ितपुर का किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक। फोटो: रणव‍िजय स‍िंह

उत्तर प्रदेश के किशोरों/किशोरियों में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी निम्न स्तर की पाई गई, साल 2017 में आई पापुलेशन कॉउंसिल की इस रिपोर्ट के अनुसार। इस रिपोर्ट में बताया गया कि किशोरों में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के ख़तरे, वैवाहिक स्थिति, उम्र और लिंग के अनुसार अलग पाई गई, ज़्यादा और कम उम्र की लड़कियों में एनीमिया का स्तर बहुत ज़्यादा पाया गया और शादीशुदा लड़कियों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी और पार्टनर की हिंसा के मामले भी पाए गए।

उत्तर प्रदेश में किशोर/किशोरियां बहुत ही सीमित तौर पर किशोर स्वास्थ्य क्लीनिकों का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही फ़्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के साथ भी इनका जुड़ाव बहुत ही सीमित है, जिसे बढ़ाए जाने की ज़रूरत है, रिपोर्ट में आगे कहा गया।

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