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11 अप्रैल 2016, जब से विधानसभा चुनाव हुए हैं तब से असम में हुआ उम्मीद से अधिक रिकॉर्ड मतदान काफी सुर्खियों में रहा है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक,उच्चतर मतदान बदलाव के लिए एक इच्छा एवं असम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत की संभावना का संकेत हो सकता है।

इसलिए, यहां एक महत्वपूर्ण सवाल का जवाब दे सकते हैं: क्या उच्च मतदान सरकार विरोधी लहर में बदल पाएगा?

हालांकि, किसी भी विधानसभा चुनाव में, राजनीतिक पार्टी का वोट प्रतिशत, राज्य में हुए कुल मत के प्रतिशत के रूप में सुरक्षित वोटों की संख्या होती है एवं ‘लड़े गए चुनाव वोट प्रतिशत’ (कंटेस्टेड वोट शेयर) का का अर्थ लड़े गए सीट (न की पूरे राज्य) पर हुई कुल मतदान के प्रतिशत के रुप में सुरक्षित वोटो की संख्या होती है।

उद्हारण के लिए, एक राज्य मानते हैं जहां 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव हैं और कुल मिला कर वहां 400 वोट डाले गए हैं। इस चुनाव में यदि एक पार्टी 100 वोट सुरक्षित रखती है तो उस पार्टी का वोट प्रतिशत 25 फीसदी होगा। लेकिन यदि पार्टी कुल 20 सीटों की बजाए 10 सीटों पर ही चुनाव लड़ती है और उस पर कुल 200 वोट मिलते हैं तो कंटेस्टेड वोट प्रतिशत 50 फीसदी होता है।

हमने पिछले दो चुनावों में - 2011 राज्य विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनाव – भाजपा एवं कांग्रेस के कंटेस्टेड वोट प्रतिशत का विश्लेषण किया है और 2014 में हुए मतदान से तुलना की है।

2011 के बाद से कुल मतदान में वृद्धि हुई है (2011 में 75.92 फीसदी से 2014 में 80.12 फीसदी एवं 2016 में 84.73 फीसदी) और 2014 के आम चुनावों में भाजपा सबका सफाया करते हुए सत्ता में आई।

एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र (लोक सभा में प्रतिनिधित्व) करीब पांच से सात विधानसभा क्षेत्रों (राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व) से बनता है। 2011 के विधानसभा और 2014 के लोकसभा परिणामों को यथार्थ रुप से तुलनीय बनाने के लिए, हमने 2014 के संसदीय चुनाव के विधानसभा क्षेत्र वार परिणाम इस्तेमाल किया है।

2014 में हुए कुल मतदान के अनुसार विधानसभा क्षेत्रों का वर्गीकरण करते हुए, हमने उच्च मतदान के साथ 15 निर्वाचन क्षेत्र एवं सबसे कम मतदान वाले 15 निर्वाचन क्षेत्र का अध्ययन किया है और इन दो चुनावों में इन दो चरम विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा एवं कांग्रेस के प्रदर्शन का विश्लेषण किया है।

हमारे निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

असम में औसत वोट प्रतिशत

वोट प्रतिशत का सरल मूल्यांकन हमें बताता है कि कम मतदान वाले क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन, अधिक मतदान वाले इलाकों की तुलना में बेहतर (48.3 फीसदी बनाम 17.5 फीसदी) है।

असम में मतदान, 2014 लोकसभा चुनाव

Turnout

आगे हमें यह भी समझने की कोशिश करना है कि क्या इस पैटर्न से यह ज़ाहिर होता है कि कहां भाजपा मजबूत है और कहां नहीं।

इसलिए, हमने उन ज़िलों को देखा जिनसे यह विधानसभा क्षेत्र संबंधित हैं और जानने की कोशिश की कि 2011 के चुनाव में इन्हीं विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी ने कैसा प्रदर्शन किया था।

हमने यह पाया कि निचले 15 विधानसभा क्षेत्र बराक घाटी और ऊपरी असम में थे जबकि टॉप 15 विधानसभा क्षेत्र निचले एवं मध्य असम में थे जो मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल इलाके हैं।

असम में औसत वोट प्रतिशत, 2011

हमने पाया कि पूरे राज्य में कांग्रेस की गति धीमी हो रही है। साथ ही इससे पहले की प्रवृति, जहां कम मतदान समूह में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन हुआ है, वो दोबारा दिखाई देती है।

और निष्कर्ष निकलता है कि मतदान में वृद्धि होने का प्रभाव भाजपा के वोट प्रतिशत पर नहीं पड़ता है। असल में, कम मतदान के बावजूद असम में बढ़ती उपस्थिति के लिए बराक घाटी और ऊपरी असम में मजबूत पकड़ होना मुख्य कारण हो सकता है। तो, भाजपा के पक्ष में सरकार विरोधी कारक है लेकिन यह अधिक मतदान से संबंधित नहीं है।

क्या मतदाताओं का पक्ष विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की तरफ होगा? क्या वोटों का कांग्रेस और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच विभाजन होगा? मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उच्च मतदान भाजपा के लिए या उनके खिलाफ काम करेगा? इन सबका जवाब 19 मई को मिलेगा।

(भंडारी और कुमार आईडीएफसी संस्थान के साथ एसोसिएट और वरिष्ठ विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 18 मई 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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