हम जल्द ही अपने घरों और मोहल्लों की गलियों में ज्यादा से ज्यादा एलईडी बल्ब के इस्तेमाल को देखेंगे। ऐसा इसलिए है कि केंद्र और राज्य सरकारें एलईडी के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए एलईडी का इस्तेमाल बढ़ाने वालेकार्यक्रम में घरों और मोहल्लों की गलियों में पुराने पीले बल्ब को हटाकर एलीईडी लगाई जा रही है। यह कार्यक्रम इसलिए शुरू किया गया है कि परंपरागत बल्ब एलईडी की तुलना में कहीं ज्यादा बिजली की खपत करते हैं।

ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके कहा है कि भारत में हर साल 77 करोड़ परंपरागत बल्ब की बिक्री होती है। यदि इन सभी की एलईडी का इस्तेमाल कर लिया जाय, तो हर साल करीब 26 अरब किलोवॉट (किलो वॉट घंटा) की बिजली बचाई जा सकती है। उन्होंने इसके अलावा यह भी ट्वीट किया कि भारत की 3 करोड़ स्ट्रीट लाइट के जरिए 5 अरब किलोवॉट-घंटा बिजली हर साल बचाई जा सकती है। जिससे 3000 करोड़ रुपये की बचत सालाना होगी।

एलईडी बल्ब हालांकि महंगे है। जिसकी रिटेल कीमत साधारण बल्ब की तुलना में 15 गुना ज्यादा है।कीमत में भारी अंतर को देखते हुए दिल्ली में सरकार ने एक स्कीम लांच की है। जिसके तहत लोगों को 130 रुपये में एलईडी दी जाएगी। एलईडी जहां ज्यादा बिजली की बचत करते हैं, वहीं उनकी लाइफ भी 16 गुना ज्यादा है।

एलईडी की कीमत भले ही परंपरागत बल्ब से 15 गुना ज्यादा है, लेकिन उसकी असली प्रतिस्पर्धा सीएफएल बल्ल से है। हालांकि सीएफएल बल्ब एलईडी की तुलना में पर्यावरण के लिए अच्छे नहीं हैं। सीएफएल में विषाक्त रसायन मरकरी (पारा) का इस्तेमाल होता है। यदि उसे आप सही तरीके से नष्ट नहीं करते हैं, तो मरकरी पर्यावरण में पहुंचकर उसे हानि पहुंचाता है। यदि कोई बल्ब के इस्तेमाल को लेकर दुविधा में है, तो नीचे दिए ग्राफ को देखकर आसानी से सारी दुविधा स्पष्ट की जा सकती है।

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इमेज क्रेडिट- Dreamstime.com|Choneschones

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