620well

महाराष्ट्र के नासिक जिले के नज़दीक, मेठघरकीला गांव में पुराने ढ़ंग से कुंए से पानी निकालती एक महिला Image: Flickr/Michael Foley

  • पंचायत ( ग्राम परिषद ) आधे से अधिक राशि सड़कें एवं पुल बनाने पर खर्च करती है। आंकड़ों के मुताबिक राशि का 38 फीसदी सड़को और पुल निर्माण पर खर्च किया जाता है जबकि 26 फीसदी पंचायत भवनों के रखरखाव पर खर्च होते हैं।
  • पानी की आपूर्ति, स्वच्छता और सड़को पर रौशनी व्यवस्था पर ज्यादा खर्च नहीं किया जाता।
  • प्रति व्यक्ति पंचायत व्ययमें सर्वोच्च स्थान त्रिपुरा राज्य का है। त्रिपुरा के बाद सबसे अधिक व्यय तेलंगना एवं मणिपुर राज्यों में किया जाता है।

स्थानीय सरकार सड़कों और पुलो के रख-रखाव, पानी की आपूर्ति, भवनों और सामुदायिक संपत्ति, सड़क पर रौशनी की व्यवस्था , साफ-सफाई , पानी की निकासी और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर सबसे अधिक खर्च करती है।लेकिन खर्च की व्यवस्था बहुत असंतुलित दिखाई पड़ती है।

पंचायत बजट पर हमारे विश्लेषण के अनुसार, साल 2007-08 से साल 2012-13 के बीच, हर पंचायत ने सड़को पर औसतन 189 रुपए प्रति व्यक्ति व्यय किया हैजबकि समुदायिक संपत्ति पर प्रति व्यक्ति 130 रुपए खर्च किया गया है। भविष्य में इसके बढ़ने की और संभावना है।

हमारे अध्ययन के अनुसार, सड़कों पर रौशनी की व्यवस्था ( 10 रुपए ), पानी की आपूर्ति ( 73 रुपए ), स्वच्छता ( 24 रुपए ) एवं अन्य सेवाओं पर बहुत कम खर्च किया जा रहा है।

साल 2007-08 में प्रति व्यक्ति व्यय 309 रुपए दर्ज किया गया था जबकि साल 2012-13 में यह बढ़ कर 631 रुपए, करीब 104 फीसदी हो गया है।

हमने पहले ही बताया है कि दिल्ली की एक संस्था, अकाउंटिब्लीटी इनीशिएटिव के अध्ययन के अनुसार अगले पांच सालों तक गांवों के स्व-शासन के लिए, पंचायतो को तीन गुना अधिक फंड दिया जाएगा।

त्रिपुरा करता है सबसे अधिक व्यय

गांवों में स्थानीय निकायों के हस्तांतरण पर पंचायती राज मंत्रालय द्वारा एक अध्ययन के अनुसार, सबसे अधिक वित्तीय विकेन्द्रीकरण भारत के पांच राज्यों, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं छत्तीसगढ़ में देखा गया है।

हालांकि इन पांच राज्यों के पंचायत में से एक भी अधिक व्यय करने वाले पंचायत की श्रेणी में नहीं आते हैं।

सबसे अधिक व्यय करने वाले ग्रामीण निकायों में सबसे पहले स्थान पर त्रिपुरा राज्य है। वित्तीय रुप से मजबूत राज्यों के मुकाबले, त्रिपुरा की प्रति व्यक्ति व्ययदोगुनी है।

साल 2007—08 से साल 2011-12 के बीच त्रिपुरा ने कर संकलन में 34.48 फीसदी की वृद्धि की है। त्रिपुरा 3.6 मिलियन आबादी के साथ देश में 22 वें स्थान पर है। इसमें से 2.7 मिलियन लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।

ग्रामीण निकायों के अधिक व्यय करने के मामले में त्रिपुरा का पहले स्थान पर होने का कारण राज्य की कम आबादी और पंचायतों के कर राजस्व में वृद्धि ही है।

व्यय प्रतिमान 14वें वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों में दिए गए स्थान के पहले किए गए पंचायत बजट के अध्ययन पर आधारित है।

क्या हैं 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें

14वें वित्त आयोग ने अगले पांच साल में ( 2015-2020 ) पंचायतो को 200,292.2 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की है जोकि 13 वित्त आयोग द्वारा दी गई राशि का तीन गुना है।

13वें वित्त आयोग द्वारा जहां पंचायत के तीनों भाग – जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत के लिए राशि अनुदान किया गया था वहीं 14वें वित्त आयोग ने केवल ग्राम पंचायत के लिए फंड दिया है।

अगले पांच सालों में अब ग्राम पंचायत को प्रति व्यक्ति 2,404 रुपए और प्रति वर्ष 0.17 करोड़ रुपए ( पांच सालों में 0.85 करोड़ रुपए ) दिए जाएंगे।

वित्त आयोग द्वारा यह राशि बुनियादी सुविधाएं जैसे स्वच्छता, पीने का पानी की आपूर्ति, समुदायिक संपत्ति की रख-रखाव के लिए दी गई हैं। आयोग ने कहा कि पंचायत ये सुनिश्चित करेगी कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों सहित, हर किसी तक यह बुनियादी सुविधाएं पहुंच पा रही ही हैं।

14वें वित्त आयोग के मुताबिक पंचायतों को राज्य द्वारा दो प्रकार के अनुदान – साधारण अनुदान एवं प्रदर्शन अनुदान दिए जाएंगे।

जो पंचायत वार्षिक लेखा परीक्षित खातों को जमा करेगी एवं पिछले वर्ष की तुलना में राजस्व में वृद्धि पाई जाएगी, उन्हें ही प्रदर्शन अनुदान दिए जाएंगे।

ग्रामीण भारत के लिए आवंटित धन में वृद्धि हुई है लेकिन अकाउंटिब्लीटीइनीशिएटिव के मुताबिकपंचायतों के व्यय पर पर्याप्त डाटा मौजूद नहीं हैं।

( इस लेख का पहला भाग, ग्रामीण भारत का फंड तिगुना आप यहां पढ़ सकते हैं)

(प्राची साल्वे एवं सौम्या तिवारी इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं)

यह लेख मूलत:अंग्रेजी में 25 जून 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है


"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.org एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :