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दिल्ली में जल्द ही सर्दियों का मौसम दस्तक देने वाला है। जैसे-जैसे सर्दी का मौसम पास आ रहा है वैसे ही अनुमान किया जा रहा है कि शहरवालों को हवाएं और प्रदुषित मिलेंगी। अनुमान के मुताबिक दिल्ली की वायु वसंत एवं गर्मियों की तुलना में दोगुनी दूषित हो सकती है।

दिल्ली में रहने वाला हर कोई अच्छे प्रकार से जानता है कि दिल्ली का प्रदूषण मौसम के अनुसार बदलता है। लेकिन शायद दिल्ली में रहने वाले अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि दिन के समय के अनुसार एवं सप्ताह के दिन के अनुसार शहर के प्रदूषण का प्रकार भी बदलता है। प्रदूषण में भिन्नता शहर के लोगों की क्रियाशीलता की योजनाओं के साथ-साथ निश्चित रूप से नीति निर्माताओं पर भी समस्या से निपटने के लिए दबाव डालना चाहिए।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सीपीसीबी ) और वायु गुणवत्ता सूचकांक वेबसाइट, दोनों ही शहर के चारों ओर वायु प्रदूषण रीडिंग खोजने के लिए उपयोगी हैं लेकिन यह दोनों ही इसका ट्रैक या व्यापक विश्लेषण नहीं करते हैं। हमने सीपीसीबी की वेबसाइट पर साल 2012 से परिवेशी वायु प्रदूषण आंकड़ों का विश्लेषण किया और कुछ बेहद रोचक परिणाम सामने आए।

जैसा कि आप नीचे दिए गए चार्ट में देख सकते हैं, दिल्ली की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक पीएम 2.5 ( PM 2.5 ) है। कालिख के कण एवं हवा में पाए जाने वाले अन्य दूषणकारी तत्व ( जो आकार में बहुत छोटे होते हैं एवं उनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर के बराबार होता है यानि कि मानव के बाल से करीब 30 गुना महीन ) मानव के फेफड़ों के भीतर आसानी से चले जाते हैं। पीएम 2.5 प्रदूषक, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है क्योंकि इससे फेफड़ों के कैंसर, हृदय और सांस की बीमारियों , अस्थमा, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो जाने का खतरा बढ़ जाता है।

पिछली सर्दी के एक सामान्य दिन में पीएम 2.5 की सांद्रता, प्रति वर्ग मीटर ( mg / Nm3 ) 200 मिलीग्राम से अधिक हो गई थी, जिस कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक ( AQI ) में बेहद खराब रेटिंग दर्ज की गई थी। पिछले वर्ष ही वसंत मौसम का एक सामान्य दिन सर्दियों के मुकाबले कम, करीब आधा प्रदूषित पाया गया है, 104 mg/nm3 । वायु गुणवत्ता सूचकांक में भी इसकी रेटिंग सामान्य दर्ज की गई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक द्वारा मापे गए अन्य प्रदूषकों में केवल नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ही अच्छे श्रेणी के नीचे गया है और हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि यह सर्दियों के मुकाबले वसंत में अधिक है।

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Source: Central Pollution Control Board; View raw data here.

सर्दियों में पीएम 2.5 उच्च क्यों होता है ?

इसका एक कारण यह है कि सर्दियों के साथ ही कई प्रदूषण गतिविधियों में वृद्धि हो जाती है। शहर में अपने घरों को गर्म रखने के लिए लोग अधिक बायोमास जलाते हैं एवं उसी समय फसल के उतरने का समय भी समाप्त होता है यानि कि इसी समय किसान अपने खेतों की ठूंठ जलाते हैं। नासा ने अक्टूबर एवं नवंबर महीने में पंजाब के किसानों द्वारा जलाए गए धान के खेतों से उत्पन्न आग एवं धुएं के चित्र जारी किए हैं।

इसके अलावा, वर्ष 1996 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में ईंट निर्माण पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, शहर के बॉर्डर पर ही ईंट निर्माण का काम जारी है। मौजूदा तारीख में दिल्ली एवं एनसीआर क्षेत्र में 1000 से भी अधिक ईंट भट्टी चालू है एवं इन भट्टियों में ईंट का उत्पादन मुख्य रुप से सर्दियों के मौसम में ही कीया जाता है। एक अध्ययन के अनुमान के मुताबिक दिल्ली को प्रभावित करने वाले पीएम 2.5 में से 15 फीसदी के लिए इन ईंट भट्टों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।

मौसम के अनुसार प्रदूषण की वृद्धि, वायुमण्डलीय बलों के साथ मिलकर काम करती है। सर्दियों के महीनों के दौरान, ज़मीन के करीब, जहां लोग सांस लेते हैं, प्रदूषण होने से शहर भर में ठंडी हवाएं स्थिर ( प्रदूषित )हो जाती हैं। दिल्ली में सर्दियों के लगातार रहने वाले कोहरे से समस्या और बढ़ जाती है।

स्थिर / प्रदूषित हवाएं बताती हैं कि वसंत के मुकाबले सर्दियों के दिन में क्यों प्रदूषण का स्तर कम व्यापक रूप से भिन्न होता है, जैसा कि हमने उपर दिए चार्ट में स्पष्ट रुप से बताया गया है। वसंत मौसम में गर्म और बहती हवाएं प्रदूषण को बहा ले जाती हैं इसलिए दिनभर में जमीनी स्तर पर औसत प्रदूषण, प्रदूषण गतिविधियों का बारीकी से अनुसरण करती हैं। दोपहर को जब लोग काम पर जाते हैं, इसमें गिरावट होती है और शाम को जब भीड़ बढ़ती है, इसमें फिर वृद्धि होती है। रात को यह अपेक्षाकृत उच्च रहता है, इसका संभवत एक कारण रात में ट्रकों की अधिक आवाजाही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क ( ईसीसी ) की मंजूरी दे दी है जिसे 1 नवंबर से लागू कीया जाएगा।

वसंत मौसम में दौड़ने का सबसे सुरक्षित समय शाम के छह बजे है। सर्दियों में, सुस्त हवाओं का अर्थ है कि दौड़ने का सबसे सुरक्षित समय सुबह के सात बजे है।

स्थिर/प्रदूषित हवाएं यह भी बताती हैं कि क्यों सर्दियों के मौसम के सप्ताह के कार्य दिवस के दौरान प्रदूषक अधिक जमा होता है एवं वसंत के दिनों में अधिक भिन्नता पाई जाती है।

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Source: Central Pollution Control Board; View raw data here.

अपने मौजूदा रूप में एक्यूआई ( AQI ) प्रत्येक प्रदूषण के स्तर से होने वाले स्वास्थ्य खतरे के प्रकार के संबंध में वर्णण करता है लेकिन अनुशंसित कार्यों की चर्चा नहीं की गई है। इसके अलावा इस जगह व्यापक सूचना की प्रसार प्रणाली नहीं है। अन्य कई देशों में स्वास्थ्य चेतावनी नेटवर्क है जो टेक्स्ट मेसेज एवं टीवी समाचार के ज़रिए जानकारी उपलब्ध कराता है। भारत में भी ऐसे नेटवर्क का उपयोग कर सूचकांक को बेहतर बनाया जा सकता है एवं शहर में रहने वाले लोगों को सर्दियों में खराब वायु से बचने के लिए चेतावनी दी जा सकती है।

( एरिक डोज हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एविडेंस फॉर पॉलीसी डिजाइन के साथ डाटा एनालिटिक्स लीड हैं। केविन रोवे हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 18 अक्टूबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।


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