बिहार विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या घटी
नव निर्वाचित बिहार विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या घट कर 28 हो गई है। 2010 में पिछली विधानसभा में 34 महिला विधायक चुनी गई थीं।
हालांकि अब भी यह आंकड़े राष्ट्रीय औसत, 7.3 फीसदी, के मुकाबले बेहतर हैं लेकिन महिला विधायकों के संबंध में बिहार दूसरे स्थान से गिर कर पांचवे स्थान पर आ गया है।
कुल विधायकों (243) के अनुपात के रूप में, पिछले विधानसभा के 14 फीसदी के मुकाबले इस बार 11.5 फीसदी महिलाएं हैं और यह निश्चित तौर पर पिछले एक दशक में महिला राजनीतिक सशक्तिकरण में हुई प्रगति का उलटाव है।
इंडियास्पेंड ने पहले भी अपनी खास रिपोर्ट में बताया है कि बिहार के उपर केवल हरियाणा ही ऐसा राज्य है जहां विधानसभा में 14.4 फीसदी महिलाएं हैं।
उच्चतम महिला प्रतिनिधित्व वाली राज्य विधानसभाएं
इंडियास्पेंड ने पहले ही बताया है कि महिलाओं के लिए कम विकास संकेतकों वाले राज्यों के (मुख्य रूप से लिंग अनुपात और महिला साक्षरता ) विधानसभा में महिलाओं की अधिक प्रतिनिधित्व हैं।
कम महिलाओं को मिला टिकट, कम महिलाएं बनीं विधायक
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ( चुनाव एवं शासन सुधारों पर काम करने वाली एक गैर लाभकारी संस्था ) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार 28 महिला विधायकों में से 10 विधायक राष्ट्रीय जनता दल ( आरजेडी ) से हैं, नौ जनता दल ( यू ) से हैं, चार कांग्रेस से, भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) से चार एवं एक निर्दलीय हैं।
चुनी गई 28 महिला विधायकों में से 25 ने पुरुष उम्मीदवारों को हराया है।
बिहार में अधिक महिला विधायकों वाली पार्टी
अधिकांश महिला विधायक (25) , आरजेडी, जलता दल ( यू ), कांग्रेस सहित विजयी महागठबंधन से हैं।
इंडियास्पेंड ने यह भी पहले बताया है कि कुछ ही महिलाओं के विधायक बनने का कारण कुछ ही महिला उम्मीदवारों को चुनाव में उतारना है।
जबकि महागठबंधन ने 10.3 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवारों को दिया था वहीं एनडीए ने 9.5 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवारों को दिए थे। हालांकि महागठबंधन की महिला उम्मीदवारों के जीत का दर प्रभावशाली है।
आरजेडी ने 10 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और इनमें से सब की सब ने जीत हासिल की है यानि कि जीत दर 100 फीसदी है। जनता दल ( यू ) ने भी 10 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था जिसमें से नौ उम्मीदवारों ने सीट अपने खाते में किया है यानि कि जीत दर 90 फीसदी रहा है। कांग्रेस के लिए जीत दर 80 फीसदी रहा है। कांग्रेस की पांच महिला उम्मीदवारों में से चार ने जीत हासिल किया है।
भाजपा ने 14 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जिसमें से केवल चार ही अपनी सीट जीत पाई हैं यानि कि भाजपा के लिए जीत दर 28.6 फीसदी रहा है।
पार्टी अनुसार महिला उम्मीदवारों की सफलता
इंडियास्पेंड ने अपनी पहले की रिपोर्ट में बताया है कि जनता दल ( यू) के नीतीश कुमार ने मौजूदा छह महिला विधायकों के बदले पुरुष उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिसमें से चार उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं।
गोविंदगंज की सीट महागठबंधन में सीट समायोजन के कारण ही कांग्रेस के को दिया गया। यहां पर भी मौजूदा महिला विधायक, मीना द्विवेदी की जगह पुरुष उम्मीदवार को टिकट दिया गया था।
इस इलाके से लोक जनशक्ति पार्टी ( लोजपा ) के राजू तिवारी ने जीत हासिल की है।
महिला विधायकों के लिए अधिक जीत का अंतर
28 में से आठ महिला विधायकों ने अपने विरोधी उम्मीदवारों के मुकाबले 20,000 से भी अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की है।
सबसे अधिक जीत का अतंर जनता दल ( यू ) की वीना कुमारी के खाते में दर्ज हुई है। वीना कुमारी ने त्रिवेणीगंज से लोजपा के अनंत कुमार भारती को 52,400 मतो से हराया है।
बिहार में महिला विधायकों की जीत का अंतर
महिलाओं विधायकों की शैक्षिक प्रोफ़ाइल
पिछली विधानसभा के मुकाबले मौजूदा में उच्च शैक्षिक योग्यता के साथ महिला विधायकों की संख्या कम है।
चार बार विधायक रह चुकी भागीरथी देवी पांचवी कक्षा तक पढ़ी हैं एवं ज्योति देवी दसवीं तक पढ़ी हैं। इनके शैक्षिक प्रोफाइल से स्पष्ट है कि राजनीतिक प्रदर्शन में शैक्षिक योग्यता संकेतक नहीं है।
शैक्षिक प्रोफाइल के अनुसार महिला विधायक
20 निर्वाचन क्षेत्रों में से 11 में जनता दल ( यू ) ने जीत हासिल की है जहां पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक रही है।
पूर्व विधायक ज्योति देवी ने कहा है, “वोट दे महिला, लेकिन अवसर मिले पुरुष को...यह अन्याय है।”
(यह लेख GenderinPolitics, भारत की राजनीति और शासन में महिलाओं की भूमिका का ट्रैक रखने वाली संस्था, एवं इंडियास्पेंड के सहयोग से प्रस्तुत की गई है। राव GenderinPolitics की सह-निर्माता हैं। साहा दिल्ली स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 20 नवंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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