53703600_e3bf9de344_o

यह काफी जानी मानी जानकारी है कि 31% भारत की जनसंख्या या 1.2 बिलियन लोगों ( आखिरी बार 2011 में गिने गए ) में से 377 मिलियन शहरी क्षेत्रों में रहते हैं।

जो बहुत हद तक सबको नहीं पता है वो यह है कि इस शहरी आबादी का लगभग 17% या 65 लाख से अधिक लोग झुग्गी बस्तियों में रहते हैं , जो संख्या पिछले तीन दशकों में दुगनी हो गई है|

अब इटली या ब्रिटेन की आबादी से अधिक भारतीय झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। 30 साल में आई यह बढ़ोतरी , कनाडा या तंजानिया या दो सीरियाओं की वर्तमान आबादी के जोड़ बराबर है।

जनसांख्यिकी, झुग्गी बस्ती को एक ऐसे आवासीय क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है जहाँ पर आवास, क्षय, भीड़भाड़, दोषपूर्ण व्यवस्था और इमारतों के डिजाइन, संकीर्ण या दोषपूर्ण सड़क व्यवस्था, वेंटिलेशन, प्रकाश, या साफ-सफाई की कमी या इन सभी कारकों में से किसी भी संयोजन के कारण से मानव निवास के लिए अयोग्य हैं"।

तत्कालीन योजना आयोग के गरीबी अनुमानों के अनुसार शहरी गरीबों की संख्या छह वर्षों में 21% तक गिर गई है।

गरीबी में गिरावट आने के बावजूद झुग्गी बस्तियों की संख्या श्रोण में बढ़ रही है क्योंकि वे लाखों ऐसे लोगों के लिए आवास उपलब्ध कराने का माध्यम हैं जिन्हे आधिकारिक तौर पर गरीब नहीं माना जाता है।

योजना आयोग के अनुसार 65 लाख झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों में से 53 मिलियन गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं, हर महीने चार व्यक्तियों के एक परिवार पर 1,000 रुपये खर्च करने की क्षमता को गरीबी रेखा के रूप में परिभाषित किया जाता है। अन्य 12 लाख "आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग" की श्रेणी में आते हैं अर्थात जो प्रति माह प्रति परिवार पर 8,000 रुपये से कम खर्च करने की क्षमता रखते हैं।

आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय के अनुसार, 88% तक "आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग" और 11% तक "कम आय वाले समूह"(प्रति माह प्रति परिवार 8,000 रुपये से 16,000 रुपये के बीच खर्च करने की क्षमता) , वाले व्यक्ति आवास की कमी से जूझ रहे हैं।

मंत्रालय के अनुसार, आवास की कमी अब 19 लाख यूनिट है (यदि एक परिवार में चार लोग मने जाएं, तब 76 मिलियन लोग घरों के बिना होंगे और यदि एक परिवार में पांच लोग माने जाएं तो, 95 लाख लोग बिना घर के हैं ) ।

शहरी और स्लम जनसंख्या में बढ़त 1981 से 2011 तक (मिलियन में)

1desk

Source: Census

जैसे जैसे अधिक भारतीय शहरों की ओर आ रहे हैं, झुग्गियाँ बढ़ती जा रही हैं

झुग्गी बस्तियों का विकास, सर्वोच्च शहरी आबादी वाले पांच राज्यों में सबसे ज्यादा है और आवासीय कमी और शहरी गरीबी के साथ इसका सीधा संबंध है।

राज्यवार शहरीकरण और झुग्गी बस्ती जनसंख्या, 2011

2desk

Source: Census, Poverty estimates

आंध्र प्रदेश में लगभग 35% शहरी जनसंख्या झुग्गी बस्तियों में रहती है , जिसके बाद महाराष्ट्र है 24% के साथ। अतः, चार महाराष्ट्रीय शहरी निवासियों में से एक झुग्गी बस्ती में रहता है।

2020 तक भारत की शहरी जनसंख्या में 590 मिलियन तक वृद्धि की संभावना है। कुल 4, 041 वैधानिक या आधिकारिक तौर पर 2011 में परिभाषित भारत के कस्बों में ऐसे शहर की संख्या, जिन्होंने झुग्गी बस्तियां होने की जानकारी दी है, बढ़कर 2,613 हो गई है , 10 वर्षों में 50% की वृद्धि।

इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि 78.7 मिलियन शहरी परिवारों में से 13.7 करोड़ परिवार झुग्गी बस्तियों में रहते हैं , जो कि शहरी आबादी का लगभग 17% भाग हैं। इन 13.7 मिलियन परिवारों में से 38% (5.2 मिलियन) मिलियन -प्लस नगरों में रहते हैं। इनमे से अधिकांशतः चार या अधिक सदस्यों के साथ एक कमरे के मकान में रहते हैं।

सरकार "अस्वीकार्य (पुराने और जीर्ण) मकान", "अस्वीकार्य भौतिक और सामाजिक स्थितियों" में रहने वाले और घर के बिना रह रहे परिवारों की संख्याओं को जोड़कर आवास की कमी के अनुमान बनाती है।

शहरी गरीबी, आवास की कमी और एक बढ़ती झुग्गी आबादी के बीच एक सीधा स्पष्ट संबंध है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में उच्चतम स्लम आबादी (10 मिलियन) है ,और दूसरी बड़ी संख्या में के बारे में गरीबी रेखा से नीचे व्यक्ति और दूसरी सबसे बड़ी संख्या में 1.9 मिलियन घरों की संख्या के साथ आवास की कमी है।

छवि आभार : फ़्लिकर / स्थितापर्णा जेना

__________________________________________________________________________

"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.org एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :