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एयर एशिया फ्लाइट क्यूजेड 8501 का साल 2014 में रहस्मय तरीके से गायब हो जाना,पूरे साल एय़रलाइंस हादसों में करीब 1183 लोगों की मौत ने एविएशन इंडस्ट्री के लिए इस साल को सबसे बुरे दौर में शामिल कर दिया है।

हालांकि एयरलाइन इंडस्ट्री के इतिहास में साल 2001 शताब्दी का सबसे दर्दनाक वर्ष रहा था। जिसमें करीब 7057 लोग हादसों का शिकार हुए थे। जिसमें एक बड़ी हिस्सेदारी उस साल 11 सितंबर का आतंकवादी हमले की थी। जिसमें एय़रलाइंस को जिहादियों ने अमेरिका के खिलाफ मिसाइल के रुप में इस्तेमाल किया था। साल 2014 में हुए हादसों की भारी संख्या के बावजूद साल 2005 की तुलना की जाय, तो पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा हादसों के शिकार 2005 में लोग हुए थे।

उस साल 1361 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। अभी भी दुनिया क्यूजेड 8501 की सूचना का इंतजार कर रही है, लेकिन यह लगभग तय हो चुका है कि एयरालइन क्रैश हो गई है। अभी भी यह रहस्य की बात है कि हादसे के इतने दिनों बाद भी एयरलाइन का कोई मलबा नहीं मिला है।

ऐसे में साल 2014 में एयरएशिया की फ्लाइट क्यूजेड 8501 के यात्रियों की संख्या को मिलाकर जान गंवाने वालों की संख्या 1183 पर पहुंच चुकी है। इसके बावजूद इस साल हवाई यात्रा सुरक्षित वर्षों में से एक रही है।

टेबल- साल 1995 -2014 के बीच एयरलाइन हादसे में हुई मौत

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Source: PlaneCrashInfo.com

टेबल- साल 1995 -2014 के बीच हुए एयरलाइन हादसे

Source: PlaneCrashInfo.com

कुल मिलाकर साल 1995-2004 के दशक में एयरलाइन हादसों औऱ उनमें मरने वालों की संख्या साल 2005 और 2015 के दौरान हुए हादसों की संख्या से ज्यादा थी। साल 2005-2014 के बीच कामर्शियल एयरलाइन हादसों में 9208 लोगों की मौत हुई, जबकि उसके पहले के दशक में 20688 लोग मौत के शिकार हुए। प्लेन क्रैश के कई सारे कारण रहे है। जिसमें से पॉयलट की चूक प्रमुख कारण रही है। हालांकि इसके अलावा आधुनिक जेटलाइनर के शिकार में मौसम और मशीनी खामियां भी अहम कारण रहे हैं। नीचे दिए गए टेबल में प्लेन क्रैश के कारणों को दर्शाया गया है।

टेबल—एयरलाइन हादसों का कारण

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Source: PlaneCrashInfo.com

टेबल—पॉयलट की गलतियों से होने वाले हादसों का विवरण

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Source: PlaneCrashInfo.com

आंकड़ों से साफ है कि एयरलाइन हादसों की प्रमुख वजह खराब मौसम, पॉयलट की गलतियां औऱ मशीन में खामियां प्रमुख हैं।

सभी आंकड़े 28 दिसंबर 2014 तक लिए गए हैं।

(लेखक द पॉलिटिकल इंडियन के डाटा संपादक हैं।

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