इंडियास्पेंड/फैक्टचेकर - 2015 के सबसे प्रमुख विश्लेषण
इंडियास्पेंड में हम किसी प्रकार के विशेषण को जगह नहीं देते हैं न तो किसी विचार और न ही किसी भावना की अभिव्यक्ति करते हैं। यहां हमारा ध्यान होता है आंकड़ों पर, तथ्यों पर और विस्तृत सूचना पर।
आंकड़ों का मूल रुप में इस्तेमाल करते हुए हम जनता के हित से जुड़े हुए विषयों पर चर्चा करते हैं, ऐसे विषय जो सार्वजनिक डोमेन में होने चाहिए लेकिन आमतौर पर नहीं होते हैं।
हमेशा की तरह, इस वर्ष भी हम कई विषयों, जैसे कि कृषि, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, रोजगार, चुनावी राजनीति और सामरिक मामलों पर चर्चा की है। हमने अधिकरिक रिपोर्ट विच्छेदित की है, आंकड़ों से सूचना प्राप्त की है और बुनियादी स्तर पर, अधिकतर शीर्ष शोध संस्थानों एवं संवाददाता जो गांव में रहते और काम करते हैं, उनके सहयोग से राय दर्ज की है।
इसके अलावा, इस वर्ष इस हमने, Breathe के साथ सेंसर पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा है, जो कि भारत का पहला स्वतंत्र वायु गुणवत्ता सेंसर का स्ट्रीमिंग नेटवर्क है।
FactChecker.in में, आधिकारिक बयानों और रिपोर्टों की जांच करने के अलावा, हम दो वैश्विक factcheckathons का हिस्सा रहे हैं – अंटाल्य, तुर्की में आयोजित जी -20 शिखर सम्मेलन एवं पेरिस, फ्रांस में COP21 शिखर सम्मेलन।
बीते वर्ष में इंडियास्पेंड एवं FactChecker.in द्वारा किये गए तीन मुख्य खबरों एवं विश्लेषण पर नज़र डालते हैं-
इंडियास्पेंड द्वारा किये गए तीन प्रमुख विश्लेषण
महाराष्ट्र में गहराता सूखे का संकट, 52 फीसदी वर्षा की कमी
महाराष्ट्र के दक्षिण-मध्य क्षेत्र मराठवाड़ा में, एक सप्ताह के भीतर 32 आत्महत्या होना, इलाके में गहराते सूखे के संकट की ओर इशारा करता है। किसानों के मुताबिक ऐसी स्थिति 43 वर्षों में पहली बार हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मराठवाड़ा एवं पश्चिम महाराष्ट्र में सामान्य से आधी बारिश हुई है एवं सूखा ग्रसित क्षेत्रों से, जिनमें उत्तर के लोग भी शामिल हैं, लोग दूसरे शहरों जैसे कि औरंगाबाद, पुणे और मुंबई की ओर पलायन कर रहे हैं। यहां तक कि कुछ सिंचित क्षेत्रों में फसलों के नष्ट होने के साथ, गांवों में अब पीने के पानी के लिए भी राज्य पर निर्भर करते हैं। सरकार के मुताबिक 2019 तक महाराष्ट्र को सूखे से मुक्त किया जाएगा लेकिन यदि पिछले साक्ष्यों को देखा जाए तो यह मुमकिन नहीं लगता है।
#Breathe की शुरुआत, इंडियास्पेंड वायु गुणवत्ता सूचकांक नेटवर्क
Breathe, स्वतंत्र वायु गुणवत्ता सेंसर की भारत की पहली स्ट्रीमिंग नेटवर्क के साथ इंडियास्पेंड एक बहु शहर प्रणाली का निर्माण करने की उम्मीद करता है जो अन्य नेटवर्क चलाने वालों सहित सभी के लाभ के लिए एक खुले एवं पारदर्शी तरीके से वायु गुणवत्ता डेटा साझा करेगा। हमारा उदेश्य अन्य नेटवर्कों, सराकारी नेटवर्क सहित, द्वारा जुटाए जा रहे आंकड़ों का खंडन करना नहीं है। हमारा अंतिम उद्देश्य, प्राप्त आंकड़ों पर नीतिगत कार्रवाई होना है। आंकड़ों से हमें कई तरह की मदद मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, सांस की बीमारी के लिए हवा की गुणवत्ता से सहसंबंधी कैसे हो सकते हैं यह देखने के लिए हम मुंबई के अस्पतालों में सांस की बीमारियों विशेषज्ञों से बातचीत कर रहे हैं।
क्या #SelfieWithDaughter बचा पाएगा 23 मिलियन लड़कियां?
पिछले 70 सालों में भारत का शिशु (छह वर्ष से कम आयु) लिंग अनुपात संभवत: सबसे बुरा रहा है। यदि इसमें सुधार नहीं किया जाता है तो वर्ष 2040 तक भारत में 20-49 आयु वर्ग के बीच 23 मिलियन महिलाओं की कमी हो सकती है। शहरीकरण से बाल लिंग अनुपात बिगड़ रही है । इस संबंध में बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और नेपाल की स्थिति भारत से बेहतर है।
फैक्टचेकरके तीन प्रमुख विश्लेषण
बिजली मंत्रालय : झूठे दावों का सिलसिला, मामूली सुधार
एक ही साल में "अब तक सर्वश्रेष्ठ" बिजली उत्पादन क्षमता (22,566 मेगावाट) के अलावा ; ट्रिलियन यूनिट तक बिजली उत्पादन पहुंचना; अब तक सबसे कम (3.6 फीसदी) बिजली की कमी ; और कोयले उत्पादन में 32 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। यह कुछ दावे हैं जो कोयला और विद्युत मंत्रालय ने अपने रिपोर्ट कार्ड में दर्ज किए हैं। हमने इन आंकड़ों की पड़ताल में पाया कि यह चयनात्मक और बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किए गए हैं।
सही हैं मेनका गांधी : गंभीर पोषण के लिए राशि, स्वास्थ्य योजनाओं में 51 फीसदी कटौती
फरवरी 2015 में, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के बजट में करीब आधे की कटौती की गई है। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने रायटर से यह कह कर विवाद छेड़ दिया कि उनका विभाग संघर्ष कर रहा है, इनकी टिप्पणियों को इनके खुद की सरकार की आलोचना के रूप में देखी गई। मेनका गांधी सही हैं। FactChecker.in ने अपनी जांच में पाया कि महिला एवं बाल विकास के लिए बजट में 51 फीसदी की कटौती की गई है।
मोदी की 5 बड़ी योजनाएं: एक लंबा सफर
"वित्तीय समावेशन, बुनियादी जरूरतों के लिए सार्वभौमिक पहुँच, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, इंडस्ट्रियल कऑरिडोर और स्मार्ट सिटी सहित समावेशी विकास के हमारे कार्यक्रम भारत में विकास और रोजगार को बढ़ावा देगा।" यह घोषणा भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने, अंटाल्या, तुर्की में आयोजित जी -20 शिखर सम्मेलन में किया था, जहां कई देशों के प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और पेरिस में हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए थे। सत्र के दौरान मोदी ने "समावेशी विकास: वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकास रणनीतियाँ, रोजगार और निवेश रणनीतियों" पर दिए गए बयान से अपनी सरकार की मुख्य योजनाओं को प्रकाशित किया है। हमने मोदी के बयान की जांच की एवं पांच बड़े सरकारी कार्यक्रमों की प्रगति की अद्यतन की है। इन आंकड़ों की जांच की प्रक्रिया और रिपोर्ट, तुर्की में जी -20 शिखर सम्मेलन के साथ समय पर ग्लोबल फैक्ट चेकर्स एसोसिएशन के सदस्यों के साथ सहयोगात्मक प्रयास था।
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 31 दिसंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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